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निर्मला सीतारमण : सुषमा की अंगुली पकड़कर भाजपा में आयी थीं, अब सीसीएस में बराबरी से साथ बैठेंगी

निर्मला सीतारमण , यह नाम भारतीय राजनीति में आज सर्वाधिक चर्चा में है. कारण है, कल मिला इन्हें रक्षामंत्री का पद. नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के तीसरे फेरबदल में उन्हें यह पद मिला है. वे भारत की पहली महिला रक्षामंत्री हैं. इससे पहले निर्मला सीतारमण कॉरपोरेट मामलों की मंत्री थीं. मनोहर पर्रिकर के बाद रक्षा मंत्रालय […]

निर्मला सीतारमण , यह नाम भारतीय राजनीति में आज सर्वाधिक चर्चा में है. कारण है, कल मिला इन्हें रक्षामंत्री का पद. नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के तीसरे फेरबदल में उन्हें यह पद मिला है. वे भारत की पहली महिला रक्षामंत्री हैं. इससे पहले निर्मला सीतारमण कॉरपोरेट मामलों की मंत्री थीं. मनोहर पर्रिकर के बाद रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार अरुण जेटली के पास था, लेकिन वित्त के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभालना बहुत कठिन हो रहा था, ऐसे में रक्षा मंत्रालय किसे सौंपा जाये, यह नरेंद्र मोदी के लिए गंभीर टास्क हो गया था. मोदी कैबिनेट के शीर्ष मंत्रियों ने भी इस विषय पर माथापच्ची की थी और अंतत: यह पद निर्मला सीतारमण को सौंपा गया. निर्मला की योग्यता पर किसी को संदेह है, ऐसी बात नहीं है.

निर्मला सीतारमण एक काबिल और दृढ़इच्छाशक्ति की महिला हैं और अपने कामकाज से उन्होंने इस बात को साबित भी किया है, लेकिन राजनीति का बहुत अनुभव ना होने के कारण उन्हें रक्षा मंत्री का पद सौंपे जाने के फैसले पर सवाल उठ रहा है. कोई यह कह रहा है कि मोदी खुद ही यह विभाग संभालना चाहते थे इसलिए उन्होंने सीतारमण को रबर स्टांप बना दिया, तो कोई यह कह रहा है कि विभाग बदलने से कामकाज पर असर नहीं पड़ेगा. बहरहाल सीतारमण रक्षा मंत्री के तौर पर कितनी सफल साबित होंगी यह तो आनेवाला समय बतायेगा, लेकिन यह इसमें कोई दो राय नहीं कि उनके पास एक बड़ा मौका है, जब वे अपने आलोचकों का मुंह बंद कर सकती हैं और यह साबित कर सकती हैं कि योग्यता हो तो बिना अनुभव के भी इंसान सफल हो सकता है.

मजबूत इरादों वाली हैं निर्मला सीतारमण

18 अगस्त 1959 में निर्मला सीतारमण का जन्म तमिलनाडु के मदुरै में हुआ था. उनके पिता का नाम नारायण सीतारमण और मां का नाम सावित्री है. निर्मला ने त्रिचुरापल्ली से बीए की डिग्री ली और फिर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स में एमए किया. इन्होंने इंडो-यूरोपियन टेक्सटाइल ट्रेड विषय पर पीएचडी किया है. उसके बाद इन्होंने एक वरिष्ठ प्रबंधक के रूप में प्राइसवाटर हाउस कूपर और बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के लिए काम किया. सीतारमण हैदराबाद के प्रणव स्कूल के संस्थापकों में से एक हैं. साथ ही इन्होंने वर्ष 2003-05 के दौरान राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य के रूप में भी काम किया, उसी दौरान वह सुषमा स्वराज के संपर्क में आयीं और सुषमा स्वराज उन्हें भाजपा में लेकर आयीं. रक्षामंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण अब कैबिनेट की अहम व ताकतवर समितिकैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्यूरिटी की मेंबर हैं,जिसके सदस्य प्रधनमंत्री के अलावागृहमंत्री, वित्तमंत्री और विदेशमंत्री भी होते हैं. यानी अब इसअहम कमेटीके सदस्य के रूप में निर्मला अबसुषमा स्वराज के साथ बराबरी से बैठेंगी.

राजनीतिक सफर

निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2006 में भाजपा ज्वाइंन किया था और मात्र 11 साल में पार्टी ने उन्हें रक्षा मंत्री का जिम्मेदार पद सौंपा है. उन्हें पार्टी में लाने का श्रेय भाजपा की वरिष्ठ नेता और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को जाता है. वर्ष 2010 में जब पार्टी ने उन्हें प्रवक्ता बनाया तो उन्होंने जिस मजबूती के साथ पार्टी को डिफेंड किया और अपनी बातों को रखा पार्टी में उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी. 26 मई 2016 को निर्मला सीतारमण को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री के रूप में मिला. साथ ही उन्हें कारपोरेट मामलों का मंत्री भी बनाया गया, जो वित्तमंत्रालय के अधीन था. वह वर्ष 2016 से कनार्टक से राज्यसभा की सांसद हैं.

निर्मला सीतारमण की मुलाकात पति पारकला प्रभाकर से जेएनयू में पढ़ने के दौरान हुई थी. हालांकि दोनों की राजनीतिक विचारधारा अलग-अलग थी. प्रभाकर की मां कांग्रेस की विधायक रहीं थीं, जबकि ससुर आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे थे. निर्मला सीतारमण अपने पति के साथ यूके में भी रहीं, उसी दौरान उन्होंने बीबीसी और प्राइसवाटर हाउस कूपर में भी काम किया. 1991 में यह भारत वापस आ गयीं और इन्होंने आंध्र प्रदेश के नरसापुरम को अपना घर बनाया.

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