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मृणाल पांडे के ट्वीट से मचा बवाल, पत्रकारों ने कहा – मानदंड बचा रहना चाहिए

सोशल मीडिया में गाली – गलौज और भद्दे टिप्पणियों को लेकर कई दिनों से विमर्श चल ही रहा था कि कल वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडेय ने एक ट्वीट कर विवाद को जन्म दे दिया . इस ट्वीट के बाद मृणाल पांडे ट्रोल होने लगीं. गौरतलब है कि कल मृणाल पांडे ने प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन […]

सोशल मीडिया में गाली – गलौज और भद्दे टिप्पणियों को लेकर कई दिनों से विमर्श चल ही रहा था कि कल वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडेय ने एक ट्वीट कर विवाद को जन्म दे दिया . इस ट्वीट के बाद मृणाल पांडे ट्रोल होने लगीं. गौरतलब है कि कल मृणाल पांडे ने प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर ट्वीट करते हुए ‘जुमला जयंती’ लिखा और आपत्तिजनक तसवीर भी पोस्ट कर दी. देखते ही देखते उनके इस ट्वीट पर कई फॉलोअर्स प्रतिक्रिया जताने लगे. मामले को बढ़ते देख कई पत्रकारों ने भी मृणाल पांडे की इस अपमानजनक ट्वीट को लेकर प्रतिक्रिया जतायी.

हिन्दुस्तान की सम्पादक रह चुकी मृणाल पांडे प्रसार भारती की चेयरपर्सन का जिम्मा भी संभाल चुकी हैं. वे लंबे समय तक दूरदर्शन से भी जुड़ी रही हैं.उनके इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया जताने वालों में वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव भी शामिल हैं. राहुल देव दूरदर्शन में उनके सहयोगी रह चुके हैं. उधर कल हुए इस विवाद को लेकर आज कई पत्रकारों ने फेसबुक पर अपनी राय प्रकट की है.
अजीत अंजुम
टीवी पत्रकार अजीत अंजुम ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि "अब देखिए ..मृणाल जी मुझे भी ब्लॉक कर दिया …मैंने तो शब्दों की मर्यादा नहीं खोई थी..उन्हें लिखे पर मर्यादित ढंग से असहमति ही जताई थी …शुक्रिया मृणाल जी , आपने मुझे ब्लॉक करने के क़ाबिल समझा …अपनी इस पात्रता का अंदाज़ा नहीं था मुझे …फिर मैं आपके लोकतांत्रिक अधिकारों की क़द्र करता हूँ ..
".
रवीश कुमार
वरिष्ठ टीवी पत्रकार रवीशकुमार ने भी अपने वॉल पर पोस्ट कर लिखा"कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी की भाषा और पत्रकार मृणाल पांडे का व्यंग्य दोनों बेहद ख़राब लगा. किसी के भी जन्मदिन के मौके पर पहले बधाई देने की उदारता होनी चाहिए, फिर किसी और मौक़े पर मज़ाक का अधिकार तो है ही. मृणाल रूक सकती थीं . सही है कि प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर और लोगों ने लतीफें बनाए और फेंकू दिवस बोलकर तंज किया ये राजनीति के लोक का हिस्सा हो गया है जो मनमोहन सिंह के मज़ाक उड़ाने के दौर से शुरू होता है. लेकिन इसमें हर कोई शामिल हो जाए , यह और भी दुखद है. कहीं तो मानदंड बचा रहना चाहिए".
उधर अपने आलोचना के बाद भी मृणाल पांडे ट्वीट पर कायम है.मृणाल पांडे का तर्क है कि संस्कृत में ‘वैशाखनंदन’ को देवानांप्रिय भी कहते हैं, जिसका अर्थ होता है कि हर हाल में खुश रहने वाला. इसलिए उन्होंने वैशाखनंदन शब्द का प्रयोग किया. जुमला शब्द के इस्तेमाल पर उनका कहना है कि जिन्होंने ये शब्द गढ़े, वो ही इसका जवाब दे सकते हैं. पत्रकार बिरादरी की तरफ से हो रही आलोचना पर मृणाल पांडे कहती हैं कि उन्होंने किसी से नहीं समर्थन मांगा है और न ही इसकी जरूरत है, वो अकेले काफी हैं.

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