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BIHAR : गुरुग्राम रेयान इंटरनेशनल स्कूल छात्र प्रद्युम्न हत्या मामला के बाद, बच्चों की सुरक्षा पर चर्चा प्रभात खबर में

गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल के छात्र प्रद्युम्न की हत्या ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. इस घटना के बाद आज हर अभिभावक सदमे में है और यह सोच रहा है कि अपने जिगर के टुकड़े को आखिर किसके भरोसे स्कूल में छोड़े. अभिभावकों को समझ नहीं आ रहा कि अब वे […]

गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल के छात्र प्रद्युम्न की हत्या ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. इस घटना के बाद आज हर अभिभावक सदमे में है और यह सोच रहा है कि अपने जिगर के टुकड़े को आखिर किसके भरोसे स्कूल में छोड़े. अभिभावकों को समझ नहीं आ रहा कि अब वे क्या करें? एक तरफ उनके बच्चों की पढ़ाई और दूसरी तरफ उनकी सुरक्षा. इस घटना के बाद अब हर मां अपने बच्चे को स्कूल भेजने के वक्त सशंकित रहती है.
यह सूरत बदले और एक बार फिर अभिभावक अपने बच्चों को पूरे विश्वास के साथ स्कूल भेज सकें, इस उद्देश्य से प्रभात खबर ने इस पर एक परिचर्चा आयोजित की. इसमें राज्य के प्रमुख स्कूलों के प्राचार्य, शिक्षक, स्कूल एसोसिएशन और अभिभावकों ने भाग लिया. उन्होंने इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए बच्चों की सुरक्षा पर खुल कर अपनी बातें रखीं.
प्रभात खबर में आयोजित परिचर्चा में भाग लेते अतिथि.
यह घटना एक इत्तेफाक है. कोई भी स्कूल संचालक यह नहीं चाहेगा कि उसके परिसर में इस तरह की घटना हो. अभिभावकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी को भी ध्यान देने की जरूरत है.
मोतिउर्र रहमान (डायरेक्टर,
किड्स इंटरनेशनल स्कूल व कॉमर्स शिक्षक)
यह घटना शर्मनाक है. ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि बच्चे स्कूलों में सुरक्षित रहें. इसके लिए अवेयरनेस जरूरी है. बच्चों की काउंसेलिंग होनी चाहिए. स्कूल प्रबंधन को बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुख्ता प्रबंध करना चाहिए.
दिनेश राणा, डायरेक्टर, बीएन कांवेंट हाईस्कूल
बच्चे छह घंटे स्कूल में और अठारह घंटे अभिभावक के साथ रहते हैं. माता-पिता को अपने बच्चों को पूरा समय देना चाहिए. उनसे खुल कर बात करें. उनसे पूछना चाहिए कि कोई उनके साथ गलत हरकत तो नहीं करता.
जेपी सिंह, वाइस प्रिंसिपल, बाल्डविन एकेडमी
मुझे इस घटना पर अत्यधिक शोक है और आश्चर्य भी. इस घटना की तहकीकात की जानी चाहिए क्योंकि मुझे लगता है कि इसमें गार्जियन की कोई पुरानी दुश्मनी या कोई अन्य मामला हो सकता है. स्कूल वाले एेसा नहीं कर सकते हैं.
डाॅ डीके सिंह, अध्यक्ष, बिहार पब्लिक स्कूल एवं चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन
असेंबली जब हो रही हो तो किसी को क्लासरूम में रहने की इजाजत न हो, न बच्चों को, न स्टाफको. बाथरूम के बाहर सीसीटीवी होना चाहिए. ट्रांसपोर्टेशन को फुलप्रूफ करने की जरूरत है. सीबीएसई के नाॅर्म्स का सख्ती से पालन हो.
शमाइल अहमद, राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्राइवेट स्कूल ए‌वं चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन
इनका रखें ख्याल तो रुकेंगी घटनाएं
1. स्कूलों के लिए कानून बने, काउंसेलर रखे जाएं
2. सीसीटीवी हर स्कूल में अनिवार्य हो और अभिभावक को भी स्कूलों में अपने बच्चों की जानकारी दी जाये
3. सभी स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन हो
4. टीचर्स व पैरेंट्स के बीच काे-ऑर्डिनेशन रहे
5. बच्चों की परवरिश के दौरान संस्कार आदि पर ध्यान दें
6. स्कूलों में बच्चों को अवेयर भी किया जाये
7. बच्चों काे आय का साधन नहीं समझा जाये, उन्हें अपने बच्चों से कंपेयर करके देखें
8. स्कूली बच्चों पर नजर रखें और एलर्ट रहें
9. अभिभावक भी अपने बच्चों के साथ थोड़ा समय बिताएं और उनके दोस्त बनें
10.गुड टच व बैड टच की समझ बच्चों में विकसित करें और उसकी तुरंत जानकारी देने को कहें
11. स्कूलों में शिकायत पेटी हो, जिसमें नाम गुप्त रख कर शिकायत की जा सके और उन शिकायतों पर कार्रवाई हो
12. स्कूलों में सुरक्षा उपकरण व मेटल डिटेक्टर हों
13. असेंबली में बच्चों का रहना अनिवार्य करें और तब क्लास में भेजें, जब शिक्षक वहां पहुंच जाएं
14.अभिभावकों को एडमिशन से पहले पूरा स्कूल परिसर देखने की छूट हो, बाथरूम भी
15.बिना चेकिंग के बाहरी लोग या स्टाफ को भीतर जाने की परमिशन न हो
16.प्राचार्य स्कूल का मुआयना बीच-बीच में करते रहें
17.समाज के सांस्कृतिक पतन की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए, नैतिक शिक्षा और संस्कार को लोगों को अपनाने की जरूरत है.
जिनके बच्चे स्कूल में पढ़ने जाते हैं , उनके मन में कई अनकहे सवाल उठ रहे हैं, जाे उनके बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी हैं. अपने बच्चे की सुरक्षा कैसे करें, इसकी कोशिश में जुटा है. सही मायने में देखा जाये, तो घटना के लिए पूरा सिस्टम दोषी है.
सरिता सुलेखा, लायंस क्लब सिनोरिटा
पैरेंट्स को फ्रेंडली होने की जरूरत है. बच्चा कैसे आैर कहां परेशान है, पहले उसके मन की बात कोसमझना होगा. वहीं, स्कूलों के लिए कानून भी बनाना होगा. स्कूल के शिक्षक और उसमें काम करने वाला हर व्यक्ति की काउंसेलिंग जरूरी है.
मधु मंजरी , सामाजिक कार्यकर्ता
समाज की सोच और नैतिकता का पतन हाे रहा है. लोग फायदे और नुकसान के इतर कुछ और नहीं सोचते हैं. पैरेंट्स के पास बच्चों की बात सुनने का समय नहीं है. स्कूल बच्चों की सुरक्षा की अनदेखी कर अपने हित साधने में जुटे हैं.
शालिनी वैश्कियार, लायंस क्लब सिनोरिटा
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्कूल और पैरेंट्स की जिम्मेदारी बहुत अधिक बढ़ गयी है. स्कूल प्रबंधन जांच-परख कर कर्मियों को नियुक्त करें. बच्चे अगर स्कूल में छह से सात घंटे बिता रहे हैं, तो यह जरूरी है कि वह अच्छे लोगों के साथ रहें.
डॉ बिंदा सिंह, मनोवैज्ञानिक
जिम्मेदारी लेने की जरूरत
इसकी जिम्मेदारी सभी को लेने की जरूरत है. स्कूल प्रबंधन अकेला दोषी नहीं हो सकता. पैरेंट्स बच्चों को टाइम नहीं देते, यदि स्कूल इसकी शिकायत करता भी है, तो पैरेंट्स यह कह कर चले जाते हैं, कि हमने तो आपके पास भेजा है. जबकि बच्चों को अवेयर करने का काम पैरेंट्स बखूबी कर सकते हैं. स्कूल प्रबंधन को उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उठानी चाहिए.
मेरी बेटी भी स्कूल से लेट घर लौटी थी. स्कूल बस वाले ने सभी बच्चों को उतार कर उसे तीन घंटे तक अकेले रखा, बाद में बाइक से घर पहुंचाया. स्कूल को चाहिए कि अच्छे बैकग्राउंड के लोगों को नियुक्त करे, ताकि सुरक्षा को कोई खतरा न हो.
नीता शर्मा, समाजिक कार्यकर्ता
बच्चों की सुरक्षा बहुत जरूरी है. चाहे वह स्कूल बस में हो या फिर क्लास रूम में. इसके लिए स्कूल प्रबंधन प्रयासरत भी है. पैरेंट्स अपने बच्चों के साथ एक क्वालिटी टाइम जरूर बितायें. उनकी परेशानियों को सुनें.
ज्योति सिंह , शिक्षिका
मासूम बच्चे की हत्या एक सांस्कृतिक हार है. प्रद्युम्न की मौत से यह साफ जाहिर होता है कि देश का कोई बच्चा सुरक्षित नहीं हैं. अच्छे संस्कार से सुरक्षा की भावना जागृत होती है. स्कूलों में महिलाओं की अधिकाधिक नियुक्ति की जाये.
डॉ नीतू नवगीत, लोक गायिका
स्कूल सिक्योरिटी एक बड़ा इश्यू है. कोई नहीं चाहता कि इस तरह की घटनाएं हों. लेकिन लोगों की मानसिकता खराब होते जा रही है. नैतिकता का भी पतन हुआ है. गलत नजरिये वाले लोग अब हर जगह हैं.
मणि भूषण प्रताप सेंगर, अधिवक्ता
बच्चों को ऐसे रख सकते हैं सुरक्षित
– स्कूल कैंपस
में क्लासरूम से लेकर हर जगह सीसीटीवी कैमरे से मॉनीटरिंग
– स्कूल के मेन इंट्री गेट पर मेटल डिटेक्टर से जांच
– बसों में सीसीटीवी कैमरे व जीपीएस
– पैरेंट्स के लिए आई कार्ड अनिवार्य
– वॉशरूम के बाहर भी सीसीटीवी कैमरा लगे

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