नयी दिल्ली : निर्मला सीतारमण रविवार को देश की पहली महिला पूर्णकालिक रक्षा मंत्री बनीं. रक्षा मंत्री के तौर पर उनके समक्ष तीनों बलों के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया तेज करने की चुनौती है. राज्यसभा सदस्य 58 वर्षीय सीतारमण रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाली दूसरी महिला बनीं. इससे पहले 1970 के दशक में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहने के साथ इस अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं. सीतारमण को रक्षा मंत्री बनाया जाना वाणिज्य मंत्री के तौर पर उनके अच्छे काम के लिये पुरस्कार के तौर पर देखा जा रहा है. मनोहर पर्रिकर के गोवा का मुख्यमंत्री बनने के लिये मार्च में रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद से वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास रक्षा मंत्रालय का भी प्रभार था.
सीतारमण अब सुरक्षा मामलों पर महत्वपूर्ण मंत्रिमंडलीय समिति की सदस्य होंगी. इस समिति में रक्षा मंत्री के अलावा प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री होते हैं. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘कोई जो छोटे शहर से आया है, नेतृत्व के भरपूर समर्थन से पार्टी में आगे बढ़ा है और अगर उसे इस तरह की जिम्मेदारी दी जाती है तो आपको महसूस होता है कि लौकिक कृपा है. अन्यथा, यह असंभव है.’ सीतारमण ने कहा कि वह अभिभूत हैं. सीतारमण को बधाई देते हुए जेटली ने कहा, ‘मैं अब आश्वस्त हूं कि निर्मला सीतारमण के रूप में बेहद सक्षम व्यक्ति मेरा उत्तराधिकारी है. वह आगे का मार्ग प्रशस्त करेंगी.
मंत्री बनने से पहले सीतारमण भाजपा की मुख्य प्रवक्ताओं में से एक थीं. वह प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय की छात्र रह चुकी हैं. रक्षा मंत्री के तौर पर सीतारमण बदलते क्षेत्रीय सुरक्षा मैट्रिक्स और भूराजनैतिक गतिविधि की वजह से थल सेना, नौसेना और वायु सेना की लड़ाकू क्षमताओं को मजबूत बनाने समेत कई चुनौतियों का सामना करेंगी. रक्षा विशेषज्ञ महसूस करते हैं कि डोकलाम तनातनी के बाद चीनी सेना की ओर से घुसपैठ आने वाले महीनों और सालों में बढ़ सकती है और सीतारमण इस तरह के जटिल मुद्दों से निपटने में चुनौती का सामना कर सकती हैं. सरकार घरेलू रक्षा उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रही है और सीतारमण को अमेरिका और रुस समेत कई देशों के साथ महत्वाकांक्षी ‘रणनीतिक भागीदारी’ को लागू करने समेत कई बड़ी सुधार पहल को आगे बढ़ाना होगा.
नये मॉडल के तहत भारत में विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ भागीदारी करके पनडुब्बी और लड़ाकू जेट जैसे रक्षा प्लेटफॉर्म के निर्माण में चुनिंदा भारतीय निजी फर्मों की सेवाएं ली जायेंगी. गत 30 अगस्त को सरकार ने भारतीय सेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने के लिये बड़े सुधारों की घोषणा की थी. इसके तहत तकरीबन 57000 अधिकारियों और अन्य रैंक के कर्मचारियों की फिर से तैनाती भी की जायेगी. इस पहल को लागू करने में उन्हें अहम भूमिका निभानी है. सीतारमण को रक्षा अनुसंधान संगठनों के आधुनिकीकरण और रक्षा क्षेत्र के विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का आधुनिकीकरण करने की चुनौती का भी सामना करना होगा.