सारठ: चितरा कोलयरी से रोजाना सैकड़ों टन कोयला की तस्करी अवैध रूप से की जाती है. विभिन्न थाना क्षेत्रों से होकर मोटरसाइकिल-साइकिल से बोरा में कोलियरी से चोरी कर एक इलाके से दूसरे इलाके में भेजा जाता हैं. जमा कोयला को एक जगह डंप कर कोयला तस्कर बड़े वाहनों में ऊंची कीमत पर बेचते हैं. कोयले के इस अवैध काले कारोबार से सरकार को तो लाखों का नुकसान होता ही है, काेयला माफिया की चांदी हो रही है. यह कारोबार लंबे समय से चल रहा है. इसमें कई लोगों की संलिप्तता जतायी जा रही है.
औसतन 700 क्विंटल रोजाना होती है तस्करी
एक बाइक में लगभग पांच क्विंटल व साइकिल में तीन क्विंटल कोयला ढोया जाता है. आंकड़ों पर गौर करें तो लगभग 50 बाइक व 150 साइकिल कोयला ले जाया जाता है. इस हिसाब से बाइक से ही 250 क्विंटल व साइकिल से 450 क्विंटल यानी कि औसतन कुल सात सौ क्विंटल कोयला रोजाना ले जाया जाता है. एक क्विंटल कोयला की कीमत लगभग 300 रुपये है, तो सात सौ क्विंटल कोयले के हिसाब से हर दिन लगभग 2.10 लाख रुपये की कोयला तस्करी हो रही है.
यहां होता है कोयला डंप
चितरा थाना क्षेत्र के खुन, तुलसीडाबर, भवानीपुर, सिमलगढ़ा, बस्ती पालाेजोरी मोड़, हरिराखा, दिग्घी मोड़ में कई कोयला के डिपो संचालित हैं. यह डिपो हर दिन लगता है और हटा भी दिया जाता है. सरकारी डिपो नहीं रहने के बाद भी अवैध तरीके से लगने वाले ये डिपो संचालक रोजाना मालामाल हो रहे हैं. अब इस काली कमाई में कौन-कौन हिस्सेदार है, यह जांच का विषय है.
चुप्पी पर उठ रहे सवाल
रोजाना सैकड़ों क्विंटल कोयला तस्करी का धंधा जारी है. कोयला ले जाने वालों के पास कोई कागजात नहीं होता है और ना ही बेचने का अधिकार, फिर भी खुलेआम विभिन्न थाना क्षेत्रों से होने वाली कोयला तस्करी कई सवाल खड़े करता है. हालांकि पुलिस कार्रवाई के नाम पर कभी कभार छापेमारी कर एक-दो तस्करों को पकड़ लेती है, लेकिन इस मामले में सही तरीके से कार्य नहीं होने से किसी में इस मामले में दहशत नहीं है. सबका कहना है कि इस मामले में कार्रवाई नहीं होती.
कहते हैं एसडीपीओ
संबंधित थाना क्षेत्र की पुलिस को कोयला तस्करी पर अंकुश के लिए निर्देश देंगे. पुलिस इस मामले में कार्रवाई करेगी.
अशोक कुमार सिंह, एसडीपीओ