रांची: दो से अधिक बच्चों वाले जनप्रतिनिधियों को अयोग्य घोषित कर उन्हें पद से हटाये जाने की घोषणा पर रांची नगर निगम के पार्षद खासे नाराज हैं. पार्षदों ने कहा कि अगर सरकार को ऐसा कोई नियम बनाना ही है, तो बेहतर होगा कि वह सबसे पहले अपने विधायकों-सांसदों के लिए बनाये और चुनावों में लागू कराये. उसके बाद इन नियमों को नगरपालिका, नगर परिषद और नगर िनगमों में लागू कराया जाये.
नाराज पार्षदों ने यह भी सवाल उठाया कि कोई भी नियम का पालन करने के लिए क्या केवल नगर निगम ही जिम्मेवार है? क्या राज्य सरकार अपने ऊपर उन नियमों को लागू नहीं कर सकती है? पार्षदों ने कहा कि नगर निगम को नगर निगम रहने दिया जाये,. अगर ऐसे ही नियम लागू काने की कोशिश की गयी तो यह प्रयोगशाला बन कर रह जायेगा.
क्या कहते हैं निगम के पार्षद
पांच-पांच बच्चा पैदा करके जब विधायक व सांसद बना जा सकता है, तो पार्षदों के लिए दो बच्चों की शर्त क्यों? सबके लिए एक जैसा नियम होना चाहिए. भाजपा के शासन में यही हो रहा है. सरकार को जो काम करने का मन कर रहा है, वह कर रही है. आमलोगाें की सुविधा से सरकार को कोई मतलब नहीं है.
संगीता देवी, पार्षद, वार्ड नंबर-8
नगर निगम को प्रयोगशाला बना कर रख दिया गया है. दो बच्चा हो या परिसीमन. हर चीज केवल नगर निगम में ही लागू करना है. भला इतनी जल्दी-जल्दी इस प्रकार के नियम कहीं लागू होते हैं क्या? अगर सरकार को ये नियम लागू ही करने हैं, तो सबसे पहले चीजों को विधायकों के लिए लागू करना चाहिए.
मो सलाउद्दीन, पार्षद, वार्ड नंबर-17
राज्य सरकार नियम बनाये. इस पर हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन नियम केवल पार्षदों के लिए हो, इस पर हमें आपत्ति है. सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिए, जिसके दायरे में विधायक से लेकर सांसद तक आयें. पांच-पांच साल में
नया नया नियम आयेगा, तो कौन पार्षद काम कर पायेगा.
सुधा देवी, पार्षद, वार्ड नंबर-4
नियम कानून जो भी बने, वह जनता के हित में बने, ऐसा नियम नहीं बने, जिससे जनता को ही परेशानी हो. आज नगर निगम के चुनाव के लिए दो बच्चे की शर्त रखी गयी है, लेकिन इसका कट ऑफ डेट स्पष्ट होना चाहिए. साथ ही सरकार से हमारा कहना है कि केवल पार्षद ही इस नियम के दायरे में क्यों, सांसद-विधायक को भी इसमें शामिल करें. वर्तमान में जो परिसीमन किया गया है. इससे केवल आम जनता को कष्ट होगा.
सुमन देवी, पार्षद, वार्ड नंबर-40
इस नियम से है परेशानी
झारखंड के नगर निकायों में दो से अधिक बच्चे वाले जन प्रतिनिधियों को अयोग्य घोषित कर उन्हें पद से हटाया जायेगा. नगर विकास विभाग ने राज्य के नगर निकाय, नगर पर्षद व नगर निगम के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अयोग्य करने संबंधी नियमावली को अधिसूचित कर दिया है. नियमावली के तहत 31 दिसंबर 2017 के बाद किसी भी निर्वाचित नगर निकाय प्रतिनिधि के दो से अधिक बच्चे होंगे, तो वह पद से अयाेग्य होगा़ इस नियमावली के दायरे में मेयर, डिप्टी मेयर व पार्षदों के अलावा नगरपालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व अन्य सदस्य भी आयेंगे.