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भारत में स्मार्ट सिटी प्राेजेक्ट का डिजाइन तैयार, इधर चीन मलयेशिया के निकट बना रहा अनोखा फॉरेस्ट सिटी
फॉरेस्ट सिटी भारत में अभी स्मार्ट सिटी प्राेजेक्ट का डिजाइन ही तैयार किया जा रहा है, पर चीन मानव-निर्मित द्वीपों पर मलयेशिया के निकट एक अनोखी फॉरेस्ट सिटी बना रहा है. इसे दुनिया के महंगे प्रोजेक्ट्स में शामिल किया गया है. आधुनिक सुख-सुविधाओं से सुसज्जित इस शहर की बड़ी खासियत यह होगी कि इसमें रहने […]
फॉरेस्ट सिटी
भारत में अभी स्मार्ट सिटी प्राेजेक्ट का डिजाइन ही तैयार किया जा रहा है, पर चीन मानव-निर्मित द्वीपों पर मलयेशिया के निकट एक अनोखी फॉरेस्ट सिटी बना रहा है. इसे दुनिया के महंगे प्रोजेक्ट्स में शामिल किया गया है.
आधुनिक सुख-सुविधाओं से सुसज्जित इस शहर की बड़ी खासियत यह होगी कि इसमें रहने वालों को प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से यह नहीं महसूस होगा कि वे किसी आधुनिक शहर में रहते हैं. इसमें तकनीक को प्रकृति और संस्कृति के साथ समायोजित किया गया है. कितना चुनौतीपूर्ण है यह सब और कैसे अंजाम दिया जा रहा है इस पूरे प्राेजेक्ट को समेत इससे संबंधित अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं को रेखांकित कर रहा है आज का साइंस टेक पेज …
जी मलयेशिया के चार मानव-निर्मित द्वीपों पर चीन एक विशाल शहर का निर्माण कर रहा है. इस शहर को विकसित करनेवाला डेवलपर कंट्री गार्डेन इस नये महानगर की संरचना को कुछ इस तरह से अंजाम दे रहा है, जो यहां बसने वालों के लिए किसी बड़े सपने की तरह होगा.
इस शहर को फॉरेस्ट सिटी नाम दिया जायेगा. इस महानगर में सात लाख से ज्यादा नागरिकों के रहने के लिए सभी तरह की सुविधाएं विकसित की जायेंगी. यानी इसमें वॉशिंगटन डीसी के मुकाबले करीब 20,000 ज्यादा लोगों के रहने की सुविधा विकसित की जा रही है.
3,425 एकड़ में बन रहा शहर
वर्ष 2015 में इस मानव-निर्मित द्वीप में निर्माण कार्य शुरू किया गया था. इसे बनानेवाली कंपनी ‘सासाकी’ की अधिकृत वेबसाइट के मुताबिक, यह शहर 3,425 एकड़ इलाके में बनाया जा रहा है. इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब 100 अरब डॉलर बतायी गयी है.
हालांकि, फिलहाल इसका एक खाका तैयार किया गया है, लेकिन पूरी तरह से विकसित करने के लिए अब भी इसमें समय लगेगा. ‘इंटेरेस्टिंग इंजीनियरिंग डॉट कॉम’ के मुताबिक, इसमें ऑफिस, पार्क, पब्लिक ट्रांसपोर्ट नेटवर्क, होटल, रेस्टोरेंट्स, मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स और स्कूलों के अलावा ढाई लाख आवासीय इकाइयां होंगी.
कम नहीं मुश्किलें
हालांकि, इस प्रोजेक्ट की राह में बाधाएं भी कम नहीं हैं. एक बड़ी चिंता यह है कि इससे चीन के बहुत से नये मेगा शहरों की राह मुश्किल हो जायेगी और वे एक तरीके से निर्जन शहर (जहां कोई इनसान नहीं रहता हो) में परिवर्तित हो जायेंगे.
रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 60 निवेशकों ने इस प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिये हैं. इस प्राेजेक्ट की आरंभिक गुणवत्ता में प्रतिबद्धता का अभाव होना इसका एक बड़ा कारण बताया गया है. बताया जाता है कि 1970 के दशक से चीन में अब तक 500 से अधिक शहर भुतहा की श्रेणी में आ चुके हैं.
दरअसल, चीन की सरकार ने ग्रामीण आबादी को शहरों में बसाने के लिए अनेक टाउनशिप का गठन किया और बड़े पैमाने पर निवेश करते हुए सैकड़ों नये शहर बसाये गये. हालांकि, इन शहरों में से अधिकतर पूरी तरह से खाली हैं. लेकिन, बताया गया है कि ढाई लाख आवासीय यूनिट वाले नये बनाये जा रहे फॉरेस्ट सिटी में अधिकतर निर्माणाधीन मकान बिक चुके हैं.
दक्षिण चीन में भी बनेगी सिटी
दक्षिण चीन में भी एक फॉरेस्ट सिटी बनायी जायेगी. इसमें 70 बिल्डिंग होंगे, जिसमें आवासीय यूनिट्स के अलावा अस्पताल, दुकानों के लिए स्पेस, स्कूल और ऑफिस बनाये जायेंगे. इसमें 30,000 से अधिक लोगों की बसावट होगी.
इटली का कॉन्सेप्ट
इस प्राेजेक्ट का कॉन्सेप्ट इटली की आर्किटेक्चर फर्म स्टीफेनो बोएरी आर्किटेटी से लिया गया है. यह फर्म भवनों और पेड़-पौधों के एकीकृत निर्माण के लिए प्रसिद्ध है. निर्माण पूरा होने पर इस शहर में 40,000 से अधिक पेड़ और 10 लाख से ज्यादा पौधे होंगे.
ग्रीन इकोलॉजिकल विजन
इस नये द्वीप में यातायात और पार्किंग के लिए मल्टी-लेयर वाले अनोखे इंतजाम किये जायेंगे, ताकि ग्रीन इकोलॉजिकल विजन को साकार किया जा सके.
तकनीकी रूप से यह प्रोजेक्ट बेहद जटिल है. इस नये द्वीप का डिजाइन तैयार करना और निर्माण कार्य को संजीदगी से अंजाम देना अपनेआप में चुनौतीपूर्ण कार्य है. इसके चारों ओर पानी को ऐसे डिजाइन किया जा रहा है, ताकि पूरे इलाके में इसका प्राकृतिक रूप से बहाव सुनिश्चित किया जा सके. द्वीपों के किनारों पर मनोरम दृश्यों के लिए इस तरह की चीजों को किया जायेगा डिजाइन :
– टाइटल सी पूल्स
– मैंग्रोव फॉरेस्ट्स
– अरबन प्रोमेनैड्स
– इकोलॉजिकल ब्रेकवाटर्स.
फॉरेस्ट सिटी मास्टर प्लान
व्यापार और संस्कृति की इस नयी वैश्विक बस्ती फॉरेस्ट सिटी को रणनीतिक रूप से अर्थव्यवस्था के पावरहाऊस सिंगापुर के निकट बसाया गया है. इस फॉरेस्ट सिटी का मास्टर प्लान इंटरनेशनल इंट्राडिसिप्लेनरी डिजाइन फर्म सासाकी ने तैयार किया है. इस फर्म ने फॉरेस्ट सिटी को व्यापार और संस्कृति के एक नये ग्लोबल क्लस्टर के तौर पर उद्धृत किया है.
इसे पूरी तरह से लाइव वर्क लाइफस्टाइल को पनपने के लिए मददगार माहौल के अनुरूप बनाया गया है, जिसके लिए वित्तीय संस्थानों, तकनीकी और बायोटेक रिसर्च संगठनों और विविध प्रकार के उद्योग-धंधों को विकसित किया गया है. इससे दक्षिणी मलयेशिया में इनोवेटिव और सस्टेनेबल रोजगार पैदा होगा और सवा दो लाख से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सकेगा.
तकनीक और संस्कृति का अनोखा मिश्रण
इस शहर को इस तरह से बसाया जा रहा है, जिससे यहां मलयेशिया के लोग शहरों में रहते हुए विविध संस्कृति और जैव-विविधता जैसी चीजों का प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर सकेंगे. इसमें तकनीक और संस्कृतियों को मिला-जुला स्वरूप दिखाई देगा.
रेल लिंक से जुड़ाव
यहां तक पहुंचने के लिए व्यापक समुद्री नेटवर्क और लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम विकसित किया जायेगा. सिंगापुर के एमआरटी सिस्टम के जरिये इसे सिंगापुर से और हाइ-स्पीड रेल लाइन के जरिये इसे मलयेशिया के क्वालालंपुर से जोड़ा जायेगा.
चीन में 100 से अधिक निर्जन शहर!
पूरे चीन में करीब 100 शहर ऐसे हैं, जो पूरी तरह से खाली हैं. इन शहरों में आधुनिक सुख-सुविधाएं, शहरी लाइफस्टाइल, ऊंचे अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स, विकसित स्विमिंग पूल और यहां तक कि अनेक प्रकार के पब्लिक आर्ट होने के बावजूद यहां इंसान की बसावट नहीं हो पायी है.
ये रहस्यमय और तकरीबन पूरी तरह से खाली शहर चीन की एक बड़ी परियोजना का हिस्सा हैं, जिसके तहत मौजूदा समय में ग्रामीण इलाकों में रहनेवाले 30 करोड़ नागरिकों को शहरों में बसाने की नीति बनायी गयी थी.
‘बिजनेस इनसाइडर’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के एक फोटोग्राफर काई साएमेरर ने वर्ष 2015 में पूरे देश का दौरा किया और इस संबंध में अनेक तथ्य जुटाये थे. ‘अनबोर्न सिटीज’ के नाम से उन्होंने एक शृंखला में इस प्रकार के शहरी विकास को फोटो संग्रह के जरिये दर्शाया था.
बताया जाता है कि चीन ने अमेरिका की तरह शहरीकरण पर जोर दिया, लेकिन उसने अमेरिका के मॉडल को नहीं समझा. अमेरिका में पहले स्थानीय रूप से उद्योग-धंधे विकसित किये गये और उसके बाद वहां शहरीकरण को बढ़ावा दिया गया. लेकिन, चीन ने पहले शहरीकरण कर दिया. और माना जा रहा है कि यही कारण है कि रोजगार के अवसर मुहैया कराये बिना इन शहरों में लोग बसने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं.
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