कोलकाता. आज देश को एक बार फिर से शरत व सुभाष जैसे सेनानियों के जज्बे की आवश्यकता है. आज देश की एकता की बात करते समय कभी कोई तत्व बाधा करता है, कभी दूसरा सामने आ जाता है. अगर सुभाष व शरत की चली होती तो हम पश्चिम बंगाल में नहीं बंगाल में बैठे होते. जिस तरह की स्थिति यहां चल रही है, उससे 10 साल बाद बंगाल का यह रुप रहेगा कि इसमें संदेह है.
ये बातें पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने शरत बोस एकेडमी व रामकृष्ण मिशन इंस्टीच्यूट ऑफ कल्चर की ओर से आयोजित संगोष्ठी में कही.
उन्होंने कहा कि आज इतिहास के पुनर्लेखन की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि नारों के माध्यम से हमारी देशभक्ति को विभाजित करने की काेशिश की जा रही है. आज देश भक्ति के उसी जज्बे की जरुरत है जो शरदचंद्र और सुभाष बोस की थी. उन्होंने देश के अंदर व्याप्त विभाजनकारी शक्तियों की चर्चा करते हुए कहा कि देश में कहीं पत्थरबाज पैदा हो रहे हैं, तो कई लोग स्लीपर सेल का काम कर रहे हैं. पंरतु इसके बावजूद हमारा देश सशक्त रहेगा.
उन्हाेंने कहा कि जिन लोगों ने 1947 में देश का विभाजन करवाया उन्हीं लोगों ने सावरकर व सुभाष चंद्र का इतिहास लोगों के सामने प्रकट नहीं होने दिया. उस समय लोग नेताजी के आह्वान पर खून देने गये थे. यह हिंसा की नहीं देशभक्ति के जज्बे का कमाल था. आज उसकी जज्बे को जगाने की आवश्यकता है. साथ ही उन्होंने जनरल जीडी बख्शी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा उसके बाद कहने के लिए कुछ भी नहीं रह जाता है. साथ ही इस गोष्ठी के आयोजन को भी उन्होंने देशभक्ति की भावना के जागरण का परिचायक बताते हुए यहां बतौर अतिथि आने पर हर्ष व्यक्त किया. साथ ही उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि बंगाल ने पूरे देश को दिशा दिखाई है, इतिहास एक बार फिर इसको दुहराएगा.
भागवत मामला : राज्यपाल का बयान देने से इंकार
कोलकाता. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने राज्य सरकार द्वारा मोहन भागवत के कार्यक्रम पर रोक लगाये जाने के संबंध में कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया. महानगर के एक निजी शिक्षण संस्थान के कार्यक्रम में पहुंचे राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मीडिया द्वारा इस विवाद पर जब सवाल किये जाने पर कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें इस कार्यक्रम के बारे में कोई जानकारी नहीं हैं और न ही उन्हें इस कार्यक्रम में बुलाया गया था. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने किसी तरह का कोई बयान देने से इंकार किया और ‘नो कमेंट्स’ कहकर वहां से चले गये. सिस्टर निवेदिता मिशनरिस ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम तीन अक्टूबर को महाजति सदन में होनेवाला था, जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अतिथि के तौर पर बुलाये गये थे. इसकी बुकिंग अंतिम समय में रद्द कर दी गयी.