भभुआ सदर : जिले में डायरिया अब तक कहर बन कर उभरा है. जिले में अब तक दो दर्जन से अधिक गांव डायरिया के चपेट में आ चुके हैं. जबकि, अब तक आधा दर्जन लोगों की मौत भी हो चुकी है. सबसे ज्यादा पीड़ित जिले का चांद प्रखंड है, जहां एक दर्जन से अधिक गांव डायरिया की चपेट में अब तक आ चुके हैं. प्रखंड के ईचाव गांव में अब तक तीन लोगों की डायरिया की चपेट में आने से मौत हो चुकी है. भगवानपुर प्रखंड में तीन गांव के लोग डायरिया से आक्रांत हैं,
जिसमें अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है. मोहनिया प्रखंड में पांच गांव डायरिया की चपेट में है, जिसमें दो लोगों की मौत हो चुकी है. अधौरा व रामगढ़ प्रखंड भी डायरिया से जूझ रहा है. गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र हैं. पीड़ित परिवार संबंधित पीएचसी में इलाज करा रहे हैं. लेकिन, वहां अच्छी व्यवस्था नहीं होने के कारण निजी क्लिनिक में इलाज कराने को मजबूर हैं. चांद प्रखंड के ईचाव गांव के ग्रामीण प्रमोद कुमार, लालबचन, मुन्ना आदि का कहना है कि जब भी बारिश होती है, हमलोगों का गांव पूरा पानी से घिर जाता है, चारों तरफ पानी ही पानी दिखायी देता है और पीने का पानी प्रदूषित हो जाता है.
वहीं, गंदगी इतनी रहती है कि साल भर गांव के बच्चे व बूढ़े गांव की प्रदूषित हो रहे वातावरण से बीमार होते रहते हैं. इन्हीं कारणों से अक्सर बरसात के मौसम में बच्चे, बूढ़े, जवान व महिलाएं सभी हर साल डायरिया की चपेट में आते जा रहे हैं. इस बार हमारे गांव के दो दर्जन से अधिक लोग डायरिया की चपेट में आ चुके हैं. तीन लोगों की मौत गांव में हो चुकी है. मेडिकल टीम तो आती है. लेकिन, केवल आकर खानापूर्ति कर चली जाती है, किसी का ढंग से इलाज नहीं हो पाता है.
लोग निजी क्लिनिक में इलाज कराने को मजबूर हैं. फिर भी जो लोग समय पर अस्पताल पहुंच जाते हैं. उनकी जान तो बच जाती है. लेकिन, जो लोग अस्पताल पहुंचने में सक्षम नहीं हो पाते हैं. उनकी जाने चली जाती हैं. इचाव गांव में प्रदूषित जल का इतना दहशत है कि इस साल के जनवरी से उत्क्रमित विद्यालय ईचाव में स्कूली छात्रों के बीच मध्याह्न भोजन बंद है. स्कूल के शिक्षक भी गांव के प्रदूषित जल के डर से घर से पानी लेकर स्कूल पहुंचते हैं.