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रोजगार देने में असफल रही सरकार, शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी की भयावह स्थिति
प्रधानमंत्री मोदी सालाना एक करोड़ रोजगार देने के अपने वादे पर सफल नहीं हो पाये हैं. जब कार्यकाल के मात्र दो वर्ष ही शेष बचे हों, ऐसे में हालात और भी चिंताजनक हो जाते हैं. वर्ष 2027 तक भारत में सर्वाधिक श्रम बल होगा, अर्थव्यवस्था की गति बरकरार रखने के लिए रोजगार के मोर्चे पर […]
प्रधानमंत्री मोदी सालाना एक करोड़ रोजगार देने के अपने वादे पर सफल नहीं हो पाये हैं. जब कार्यकाल के मात्र दो वर्ष ही शेष बचे हों, ऐसे में हालात और भी चिंताजनक हो जाते हैं. वर्ष 2027 तक भारत में सर्वाधिक श्रम बल होगा, अर्थव्यवस्था की गति बरकरार रखने के लिए रोजगार के मोर्चे पर सफल होना आवश्यक है.
भारत सरकार के अनुमान के मुताबिक, 2022 तक 24 सेक्टरों में 11 करोड़ अतिरिक्त श्रम बल की जरूरत होगी. मौजूदा कार्यबल में मात्र पांच प्रतिशत ही हैं, जो निर्धारित कार्यकुशलता के मानकों पर खरे हैं, ऐसे में कुशल पेशेवरों को तैयार करने की चुनौती कहीं ज्यादा बड़ी होगी.
शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी की भयावह स्थिति
युवा बेरोजगारी पर आये एक हालिया सर्वे के मुताबिक, शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी की स्थिति कहीं खराब हो चुकी है. सर्वे के अनुसार, 18-29 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं में बेरोजगारी दर 10.2 प्रतिशत, जबकि अशिक्षितों में 2.2 प्रतिशत है. स्नातकों में बेरोजगारी दर 18.4 प्रतिशत पर पहुंच गयी है. भविष्य में ज्यादा-से-ज्यादा शिक्षित युवा कार्य-बल में दाखिल होंगे, ऐसे में संतोषजनक नौकरी नहीं मिलने पर असंतोष का बढ़ना लाजिमी है.
बेरोजगारी दर गिरने के आसार नहीं
तीन वर्ष के कार्यकाल में केंद्र सरकार ने युवाओं को प्रशिक्षित करने के मकसद से तमाम योजनाओं की शुरुआत की, लेकिन नौकरियां पैदा करने के मामले में सारे प्रयास अब तक अपेक्षित परिणाम नहीं दे सके हैं. इस मुद्दे पर विपक्ष सरकार को निशाने पर लेता रहा है. वर्ष की शुरुआत में आयी संयुक्त राष्ट्र श्रम रिपोर्ट में कयास लगाया गया था कि 2017 और 2018 में नौकरियां कम आयेंगी और बेरोजगारी और बढ़ सकती है. गत वर्ष के मुकाबले 2017 में बेरोजगारी का आंकड़ा 1.77 करोड़ से बढ़ कर 1.78 करोड़ और 2018 में 1.8 करोड़ हो जायेगा. रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी दर 3.4 प्रतिशत के स्तर पर बरकरार रहेगी.
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