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BIHAR : पुनपुन अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला : यहां तर्पण के बाद ही गया जाते हैं पिंडदानी
मसौढ़ी : पुनपुन अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला का अपना ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व रहा है , किंतु अब भी इसके स्वरूप को और विस्तारित करने की आवश्यकता है .20 वर्ष पहले का पुनपुन व आज के पुनपुन में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है और यह संभव हुआ है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पर्यटन के […]
मसौढ़ी : पुनपुन अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला का अपना ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व रहा है , किंतु अब भी इसके स्वरूप को और विस्तारित करने की आवश्यकता है .20 वर्ष पहले का पुनपुन व आज के पुनपुन में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है और यह संभव हुआ है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा देने की सोच की वजह से . उक्त बातें पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार ने मंगलवार को पुनपुन नदी घाट पर आयोजित बिहार राज्य मेला प्राधिकार अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला के उद्घाटन करते हुए कहीं.
उन्होंने कहा कि हर साल यहां देश-विदेश के श्रद्धालु पिंडदान करने आते हैं, इसलिए मेला के स्वरूप को विस्तारित करने की आवश्यकता है.उन्होंने आश्वासन दिया कि यहां के लोगों की चिरप्रतीक्षित मांग ऋषिकेश की तरह लक्ष्मण झूला की तर्ज पर पुनपुन नदी प्रस्तावित पुल का निर्माण कराया जायेगा.
उन्होंने मौके पर मौजूद स्थानीय विधायक श्याम रजक से आग्रह किया कि वे व्यक्तिगत रूप से रुचि दिखाते हुए इससे संबंधित सभी कागजात पर्यटन विभाग को उपलब्ध करा दें .
पुनपुन में तर्पण के बाद ही गया जाते हैं पिंडदानी
मसौढ़ी. पुनपुन पिंडदानियो के लिए प्रथम द्वार माना जाता है . अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने की परंपरा पौराणिक युगों से चली आ रही है .सर्वप्रथम पुनपुन नदी घाट पर पिंडदान तर्पण करने के बाद ही श्रद्धालु गया स्थित फाल्गु नदी के तट पर पिंडदान करते हैं .पुनपुन नदी में तर्पण करने दैहिक , दैविक और भौतिक तापों से मुक्ति मिल जाती है और आत्मा को शांति प्राप्त होती है .ऐसा लोगों का मानना है . पिंडदानियों के लिए पंडा स्थल पुनपुन घाट जहां तर्पण करने का काफी महत्व गरूड़ पुराण में वर्णित है .
पहले दिन सैकड़ों लोगों ने किया पिंडदान : मंगलवार को ही देश के कई राज्यों समेत नेपाल के श्रद्धालु पुनपुन नदी घाट पर अपने पितरों की मोक्ष की प्राप्ति के लिए तर्पण किया .इनमें हैदराबाद के गोमती अग्रवाल, विजयानंद , राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, दिनेश कुमार ताजपुरिया ,कोलकता के प्रदीप सुरिका, रिवाड़ी के सत्यप्रकाश अग्रवाल,आदि लोगों ने तर्पण किया में सभी लोग गया के लिए प्रस्थान कर गये .
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