चेन्नई : तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष पी धनपाल ने मुख्यमंत्री पी पलानीस्वामी और किनारे किये गये दिनाकरन के मध्य चल रहे सत्ता संघर्ष के बीच अन्नाद्रमुक के बागी 18 विधायकों को सोमवार को दल-बदल संबंधी नियम के तहत अयोग्य घोषित कर दिया. दिनाकरन ने कहा कि विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने को अदालत में चुनौती दी जायेगी. वहीं, बागी विधायकों ने इस कदम को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है.
कांचीपुरम जिले में दिनाकरण ने संवाददाताओं से कहा, हमारे विधायक अदालत जायेंगे और हम न्याय हासिल करेंगे. पिछले महीने पलानीस्वामी के खिलाफ विद्रोह करनेवाले 18 विधायकों के विरुद्ध संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुरूप बनाये गये दल-बदल विरोधी एवं अयोग्यता कानून 1986 के तहत कार्रवाई की गयी है.
बयान में कहा गया है, माननीय अध्यक्ष के 18 सितंबर 2018 के आदेश के साथ ही उनकी सदस्यता चली गयी है. अयोग्य घोषित किये गये विधायकों में थंगा तमिल सेलवन, आर मुरुगन, मारियुप कन्नेडी, के काथीरकमू, सी जयंती पद्मनाभन, पी पलनिअप्पन, वी सेंथिल बालाजी, सी मुथैया, पी वेत्रिवेल, एनजी पार्थीबन, एम कोठांदपानी, टीए एलुमलै, एम रंगासामी, आर थंगादुराई, आर बालासुब्रमणी, एसजी सुब्रमण्यम, आर सुंदरराज और के उमा महेश्वरी शामिल हैं.
विधानसभा अध्यक्ष के कदम की निंदा करते हुए वेत्रिवेल ने पलानीसामी के संदर्भ में कहा, सत्ता में बैठे हुए लोगों ने सबसे बड़ी गलती की है. अयोग्य ठहराये जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, एक विधायक को भी अयोग्य ठहराना आसान नहीं है. यह लोकतंत्र की हत्या है. उन्होंने कहा कि यह अदालत फैसला करेगी कि अयोग्य ठहराना वैध है या नहीं.
उन्होंने कहा, हमारे मुताबिक यह वैध नहीं है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने अपने गुट के अगले कदम को बताने से इनकार करते हुए कहा, अब हर बात नहीं बतायी जा सकती है. उन्होंने कहा, शक्ति परीक्षण हो जाने दें. वेत्रिवेल ने दावा किया कि यह कार्रवाई इसलिए की गयी है ताकि सरकार संभावित शक्ति परीक्षण में बच जाये, क्योंकि पलानीस्वामी के पास 234 सदस्य सदन में जरूरी 117 विधायकों का समर्थन नहीं है.
दिनाकरन के वफादार और पेरामबुर के विधायक वेत्रिवेल ने कहा कि वे धनपाल के फैसले के खिलाफ जल्द से जल्द अदालत जायेगे. अयोग्य ठहराये गये 18 विधायकों और एक अन्य ने 22 अगस्त को तमिलनाडु के राज्यपाल सी विद्यासागर से मुलाकात कर कहा था कि वे पलानीस्वामी में विश्वास खो चुके हैं. असंतुष्ट विधायकों में से एक एसकेटी जकियां ने बाद में पलानीस्वामी का समर्थन करने के लिए खेमा बदल लिया था.
विधायक तभी से ही मुख्यमंत्री को हटाने की मांग कर रहे थे. पलानीस्वामी और तत्कालीन विद्रोही नेता तथा मौजूदा उप मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम के नेतृत्ववाले गुटों के औपचारिक विलय के एक दिन बाद 22 अगस्त को यह बैठक हुई थी. सरकार के मुख्य सचेतक एस राजेंद्रन ने विधानसभा अध्यक्ष से पार्टी विरोधी गतिविधियों और मुख्यमंत्री के खिलाफ विद्रोह करने के लिए विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की थी.