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देश में भगवान बनना आसान, इंसान बनना कठिन

श्रीशरणम के पंचम वार्षिकोत्सव पर आयोजित दिव्य सत्संग सभा में बोले जगतगुरु दिव्यानंदतीर्थजी महाराज कोलकाता : श्री शरणम ट्रस्ट के पंचम वार्षिकोत्सव पर छह दिवसीय दिव्य सत्संग सभा के पांचवें दिन नजरुल मंच (सत्संग वाटिका) में श्रीमदभागवद् गीता पर भानुपुरा पीठाधीश्वर जगतगुरु दिव्यानंदतीर्थ महाराज की अध्यक्षता में स्वामी निरंजनानंद, स्वामी गिरीशानंद, स्वामी कल्याणदास, स्वामी मुक्तानंद, […]

श्रीशरणम के पंचम वार्षिकोत्सव पर आयोजित दिव्य सत्संग सभा में बोले जगतगुरु दिव्यानंदतीर्थजी महाराज
कोलकाता : श्री शरणम ट्रस्ट के पंचम वार्षिकोत्सव पर छह दिवसीय दिव्य सत्संग सभा के पांचवें दिन नजरुल मंच (सत्संग वाटिका) में श्रीमदभागवद् गीता पर भानुपुरा पीठाधीश्वर जगतगुरु दिव्यानंदतीर्थ महाराज की अध्यक्षता में स्वामी निरंजनानंद, स्वामी गिरीशानंद, स्वामी कल्याणदास, स्वामी मुक्तानंद, श्रीकांत शर्मा बालव्यास, स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने प्रकाश डाला. स्वामी संविदानंद महाराज, राजीव लोचन दास महाराज, विश्वेशरानंद महाराज की गरिमामयी उपस्थिति रही. सत्संग सभा की अध्यक्षता करते हुए स्वामी दिव्यानंदतीर्थ महाराज ने कहा कि गीता में व्यवहारिक ज्ञान है. संघर्ष भूमि में भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा हमें गीता की प्राप्ति हुई. क्या हमारा जीवन संघर्षमय नहीं है. हमारे अंदर क्या कौरव-पांडव नहीं हैं.
निश्चित रूप से हमारे अंदर सत, रज, तम गुण हैं. ये तीनों गुण भवबंधन के कारण हैं. देश में भौतिकता का विकास जरूर हुआ है पर नैतिकता हर क्षेत्र में गिरी है. आज भारत में भगवान बनना सरल है पर इंसान बनना कठिन. देश में आज 80 भगवान हैं. फिर देश की दुर्दशा क्यों है. जीवन में हम कोई भी कर्म करें निष्ठावान होकर करें जो हमारा सर्वश्रेष्ठ है उसे लक्ष्य को पाने में लगायें.
कर्म, वाणी और व्यवहार को ईश्वरामुख करें : निरंजनानंद
परमहंस परिब्राजकाचार्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि उपाधि और उपलब्धि उनका परिचय नहीं है. जो गुरु ने उन्हें नाम दिया और कार्य करने का उपदेश दिया, वही उनका परिचय है. गीता के प्रणेता श्रीकृष्ण हैं. गीता श्रीकृष्ण के चरित्र और स्वाभाव को दर्शाती है. श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि ‘तुम अपना मन, बुद्धि और जीवन मुझे दे दो’. आज समाज अराजकता, अशांति, तनाव और युद्ध की ओर जा रहा है. इसका एकमात्र निदान है कि हम सब ईश्वरामुख हों. अर्थात कर्म, वाणी और व्यवहार को ईश्वरामुख कर दें. दूसरे के हृदय में भगवान की छवि को देखें भले ही वह गरीब क्यों न हो. ऐसा यदि कोई करता है तो वह दीप बन जाता है और नदी में बहने लगता है जिसे कृष्ण स्वीकार करते हैं.
कृष्ण की वाणी है गीता : गिरीशानंद
स्वामी गिरीशानंद ने कहा कि गीता कृष्ण की वाणी है. गीता में किसी भी धर्म, संप्रदाय के विरुद्ध कुछ भी नहीं है. गीता को पूरे देश के विद्यालयों में पढ़ाना चाहिए. श्रुतियां, भगवान की सांस है तो उनकी वाणी गीता है.
दुर्बलताओं को दूर करती है गीता : कल्याणदास
स्वामी कल्याणदास ने कहा कि जीवन में कोई भी कर्म करें भगवान की आज्ञा समझ कर करें. तभी जीवन में सफलता मिलती है. कृष्ण ने अर्जुन को गीता का जो उपदेश दिया था वह हमारे जीवन के लिए संदेश है. गीता के माध्यम से जैसे अर्जुन का मोह दूर हुआ, दुर्बलताएं दूर हुईं उसी तरह हमभी गीता का आत्मसात करके हम अपने जीवन की दुर्बलताओं को दूर कर सकते हैं. गीता हमें यही सिखाती है कि विषम परिस्थितियों में हम व्याकुल न हों.
विषाद को प्रसाद बनाती है गीता : श्रीकांत
श्रीकांत शर्मा बालव्यास ने कहा कि जीवन के विषाद को प्रसाद बनाती है. जीवन को संयमित बनाती है. गीता हमें त्याग करना सिखाती है. महामंडलेश्वर
गीता भारत का गौरव ग्रंथ : ज्ञानानंद
ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि गीता भारत का गौरव ग्रंथ है. जो समूचे विश्व के मानवीय मूल्यों का पाठ पढ़ाता है. डूबते हुए क्षणों में व्यक्ति में गीता साहस भरती है. स्वतंत्रता आंदोलन में गीता ने क्रांतिकारियों को प्रेरित किया. मानवीय मूल्यों का संरक्षण, संवर्धन का दिव्य शास्त्र है गीता. गीता में सार्वकालिक प्रेरणाएं हैं. जीवन में प्रबंधन और आनंद कैसे प्राप्त हो यह गीता सिखाती है.
जीवन को सुंदर बनाती है गीता : मुक्तानंद
सत्संग सभा का संचालन करते हुए स्वामी मुक्तानंद महाराज ने कहा कि कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि गीता मेरा हृदय है. ज्ञान भक्ति वैराग्य और जीवन को सुंदर बनाने की कला गीता सिखाती है. गीता दिव्य शस्त्र है. गीता हमें तनाव और अवसाद से मुक्त करती है. इस अवसर पर उन्होंने उपस्थिति लोगों से गीता पढ़ने का संकल्प कराया.
इस अवसर पर उद्योगपति व समाजसेविका राजश्री बिरला ने कहा कि उनका यह सौभाग्य है कि एकसाथ संतों के दिव्य दर्शन का उन्हें अवसर मिला. सत्संग सभा का आयोजन जीवन के लिए महत्वपूर्ण है.
कार्यक्रम का संचालन महावीर प्रसाद रावत ने किया. इस अवसर पर पूर्व न्यायाधीश केके लाहोटी, पुनीत भाटिया, लक्ष्मीकांत तिवारी, डॉ एसपी मरदा, चंपा लाल सरावगी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. सत्संग सभा को सफल बनाने में संस्था के ट्रस्टी अरविंद नेवर, राम अवतार केडिया, मुरारीलाल दीवान, राजू चौधरी, राजेंद्र बियानी, द्वारकाप्रसाद अग्रवाल, ओमप्रकाश जाजू, सज्जन सिंघानिया, संदीप अग्रवाल व अन्य सक्रिय रहे.

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