पटना : टीईटी परीक्षा में नंबर बढ़वाने तथा पेंडिंग परीक्षा परिणाम घोषित कराने के नाम पर ठगी करनेवाले गैंग के मास्टरमाइंड प्रसेनजीत को पकड़ लिया गया है. प्रसेनजीत नालंदा जिले के बोधनगर, गोखुलपुर में फरवरी, 2017 से एसबीआइ का ग्राहक सेवा केंद्र चलाता है. उसने एक फर्जी आइडी पर जितेंद्र प्रसाद के नाम से खाता खोल रखा था और उसी खाते में ठगी का पैसा मंगाता था. खाता खोलने के लिए जिस वोटर आइडी का इस्तेमाल किया गया है, उस पर वारसलीगंज, नवादा का पता है. लेकिन, जब पुलिस ने चुनाव आयोग की सरकारी वेबसाइट पर इसे चेक किया, तो नाम-पता सब गलत मिला. इसके बाद पुलिस ने ग्राहक सेवा केंद्र के संचालक को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने खोले गये फर्जी बैंक खाता नंबर-36734629132 को फ्रीज कर दिया है. खाते में अच्छी-खासी रकम है, इसकी जांच की जा रही है. पुलिस ने प्रसेनजीत के पास से एक लैपटॉप, एक मोबाइल फोन, खोले गये खाते की छाया प्रति, खाता खोलनेवाले रजिस्टर को जब्त किया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
दरअसल पटना कोतवाली में नौ अगस्त, 2017 को अलग-अलग आवेदनों पर तीन केस दर्ज किये गये थे. इनमें कांड संख्या 449/17, कांड संख्या 450/17, कांड संख्या 451/17 के तहत मामला दर्ज किया गया था. इसमें कुछ टीईटी अभ्यर्थियों ने यह शिकायत की थी कि उनके पास फोन आ रहा है. फोन करने वाला खुद को बिहार बोर्ड का कर्मचारी बताता है और टीईटी परीक्षा में नंबर बढ़ाने तथा पेंडिंग रिजल्ट को घोषित कराने का दावा करके पैसा मांग रहा है. कई लोगों ने फोन पर बताये हुए बैंक एकाउंट नंबर पर पैसा भी भेजा था. इसके बाद पटना पुलिस ने केस दर्ज किया और छानबीन शुरू की. इसमें पता चला कि नंबर बढ़वाने के लिए कैंडिडेट को फोन कर यह जानकारी दी जाती है कि उसका रिजल्ट पेंडिंग है. वह अगर पास होना चाहता है, तो रुपये दे. अगर कैंडिडेट तैयार हो जाता था, तो फिर उसे एक बैंक एकाउंट नंबर दिया जाता था और उस पर ही पैसा डालने को कहा जाता था. इस तरह से इस गिरोह ने दर्जनों लोगों रुपये वसूल लिये थे. कैंडिडेट को इंप्रेस करने के लिए यहां तक जानकारी देते थे कि वे लोग एसएसपी मनु महाराज के साथ उठते-बैठते हैं. नंबर बढ़वाने के लिए कैंडिडेट से 50 हजार से एक लाख रुपये तक की डिमांड की जा रही थी.
पहले पकड़े गये सात लोगों की निशानदेही पर दबोचा गया प्रसेनजीत
पटना पुलिस ने टीईटी की परीक्षा होने के बाद नंबर बढ़वाने के नाम पर ठगी करनेवाले गिरोह के सात सदस्यों को 11 सितंबर, 2017 को नालंदा, नवादा व शेखपुरा में छापेमारी कर गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार जालसाजों में नीतीश कुमार (मैरा वरीठ तकरीसराय, नालंदा), इंद्रदेव प्रसाद (मैरा वरीठ, तकरीसराय, नालंदा), टुसी कुमार (रईचा, शेखोपुर, शेखपुरा), कारू पासवान (रईचा, शेखोपुर, शेखपुरा), रंजन कुमार चौधरी (पनहेसा, शेखोपुर, शेखपुरा), बासुदेव चौधरी (पनहेसा, शेखोपुर, शेखपुरा) व धनराज चौधरी (पनहेसा, शेखोपुर, शेखपुरा) शामिल हैं. इन लोगों के पास से पुलिस टीम ने कैंडिडेट के नाम व फोन नंबर की लिस्ट, 15 मोबाइल, प्रिंटर, पासबुक व लैपटॉप आदि बरामद किया गया है.
ऐसे करते थे ठगी
सात लोगों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पकड़े गये लोगों के पास से एक रजिस्टर भी बरामद किया था. इस रजिस्टर में इस बात का जिक्र है कि किन-किन कैंडिडेट से कितनी राशि ली गयी और कितनी अभी लेनी है. ये लोग कैंडिडेट के नाम व पते की लिस्ट, सिम कार्ड, मोबाइल फोन, पासबुक व एटीएम कार्ड उपलब्ध कराते थे. इसके बाद वे लोग उन कैंडिडेट को फोन कर नंबर बढ़वाने का दावा कर पैसे मांगते थे.
अभी कई हैं शक के दायरे में
इस मामले में बिहार बोर्ड, बैंक व मोबाइल कंपनियों के कर्मचारी भी शक के घेरे में है. पुलिस को कई कैंडिडेट का नाम व मोबाइल नंबर की लिस्ट मिली है, जो बिहार बोर्ड के पास ही रहती है. किसी कर्मचारी ने ही वह लिस्ट जालसाजों को उपलब्ध कराया है. इसके अलावा फर्जी नाम व पते पर बैंक खाता खोला गया है. फर्जी नाम व पते के आइडी प्रूफ पर सिम कार्ड उपलब्ध कराये गये हैं. इससे यह स्पष्ट है कि इन विभागों या कंपनियों का कोई व्यक्ति जालसाजों को ये सारे सामान उपलब्ध करा रहा था.