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मंत्रिमंडल के पुनर्गठन के बाद बिहार को मिला एक मंत्री ज्यादा
पटना : केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होने का एक तरह से फायदा बिहार को मिला है. एक केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी को छुट्टी मिली, लेकिन उनके स्थान पर दो सांसदों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल गयी. अब बिहार से केंद्र में बनने वाले मंत्रियों की संख्या बढ़ कर आठ हो गयी है. दो […]
पटना : केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होने का एक तरह से फायदा बिहार को मिला है. एक केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी को छुट्टी मिली, लेकिन उनके स्थान पर दो सांसदों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल गयी.
अब बिहार से केंद्र में बनने वाले मंत्रियों की संख्या बढ़ कर आठ हो गयी है. दो नये सांसदों अश्वनी कुमार चौबे और आरके सिंह को मंत्रिमंडल में जगह मिली है. दोनों को महत्वपूर्ण विभाग मिले हैं. आरके सिंह को ऊर्जा राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार मिला है. जबकि, अश्विनी चौबे को राज्य स्वास्थ्य मंत्री का प्रभार मिल है. इनके पहले से मौजूद बिहार के छह मंत्रियों के विभागों में कोई फेर-बदल नहीं किया गया है. गिरिराज सिंह को सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्योग राज्य मंत्री के प्रभार से प्रोन्नत करते हुए स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार का दबदबा तीसरे पुनर्गठन के बाद काफी बढ़ा है
लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों में भाजपा और उसके दो सहयोगी दलों रालोसपा एवं लोजपा ने मिलकर 31 सीटें जीती हैं. इसमें 22 सीटें अकेले भाजपा ने जीती है. वहीं, छह सीटें लोजपा और तीन सीटें रालोसपा ने जीती थीं. इस तरह भाजपा के 22 सांसदों में छह को केंद्र में मंत्री बनने का मौका मिला है. लोजपा और रालोसपा के दोनों पार्टी प्रमुखों को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली है. इस तरह कुल 31 सांसदों में आठ मंत्री हैं. यानी बिहार से करीब पौने चार सांसद में एक सांसद केंद्र में मंत्री का औसत हो गया है.
हालांकि यह पूर्व के गठबंधन की बात थी. अब इसमें जदयू भी नये गठबंधन के रूप में शामिल हो गया है. इसके भी दो सांसद है. इसमें फिलहाल किसी को जगह नहीं मिली है.
अगर भाजपा के मौजूदा गठबंधन के आधार पर बात की जाये, तो बिहार में एनडीए (भाजपा, जदयू, लोजपा, रालोसपा) के सांसदों की संख्या बढ़कर 33 हो जाती है. इस आधार पर करीब चार सांसद पर एक मंत्री का औसत बिहार से आता है. फिर भी यह अन्य राज्यों की तुलना में काफी बेहतर है.
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