13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राजस्थान का सबसे रोमांटिक शहर उदयपुर

कायनात काजी एक युवा लेखिका हैं, उन्हें फोटोग्राफी का शौक है, साथ ही वे एक लाख किलोमीटर की यात्रा कर चुकी हैं. उनकी यात्रा इसलिए मायने रखती है क्योंकि उन्हें जितनी यात्राएं की उतना ही यात्रा वृतांत लिखा आज आपके सामने प्रस्तुत है उनके द्वारा लिखा गया एक यात्रा वृतांत :- उदयपुर रेल, सड़क और […]

कायनात काजी एक युवा लेखिका हैं, उन्हें फोटोग्राफी का शौक है, साथ ही वे एक लाख किलोमीटर की यात्रा कर चुकी हैं. उनकी यात्रा इसलिए मायने रखती है क्योंकि उन्हें जितनी यात्राएं की उतना ही यात्रा वृतांत लिखा आज आपके सामने प्रस्तुत है उनके द्वारा लिखा गया एक यात्रा वृतांत :-

उदयपुर रेल, सड़क और हवाई मार्गों से देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है. आप बड़ी आसानी से देश के किसी भी कोने से उदयपुर पहुंच सकते हैं. मैंने उदयपुर पहुंचने के लिए अपनी प्रिय सवारी भारतीय रेल को चुना. दिल्ली से रात भर का सफ़र तय करने के बाद मैं सुबह-सुबह उदयपुर के साफ सुथरे रेलवे स्टेशन पर उतरी. थोड़ी नज़र घुमाने पर सामने ही मुझे टूरिस्ट इन्फार्मेशन सेंटर नज़र आ गया. हैरानी की बात यह थी कि अभी सुबह के सात भी नहीं बजे हैं और यह टूरिस्ट इन्फार्मेशन सेंटर ना सिर्फ़ खुला था बल्कि राजस्थान टूरिज़्म डिपार्टमेंट का एक अफसर लंबी सी मुस्कान के साथ आने वाले पर्याटकों को यथा संभव जानकारियां उपलब्ध करवा रहा था. तो यह हुई ना बात. इसे कहते है सफ़र की शुभ शुरुआत .
मैं अपने इस दो दिन के उदयपुर प्रवास में यह पता लगाने की कोशिश करूंगी कि इस शहर में ऐसा क्या ख़ास है जो इसे औरों से अलग करता है? तो सबसे पहले जानते हैं इस शहर के इतिहास के बारे में. इतिहास: सन 1553 में महाराजा उदय सिंह ने निश्चय किया कि उदयपुर को नयी राजधानी बनाया जायेगा. इससे पहले तक चित्तौड़गढ़ मेवाड़ की राजधानी हुआ करता था. सन 1553 में उदयपुर को राजधानी बनाना का काम शुरू हुआ और साथ ही सिटी पैलेस का निर्माण शुरू हुआ. सन 1959 में उदयपुर को मेवाड़ की राजधानी घोषित किया गया.
उदयपुर को महाराजा उदयसिंह ने सन् 1559 ई में बसाया. उन्हें लेक पिछौला बहुत पसंद थी इसलिए अपने रहने के लिए पैलेस यहीं लेक पिछौला के किनारे बनवाया. इस पैलेस का आकर किसी बड़े शिप जैसा है.
दोस्तों अगर आप उदयपुर के चार्म को नज़दीक से जीना चाहते हैं तो ओल्ड सिटी मे लेक पिछौला के आस पास ही ठहरें. यहां आपको 5 सितारा होटल से लेकर हर बजट के होटल और होमस्टे मिल जायेंगे. मैंने भी ओल्ड सिटी का रुख़ किया. मैंने अपनी यात्रा की शुरुआत जगदीश मंदिर से की. जगदीश मंदिर यहां का एक प्रसिद्ध मंदिर है. इसका निर्माण सन 1651 में महाराणा जगत सिंह प्रथम ने करवाया था. जिसकी स्थापत्य कला देखने लायक़ है. मार्बल के पत्थरों पर उकेरी गई मूर्तियां एकदम सजीव जान पड़ती हैं. इस मंदिर मे भगवान जगन्नाथ की बड़ी-सी काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है. मंदिर के प्रांगण मे ब्रास के गरुण देवता की मूर्ति भी है.
सिटी पैलेस मार्बल का बना हुआ एक शानदार पैलेस है जिसमें कई संग्रहालय हैं. जहां मेवाड राजवंश के जीवन की झलक प्रस्तुत की गई है. जो भाग पब्लिक के लिए खुला हुआ है उसके दो हिस्से हैं. मर्दाना महल और ज़नाना महल. मर्दाना महल मे कई संग्रहालय और दार्शनिक स्थल हैं जैसे, बड़ी पॉल, तोरण, त्रिपोलिया, मानक चौक, असलहखाना, गणेश देवडी, राई आंगन, प्रताप हल्दी घाटी कक्ष, बाड़ी महल, दिलखुश महल, कांच की बुरज, और मोर चौक.
जबकि ज़नाना महल में है, सिल्वर गैलरी, आर्किटेक्चर और कन्सर्वेशन गैलरी, स्कल्प्चर गैलरी, म्यूज़िक, फोटोग्राफी, पैंटिंग और टेक्सटाइल व कॉस्ट्यूम गैलरी. मेवाड के राज घराने के जीवन से रूबरू होने मे कम से कम दो घंटे का समय तो लगता ही है. यह एक प्राइवेट पैलेस है इसलिए इसके रख रखाव पर विशेष ध्यान दिया गया है. यहां अंदर जलपान की भी व्यवस्था है.
मैंने पैलेस में घूमते हुए कई झरोखों से लेक पिछौला देखी. यह एक विशाल लेक है जिसके बीचों बीच सफेद मार्बल का एक खूबसूरत पैलेस नज़र आया मालूम करने पर पता चला कि यह जगनिवास पैलेस है जोकि अब एक 5 सितारा होटल मे तब्दील हो चुका है, ऐसा ही एक और लेकपैलेस है जिसका नाम जगमंदिर है मार्बल के बड़े बड़े हाथियों की क़तार से यह दूर से ही पहचान में आ जाता है. अब यह भी एक 5 सितारा होटल है.
सिटी पैलेस को देखने के बाद मैं मिलने वाली हूं सौरभ आर्या से जोकि टूरिज़्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं. तय हुआ है कि हम लाल घाट पर बने किसी रूफटॉप रेस्टोरेंट मे मिलेंगे. मैं पतली पतली गलियों से गुज़रती हुई लाल घाट की ओर बढ़ती हूं. मैं ढलान पर हूं और मेरे दोनों ओर पूरा का पूरा बाज़ार सज़ा है इन गलियों में, यहां से आप शॉपिंग भी कर सकते हैं. कुछ ही मिनट की वॉक के बाद में लाल घाट पहुंच जाती हूं. यह एक खूबसूरत घाट है और मेरे सामने खूबसूरत लेक पिछौला है.
मैं आसपास नज़र घुमा कर देखती हूं. यहां सभी इमारतें एक जैसी हैं. और सफेद और बादामी रंगों वाली इमारतें जिनमें झरोखे बने हुए हैं. एक प्रकार की एकरूपता बनाती हैं. यह छोटे बड़े होटेल और रेस्टोरेंट हैं. मैं सौरव से मिलती हूं और उनसे अपना सवाल पूछती हूं-वो क्या है जो उदयपुर को और शहरों से अलग बनाता है?
सौरव कहते हैं- राजस्थान मे पैलेस और किलों की कोई कमी नहीं है. लेकिन लेक पिछौला सब के पास नहीं है. उदयपुर एक ऐसी जगह है जो अतीत के राजपूती वैभव के साथ नये ज़माने की आधुनिकता दोनों का संतुलित मिश्रण प्रस्तुत करता है. सौरव से मिली जानकारी से मेरी विश लिस्ट तो तैयार हो गयी. मैंने शाम को लेक पिछौला में नौका विहार किया और सनसेट पॉइंट से सनसेट देखा. वाक़ई यह एक अद्भुत नज़ारा था. वापसी में थोड़ी रात घिर आई थी और लेक पिछौला के आसमान पर चांद भी उतर आया था. सामने सिटी पैलेस पीली रोशनियों मे जगमगा रहा था. यह बहुत सुन्दर नज़ारा है. लगता है जैसे वक़्त यहीं ठहर जाये, थम जाये. लेक पिछोला बहुत बड़ी और बहुत साफ़ लेक है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें