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BIHAR : नयी पीढ़ी को ध्यान में रख कर बनेगी श्रम नीति : विजय सिन्हा

पटना : राज्य के श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि नयी पीढ़ी को ध्यान में रख कर सरकार अपनी श्रम नीति बनायेगी. उन्होंने विभागीय अधिकारियों को इस बाबत पहल करने का निर्देश दिया. बिहार श्रम नीति को लेकर आयोजित बैठक में मंत्री ने सभी श्रमिक प्रतिनिधियों से अनुरोध किया गया कि राज्य […]

पटना : राज्य के श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि नयी पीढ़ी को ध्यान में रख कर सरकार अपनी श्रम नीति बनायेगी. उन्होंने विभागीय अधिकारियों को इस बाबत पहल करने का निर्देश दिया. बिहार श्रम नीति को लेकर आयोजित बैठक में मंत्री ने सभी श्रमिक प्रतिनिधियों से अनुरोध किया गया कि राज्य हित में श्रम नीति में वर्णित प्रत्येक बिन्दु पर अपना निष्पक्ष राय विभाग को उपलब्ध कराये.
इस पहल को श्रमिक व व्यापार हित में एक दूरगामी उद्देश्य को पूर्ति करने वाला बनाने में सहयोग की अपील की. इस अवसर पर विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह, अपर सचिव के सेंथिल कुमार, श्रमायुक्त गोपाल मीणा आदि उपस्थित थे.
बैठक में श्रमिकों की ओर से सभी नौ केंद्रीय श्रम संगठन के प्रतिनिधि तथा नियोजकों की ओर से बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएसन, बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज एवं बिहार बिल्डर्स एसोसिएसन के प्रतिनिधि उपस्थित थे. इनके अलावा स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि एवं वरीय अधिवक्ताओं ने भी बैठक में भाग लिया.
बैठक में सभी श्रम एवं व्यापार/उद्योग संगठनों द्वारा श्रम नीति के सूत्रण को ऐतिहासिक कदम मानते हुए इस ओर किये जा रहे प्रयास की सराहना की गयी.
उनके द्वारा प्रमुख रूप से राज्य के मजदूरों के सेवा-सुरक्षा, बंद पड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को न्याय, श्रमिकों के पलायन, बिचौलियों की भूमिका पर रोक, सामान पारिश्रमिक, ठेका श्रमिक, रोजगार में बढ़ोतरी, कौशल विकास, औद्योगिक विकास इत्यादि विषयों पर अपना विचार प्रकट किया गया तथा इन विषयों को प्रस्तावित श्रम नीति में समाहित करने का अनुरोध किया गया. अधिवक्ताओं के द्वारा श्रम न्यायालय एवं औद्योगिक न्यायाधिकरण के आधारभूत संरचना को बेहतर बनाने का अनुरोध किया गया साथ ही रिक्त पड़े पदों को शीघ्रता से भरने का अनुरोध किया गया.
प्रधान सचिव ने विभाग के द्वारा उपस्थित अधिवक्ताओं से अनुरोध किया श्रम अधिनियमों से संबंधित मुकदमों के निष्पादन पर अगर कोई व्यवहारिक कठिनाई आती हो एवं उसे दूर करने हेतु किसी अधिनियम अथवा नियमावली में संशोधन भी किये जायेंगे.

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