25.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इस विधान के साथ ऐसे करें जीवित्पुत्रिका व्रत, सारी मनोकामना होगी पूरी और पुत्र की होगी लंबी आयु

पटना : अपने संतान की लंबी आयु और उसके मृत्यु दोष को हरने के जिस पर्व को माताएं करती हैं, उसे जीवित्पुत्रिका व्रत कहा जाता है. जीवित्पुत्रिका व्रत के बारे में विशेष जानकारी देते हुए डॉ. श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं किअश्विन कृष्ण अष्टमी के दिन जो व्रती स्त्रियां अन्न भक्षण करती हैं, वें मृत वत्सा […]

पटना : अपने संतान की लंबी आयु और उसके मृत्यु दोष को हरने के जिस पर्व को माताएं करती हैं, उसे जीवित्पुत्रिका व्रत कहा जाता है. जीवित्पुत्रिका व्रत के बारे में विशेष जानकारी देते हुए डॉ. श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं किअश्विन कृष्ण अष्टमी के दिन जो व्रती स्त्रियां अन्न भक्षण करती हैं, वें मृत वत्सा एवं दुर्भाग्य को पाने वाली होती हैं.हमारे यहां गलत परंपरा है कि धर्म को ठीक से न समझने वाले कुछ लोगों ने व्रतियों को जल पीने से भी मना कर दिया है. इसका व्रतियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. केवल अन्न का निषेध है. ऐसा वर्षकृत्य में उल्लेख है. ऐसी मान्यता है कि सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा अपनी संतान की आयु, आरोग्य तथा उनके कल्याण हेतु पूरे विधि-विधान से यह पावन पवित्र व्रत किया जाता है. लेकिन यह व्रत संतान यानी पुत्र और पुत्री दोनों के लिए किया जाता है.

संतान के स्वस्थ, सुखी और दीर्घायु होने की कामना के लिए माताएं जीवित्पुत्रिका व्रत करती हैं. मुख्य रूप से इस व्रत को वही स्त्रियां रखती हैं, जिन्हें संतान होते हैं. पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत को रखने वाली स्त्रियों को कभी संतान शोक से संतप्त नहीं होना पड़ता. साथ ही यह मृतवत्सा, बच्चों को मरण, दोष को भी दूर करता है. यह संतान के चतुर्विद विकास के लिए किया जाता है. इस दिन माताएं आपार श्रद्धा से इस व्रत को करती हैं. सबसे पहले स्नान करके भगवान नारायण का ध्यान करते हुए अपने संतान की दीर्घ आयु का संकल्प लेती हैं .पूरे दिन निर्जला रहकर शाम के समय सूत से बनी हुई जिवुतिया धारण करके जीमूतवाहन और शंखचूर्ण वाली व्रत सुनती हैं.

प्रतिवर्ष पितृ-पक्ष के दौरान परिवार में बच्चों के कल्याण के लिए अनुष्ठान कराया जाता है. माताएं सरसों तेल एवं खल्ली अपनें परिवार की महिला पूर्वजों और भगवान जीमूतवाहन को चढ़ा कर प्रार्थना करती हैं. इस दिन माताओं के द्वारा चील एवं सियारिन को चूड़ियां चढ़ाई जाती तथा दही खिलायी जाती है. सूर्योदय होने के बाद उनका निर्जला व्रत प्रारंभ हो जाता है. धर्मशास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि व्रत के दौरान रात्रि जागरण, चिंतन, मनन और षोड्शोपचार विधि से भक्ति भाव के साथ किया गया पूजन सफल होता है. जो महिलाएं प्रदोष काल में जीमूतवाहन की पूजा करती है और पूरा भक्ति भाव रखती है, इससे उनके पुत्र को लम्बी उम्र, व सभी सुखो की प्राप्ति होती है, इस व्रत को स्त्रियां करती है प्रदोष काल में व्रती जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा की धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करती है, और उससे पूजा-अर्चना करती है, इसके साथ मिट्टी तथा गाय के गोबर से चील व सियारिन की प्रतिमा बनायी जाती है रतिमा बनने के बाद इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाते है, पूजा के समय व्रत महत्व की कथा का श्रवण किया जाता है. महिलाएं गले में लाल-पीले रंग के कच्चे धागों में गुंथी प्रत्येक पुत्र के नाम से बनी सोने व चांदी की प्रतीक चिह्न जिउतिया को धारण करती हैं.

डॉ. श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं कि आज के परिवेश में शर्बत,चाय फल का रस पानी लेने में शास्त्र अनुसार कोई दोष नहीं है. साथ ही जो लोग रोगी हैं वह अन्न छोड़कर दवा, ड्राई फ्रूट भी ले सकते हैं, क्योंकि केवल अन्न का निषेध है. यह उपाय उनके रोगावस्था एवं मध्यम मार्ग के लिए बेहतर रहेगा. खासकर जो महिलाएं घर और बाहर के लिए काम करती हैं उनको अपने सेहत और बेहतरी के लिए यह काम बिल्कुल रूप से करना चाहिए. चुकीपुरानी परंपरा से निकलते हुए आज के वर्तमान स्थिति में ऐसा करना ही बेहतर मार्ग एवं मध्यम मार्ग हो सकता है. महर्षि वाग्भट्ट ने अपनी पुस्तक अष्टाङ्ग हृदयं में लिखा है जन्म के समय से लेकर मरण के समय तक निरंतर आमाशय में अम्ल पैदा होते रहता है.उस अम्ल को समाप्त करने के लिए जल निरंतर पीते रहता आवश्यक है.5-6 घंटे तक यदि पेट खाली रखा जाय तो उसमें अम्ल की वृद्धि होती है. किसी भी व्रत में जिस स्त्री को पति पुत्र-पुत्री ज़िंदा हो या व्रत करना हो उन्हें जल अवश्य पीना चाहिए.

यह भी पढ़ें-
बिहार : पूर्वजों के प्रति श्रद्धा-कृतज्ञता ज्ञापित करने का विशेष मौका है पितृपक्ष में पिंडदान, डॉ. श्रीपति त्रिपाठी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें