मालदा: बाढ़ में सबकुछ गंवा चुके एक किसान ने आत्महत्या कर ली. उसने कर्ज लेकर आमन धान की खेती की थी. बीते दिनों आयी बाढ़ में उसका घर, खेत सबकुछ तबाह हो गया. खेत में धान का एक पौधा तक नहीं बचा है. ऐसे में कर्ज चुकाने का दबाव भारी पड़ा और अभिमान्य देवनाथ (30) ने कीटनाशक पी लिया. यह घटना वामनगोला थाने की महेशपुर ग्राम पंचायत के गुनाईडांगा में घटी. इस पंचायत क्षेत्र में अभिमान्य की तरह हजारों किसान बाढ़ में तबाह हुए हैं.
अभिमान्य अपनी पत्नी सांत्वना और सात साल के बेटे अंकन के साथ रहते थे. मंगलवार को भोर में उन्होंने कीटनाशक पी लिया. गंभीर अवस्था में उन्हें पहले नालागोला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से उन्हें कालदिघी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रेफर कर दिया गया. हालत और बिगड़ने पर उन्हें मालदा मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां मंगलवार रात को उनकी मौत हो गयी.
आम तौर पर वामनगोला ब्लॉक में बाढ़ का भयावह रूप देखने को नहीं मिलता है. अन्य सालों की तरह इस बार भी किसानों ने बाढ़ आने से पहले आमन धान की खेती बड़े पैमाने पर की थी. अभिमान्य ने अपनी 10 बीघा जमीन में धान लगाया था. जानकारी के मुताबिक उन्होंने खेती के लिए ढाई लाख रुपये कर्ज लिया था. इसमें कृषि सहकारी समिति का 50 हजार रुपये का कर्ज भी शामिल है. बाकी दो लाख रुपये उन्होंने इलाके के एक महाजन से लिये थे. बाढ़ में उनकी धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गयी. उनका घर भी पानी डूबकर तबाह हो गया. परिवार को लेकर उन्हें स्वास्थ्यबाद जूनियर हाइ स्कूल में उन्हें आश्रय लेना पड़ा. उन्होंने वहां करीब 10 दिन गुजारे. इसके बाद पानी उतरने पर वह घर लौटे. कुछ दिनों बाद खेतों का पानी उतरना भी शुरू हुआ. दो दिन पहले उन्होंने जाकर देखा तो पाया कि खेत में धान का एक पौधा भी नहीं बचा है. इसके बाद वह मानसिक रूप से टूट गये.
अभिमान्य के दो भाई हैं. बड़े भाई समीर देवनाथ ने बताया, भाई धान और सरसों की खेती करता है. खेती पर ही उसका परिवार निर्भर है. खेती के लिए उसने कर्ज ले रखा था. बाढ़ में एक तो सबकुछ तबाह हो गया, ऊपर से कर्ज का बोझ. इसे दबाव को भाई झेल नहीं सका. इसके कारण उसने आत्महत्या की.
बाढ़ से हजारों हजार किसान तबाह
संबंधित ग्राम पंचायत गुनाईडांगा के अलावा सापमारी, मालडांगा, बादियापाड़ा, भुयापाड़ा के किसानों को भी बाढ़ में भारी नुकसान हुआ है. मृतक के एक रिश्तेदार द्विजेंद्रलाल देवनाथ ने बताया कि हजारों हजार किसान तबाह हो गये हैं. हम लोगों की एकफसली जमीन है. बारिश पर ही हमारी खेती निर्भर है. लेकिन इस बार बाढ़ ने सब नष्ट कर दिया. इलाके के ही एक अन्य बाढ़ प्रभावित किसान परिमल देवनाथ ने आरोप लगाया कि बाढ़ के समय तिरपाल और कुछ राहत सामग्री देकर पंचायत और प्रशासन ने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली. खेती को हुए नुकसान के बारे में कोई पूछने तक नहीं आया है. मुआवजा के बारे में कहीं से कोई आश्वासन नहीं मिला है. संबंधित पंचायत समिति के कर्माध्यक्ष गणेश चौधरी ने बताया कि बाढ़ से वामनगोला के बड़े इलाके में तबाही हुई है. बहुत से किसानों को नुकसान हुआ है. अभिमान्य की आत्महत्या से हम सभी दुखी हैं. हम लोगों ने इलाके में हुए नुकसान के बारे में जिल प्रशासन को जानकारी दी है. जो संभव होगा, हम लोग किसानों के लिए करेंगे.