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BIHAR : लैंड पूलिंग से अमरावती के लिए मिली जमीन : मोदी
आंध्र प्रदेश में जमीन अधिग्रहण की व्यवस्था बेहतर पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आंध्रप्रदेश की निर्माणाधीन राजधानी अमरावती के लिए 33 हजार एकड़ जमीन 29 गांवों के 24 हजार किसानों से छह महीने के अंदर जमीन अधिग्रहण किये बिना लैंड पूलिंग सिस्टम के जरिये हासिल की गयी. आंध्र प्रदेश में किसानों […]
आंध्र प्रदेश में जमीन अधिग्रहण की व्यवस्था बेहतर
पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आंध्रप्रदेश की निर्माणाधीन राजधानी अमरावती के लिए 33 हजार एकड़ जमीन 29 गांवों के 24 हजार किसानों से छह महीने के अंदर जमीन अधिग्रहण किये बिना लैंड पूलिंग सिस्टम के जरिये हासिल की गयी. आंध्र प्रदेश में किसानों को आधार नंबर, बैंक एकाउंट और मृदा स्वास्थ्य कार्ड को ई-पॉश से जोड़ कर डीबीटी के जरिये उर्वरक की आपूर्ति की जा रही है.
इससे प्रति एकड़ उन्हें 1750 रुपये की बचत हो रही है. जनवितरण प्रणाली की दुकानों को भी ई-पॉश मशीन से जोड़ दिया गया है जिससे खाद्यान्नों की हेराफेरी पर कारगर रोक लगी है. मोदी ने बताया कि अमरावती के किसानों को प्रति एकड़ जमीन के बदले 1000 वर्ग गज आवासीय और 250 से 450 वर्ग गज व्यावसायिक प्लॉट विकसित कर देने के साथ ही 10 साल तक 30 से 50 हजार रुपये प्रति वर्ष 10 प्रतिशत वृद्धि के साथ क्षतिपूर्ति के तौर पर अतिरिक्त दिया जा रहा है. 56 हजार प्लॉट अब तक किसानों को दिये जा चुके हैं. भूमिहीन मजदूरों को 2500 रुपये प्रति माह 10 वर्षों तक दिया जायेगा.
इसके अलावा जिन किसानों ने अपनी जमीन दी है उनका डेढ़ लाख तक का कर्ज माफ कर दिया गया है. जमीन देने वाले परिवारों को उच्च शिक्षा, कौशल विकास, मकान और बिना किसी विस्थापन के यथावत रहने की सुविधा देकर सरकार ने उन्हें विकास में भागीदार बना दिया है. ई-पॉश मशीन पर किसानों को अंगूठा लगा कर यह पता चल जाता है कि उसकी जमीन को यूरिया, पोटाश या अन्य किसी उर्वरक की कितनी मात्र की जरूरत है क्योंकि उसका आधार कार्ड, बैंक एकाउंट और मृदा स्वास्थ्य कार्ड इससे जोड़ दिया गया है.
पहले जहां प्रति एकड़ उर्वरक पर किसान को 4300 रुपये खर्च आता था अब उन्हें 2550 रुपये ही लगता है. ‘आधार आधारित उर्वरक वितरण’ योजना से किसानों को प्रति एकड़ उर्वरक के उपयोग में 1750 रुपये की बचत हो रही है. राज्य की सभी पीडीएस दुकानों को भी ई-पॉश मशीन से जोड़ दिया गया है जिससे यह पता चल जाता है कि किस दुकान को कितने खाद्यान्न की जरूरत है उतना ही जीपीएस लगे ट्रकों से उन्हें आपूर्ति की जाती है.
कोई भी व्यक्ति किसी भी दुकान से खाद्यान्न की खरीददारी कर सकता है. ई-पॉश मशीन पर अंगूठा लगा कर खरीददार अपने बैंक खाते से भुगतान करता है. इससे खाद्यान्नों की चोरी पर कारगर रोक लगी है.
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