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पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है गोकुल जलाशय

अनदेखी : काले हिरन, नीलगाय और विदेशी पक्षियों से गुलजार रहता है गोकुल जलाशय का इलाका रोजगार की हैं अपार संभावनाएं ब्रह्मपुर : बिहार और उत्तरप्रदेश की गोद में गंगा मइया ने गोकुल जलाशय को बक्सरवासियों के लिए जीवन दान के रूप में छोड़ रखा है. ब्रह्मपुर प्रखंड के एक बड़े भू-भाग में फैले इस […]

अनदेखी : काले हिरन, नीलगाय और विदेशी पक्षियों से गुलजार रहता है गोकुल जलाशय का इलाका
रोजगार की हैं अपार संभावनाएं
ब्रह्मपुर : बिहार और उत्तरप्रदेश की गोद में गंगा मइया ने गोकुल जलाशय को बक्सरवासियों के लिए जीवन दान के रूप में छोड़ रखा है. ब्रह्मपुर प्रखंड के एक बड़े भू-भाग में फैले इस जलाशय को देखते ही बनता है.
यहां विचरण करने के लिए प्रति वर्ष विदेशी पक्षियों का झुंड पहुंचता है. गोकुल जलाशय के आसपास काले हिरनों की दुर्लभ प्रजातियाें के साथ-साथ नीलगायों के लिए यह इलाका अभयारण्य स्थल के रूप में विकसित हो गया है. दिसंबर से जुलाई तक इस क्षेत्र में विदेशी पक्षियों का कलरव सुनाई पड़ता है, जो बरबस राहगीरों को रुकने पर विवश कर देता है.
इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए स्थानीय लोग वर्षों से मुहिम चला रहे हैं, मगर सरकार की उदासीनता के कारण क्षेत्र का विकास अब तक संभव नहीं हो सका है. इस रास्ते से गुजरनेवाले को हमेशा हिरनों व नीलगायों के झुंड को नदी के किनारे विचरण करते दिखते हैं. वैसे तो यह गंगा की गोद में है और गंगा का पानी सालों भर रहता है, मगर इस क्षेत्र की धर्मावती नदी भी कई स्थानों पर गोकुल जलाशय में जाकर मिलती है.
40 वर्ग किलोमीटर में फैला है क्षेत्र : डुमरांव अनुमंडल के चक्की से लेकर नैनीजोर तक 25 किलोमीटर की लंबाई और डेढ़ किलोमीटर की चौड़ाई में फैले इस क्षेत्र के लोगों का कहना है कि वर्ष, 1955 में जब गंगा नदी की धारा बदली, तो वह 10 किलोमीटर उत्तर की दिशा में चली गयी.
तटीय क्षेत्र गोकुल जलाशय के रूप में जल से परिपूर्ण रहा. जलाशय के आसपास चक्की, गायघाट, बलुआ, दल्लूपुर, अधुरा, चंद्रपुरा महुआर, नैनीजोर समेत दर्जनों गांव बसे हैं. इन गांवों के लोगों को जलाशय से खेती, पशुओं के लिए पानी एवं मछुआरों के लिए रोजी-रोटी चलाने का साधन है.
पौने चार करोड़ की योजना खटाई में : गोकुल जलासे के क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए जिला प्रशासन ने 2012 में 3.711 करोड़ रुपये राशि की प्राक्कलन बनाकर जिला मत्स्य विभाग के जरिये राज्य सरकार के पास भेजी थी,लेकिन अब तक इस परियोजना पर कोई कार्य नहीं हुआ.
प्राक्कलन में ब्रह्मपुर अंचल के नैनीजोर इलाके में 47528 एकड़ भूमि के जल ग्रहणवाले क्षेत्र में करीब 20 किलोमीटर लंबे और 300 मीटर चौड़े विभाग में मरिन ड्राइव के साथ नौका बिहार के लिए परियोजना तैयार की गयी थी.
इसके अतिरिक्त मछली पालन, मोती पालन, नौकायन, आपदा प्रशिक्षण, झींगा पालन उद्योग के लिए लाभकारी साबित हो सकता है. जो बेरोजगारों के लिए रोजगार का साधन बन सकता है.
विकसित करने की मुहिम चला रहे बीस वर्षों से : प्रखंड के बलुआ गांव निवासी समाजसेवी शिवजी सिंह वर्ष, 1996 से ही गोकुल जलासे के क्षेत्र को विकसित करने के लिए प्रयासरत हैं. मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक इसके उत्थान के लिए गुहार लगा चुके हैं. बीस साल से अपने इस अभियान के लिए प्रयास करते-करते जवान से बूढ़े हो चले हैं, लेकिन गोकुल जलासे की सूरत नहीं बदल सकी है.

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