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अगले साल के अंत तक सभी जिलों में आयुष आरोग्य केंद्र

लखनऊ : सरकारी चिकित्सा प्रणाली में योग और अन्य भारतीय उपचार पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंत तक राज्य के हर जिले में आयुष आरोग्य केंद्र स्थापित करने का फैसला किया है. प्रदेश के आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्म सिंह सैनी ने कहा कि आयुष (आयुर्वेद, […]

लखनऊ : सरकारी चिकित्सा प्रणाली में योग और अन्य भारतीय उपचार पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंत तक राज्य के हर जिले में आयुष आरोग्य केंद्र स्थापित करने का फैसला किया है. प्रदेश के आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्म सिंह सैनी ने कहा कि आयुष (आयुर्वेद, योग व नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धि तथा होम्योपैथी) के कोई दुष्प्रभाव नहीं होते, लिहाजा यह अनेक गंभीर बीमारियों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है.

उन्होंने कहा, राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में आयुष आरोग्य केंद्र स्थापित करने का फैसला किया है. मुजफ्फरनगर में गत तीन सितंबर को प्रदेश का ऐसा पहला केंद्र खोला गया है. इस कैलेंडर वर्ष में कम-से-कम 42 अन्य केंद्र भी खोले जायेंगे. मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंतर तक सभी 75 जिलों में ऐसे केंद्रों की स्थापना कर ली जायेगी. सैनी ने बताया कि आयुष केंद्रों की स्थापना जनसंघ के महान नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की अंत्योदय के सिद्धांत को लागू करने की दिशा में एक कदम होगा.

उन्होंने बताया कि सरकार लखनऊ तथा पीलीभीत में राजकीय औषधि निर्माणशाला रूपी परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों वाली प्रयोगशाला के पुनरुद्धार पर भी विचार कर रही है. सैनी ने बताया कि लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, बरेली, बस्ती तथा कुशीनगर में जल्द ही 50 शैय्याओं वाले आयुष अस्पतालों का संचालन शुरू हो जायेगा. सरकार राज्य में 10 और आयुष अस्पताल शुरू करने की योजना बना रही है. अलीगढ़ और कानपुर में तो इन अस्पतालों का निर्माण शुरू भी हो चुका है.

उन्होंने कहा कि सरकार सभी शासकीय अस्पतालों में डॉक्टरों तथा पैरा-मेडिकल स्टाफ के खाली पदों को जल्द से जल्द भरने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. आयुष अस्पतालों के खुलने से जनस्वास्थ्य की जरूरतों को पूरा करने में अतिरिक्त मदद मिलेगी. आयुष राज्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सरकारों ने राज्य में आयुष तंत्र में सुधार के लिए कुछ नहीं किया. पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी सरकार ने तो इस तरफ सबसे कम ध्यान दिया, क्योंकि इसके पीछे उनके निहित स्वार्थ थे. लोगों को आयुष के अन्य चिकित्सा पद्धतियों के मुकाबले बेहतर होने का यकीन दिलाना इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती है.

मालूम हो कि वर्ष 2014 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सत्तारूढ़ होने के बाद भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने पर खास जोर देने का इरादा जाहिर किया था. इसके लिए नौ नवंबर 2014 को अलग से आयुष मंत्रालय भी स्थापित किया गया था.

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