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उद्देश्य था फल, सब्जी व अनाजों का प्रसंस्करण कर बाजारों में बेचने का, उदघाटन हुए डेढ़ साल बीत गये नहीं शुरू हुआ मेगा फूड पार्क

अनगड़ा: गेतलसूद स्थित मेगा फूड पार्क का उदघाटन मुख्यमंत्री सहित केंद्रीय मंत्रियों ने 15 फरवरी 2016 को किया था, लेकिन इसके डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद पार्क अब तक प्रारंभ नहीं हुआ है. 33 कंपनियों को सब लीज पर जमीन दी गयी थी, लेकिन किसी ने काम शुरू नहीं किया है. मेगा फूड पार्क […]

अनगड़ा: गेतलसूद स्थित मेगा फूड पार्क का उदघाटन मुख्यमंत्री सहित केंद्रीय मंत्रियों ने 15 फरवरी 2016 को किया था, लेकिन इसके डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद पार्क अब तक प्रारंभ नहीं हुआ है. 33 कंपनियों को सब लीज पर जमीन दी गयी थी, लेकिन किसी ने काम शुरू नहीं किया है. मेगा फूड पार्क का निर्माण 114.76 करोड़ की लागत से कराया गया है. इसके निर्माण में 50 करोड़ रुपये की सब्सिडी केंद्र सरकार व शेष राशि की वित्तीय मदद इलाहाबाद बैंक ने दी है. उदघाटन के समय मुख्यमंत्री ने क्षेत्र के बेरोजगारों को आश्वस्त किया था कि मेगा फूड पार्क के चालू हो जाने से पांच हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा. लेकिन हालत यह है कि क्षेत्र के आदिवासी काम के अभाव में पलायन को मजबूर हैं.
लोन क्लियर नहीं होने से कंपनियों का काम लटका : मेगा फूड पार्क के सूत्रों ने बताया कि कई कंपनियों का अब तक बैंक लोन क्लियर नहीं हुआ है. जिस कारण उन्हें यूनिट लगाने में परेशानी हो रही है. जल्द ही कुछ यूनिटों में काम शुरू हो जायेगा. मुख्यमंत्री ने इस बारे में झारखंड मोमेंटम में भी जानकारी दी है.
छह स्थानों पर लगना था एडिशनल सब प्रोसेस यूनिट
ज्ञात हो कि लोहरदगा, गुमला, डोमचांच, पतरातू व हजारीबाग सहित छह स्थानों पर एडिशनल सब प्रोसेस यूनिट लगाया जाना था. ताकि यहां अनाज, फल व सब्जी का प्रारंभिक प्रोसेस कर उसे गेतलसूद भेजा जा सके. सब्जी खरीद के लिए मंगाये गये 10 मोबाइल वैन व दो रेफ्रिजरेटर मोबाइल वैन खड़े-खड़े जर्जर हो गये हैं. मोबाइल वैन को खुले आसमान के नीचे रखा गया है, जिससे वह जंग खा रहा है.
रियाडा की 56 एकड़ भूमि पर बना है पार्क
रियाडा की 56 एकड़ भूमि पर मेगा फूड पार्क का निर्माण किया गया है. उद्देश्य था पार्क के अंदर फल, सब्जी व विभिन्न अनाजों का प्रसंस्करण कर उसे बाजारों में बेचने का. यहां देश के सबसे बड़े कोल्ड स्टोर का निर्माण किया गया है. जिसमें 15 मीट्रिक टन अनाज स्टोर किया जा सकता है. यही नहीं वेयर हाउस, चौबीस घंटे बिजली के लिए एक पावर सब स्टेशन व पेयजल की व्यवस्था की गयी है. कुल 33 कंपनियों को यहां सब लीज पर प्रोसेसिंग प्लांट के लिए जमीन दी गयी है. खेतों से सब्जी, फल व अनाज को कोल्ड स्टोर तक लाने व प्रोसेस किया गया सामान बाजार तक ले जाने के लिए 10 मोबाइल वैन की व्यवस्था की गयी है. जिसमें से दो रेफ्रिजरेटर मोबाइल वैन भी शामिल हैं.
कई यूनिट लगनेवाली थी योजना अधर में लटकी
पतंजलि आयुर्वेद यहां 500 टन प्रतिदिन उत्पादन का पशु आहार प्लांट, प्रति घंटा 20 टन टमाटर की प्रसंस्करण यूनिट, मटर व गोभी प्रोसेस यूनिट लगानेवाला था. लेकिन योजना अधर में लटक गयी. इसके अलावा लगभग पांच करोड़ की लागत से किचेन मेट कंपनी रांची, सात करोड़ की लागत से इस्टर्न मैन्यूफैक्चरिंग व एक्सपोर्ट, तीन करोड़ की लागत से राहा इंटरप्राइजेज, पांच करोड़ की लागत से विजय केशव इंडस्ट्रीज, सात करोड़ की लागत से फैजल फूड्स प्रालि को अपनी यूनिट लगानी था, लेकिन कार्य नहीं हुआ.

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