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बुलेट ट्रेन का भूमि पूजन व बहुमुखी सहयोग बढ़ाने के उपायों पर गौर करेंगे मोदी-एबे

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष बुधवार को होनेवाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के बीच बहुमुखी संबंधों को बढ़ाने और विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी को आगे बढ़ाने के उपायों पर विचार करेंगे. शिंजो एबे की दो दिवसीय यात्रा बुधवार से शुरू होगी. इस यात्रा के दौरान वह और […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष बुधवार को होनेवाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के बीच बहुमुखी संबंधों को बढ़ाने और विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी को आगे बढ़ाने के उपायों पर विचार करेंगे. शिंजो एबे की दो दिवसीय यात्रा बुधवार से शुरू होगी. इस यात्रा के दौरान वह और मोदी गुजरात के गांधीनगर में 12वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे. दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये और उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण के बाद क्षेत्र में पैदा हुए तनाव के बीच यह शिखर सम्मेलन होगा. मोदी और एबे के बीच यह चौथा वार्षिक शिखर सम्मेलन होगा.

दोनों नेता पिछले तीन वर्षों में 10 बार मिल चुके हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल नवंबर में जापान का दौरा किया था. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, दोनों नेता अपनी विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी की रूपरेखा के तहत भारत एवं जापान के बीच बहुआयामी सहयोग में हाल में हुई प्रगति की समीक्षा करेंगे और भविष्य की अपनी दिशा तय करेंगे. अपनी भारत यात्रा के दौरान एबे मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेलवे के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होंगे. उस यात्रा में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया था.

दोनों प्रधानमंत्री वड़ोदरा में बनने जा रहे हाई-स्पीड रेल प्रशिक्षण संस्थान के भूमि पूजन कार्यक्रम में वीडियो लिंक के जरिये शामिल होंगे. व्यापारिक बैठक में शामिल होने के साथ ही दोनों नेता गांधीनगर में दांडी कुटीर का भी दौरा करेंगे. दांडी कुटीर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन दर्शन और शिक्षाओं को दर्शानेवाला भारत का सबसे बड़ा संग्रहालय है. सुरक्षा समेत कई क्षेत्रों में भारत और जापान के संबंध मजबूत हुए हैं. दोनों देशों ने पिछले सप्ताह अपनी वार्षिक सुरक्षा वार्ता में रक्षा उत्पादन के मामलों में करीबी सहयोग का संकल्प लिया था.

रक्षा पर दोनों देशों के बीच बातचीत के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) प्रणय वर्मा ने ब्योरा नहीं दिया, लेकिन कहा कि नयी दिल्ली और तोक्यो के बीच रक्षा सहयोग प्राथमिकता का क्षेत्र होना चाहिए. यह पूछे जाने पर कि क्या इस साल जुलाई में भारत-जापान असैन्य परमाणु सहयोग करार होने के बाद किसी परियोजना पर काम शुरू हुआ है तो वर्मा ने कहा कि दोनों देशों के बीच इसको लेकर बातचीत शुरू होनी है कि इसे कैसे आगे बढ़ाया जाये कि भारत के असैन्य परमाणु कार्यक्रम में योगदान मिल सके. एशिया-अफ्रीका विकास गलियारे से जुड़े सवाल पर वर्मा ने कहा कि बातचीत चल रही है और भारत दूसरे देशों में जापान के साथ सहयोग को लेकर आशान्वित हैं.

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