।। उर्मिला कोरी ।।
फिल्म : बादशाहो
निर्देशक : मिलन लुथरिया
कलाकार : अजय देवगन, इमरान हाशमी, इलियाना डिक्रूज, विद्युत जामवाल, संजय मिश्रा और अन्य
रेटिंग : ढाई स्टार
‘वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई’ के बाद निर्देशक मिलन लुथरिया, अभिनेता अजय देवगन और इमरान हाशमी की तिकड़ी ने ‘बादशाहो’ से वापसी की है. इस बार भी कहानी असल घटना से प्रेरित है और किरदार 70 के दशक के हैं. जिन्हें भारी-भरकम संवाद और निखार देते हैं.
बादशाहो की कहानी की बात करें, तो फिल्म की कहानी 1975 के दौर की है, जब पूरे देश में उथल-पुथल मची थी. इसी बीच जयपुर महारानी गीतांजलि देवी (इलियाना डिक्रूज) के घर छापा पड़ता है.
छापे की कार्यवाही में उनका खजाना सरकार जब्त कर लेती है. सरकार इस खजाने को एक ट्रक में भरकर रोड के जरिये दिल्ली भेजने का फैसला करती है.
इस ऑपरेशन का इंचार्ज ऑफिसर सहर (विद्युत जामवाल) को बनाया जाता है. गीतांजलि अपने खास आदमी भवानी सिंह (अजय देवगन) को उन्हें रोकने के लिए भेजती है.
इसके बाद जयपुर से दिल्ली के रास्ते में भवानी के साथ संजना (ईशा गुप्ता), दलिया (इमरान हाशमी), तिकला (संजय मिश्रा) मिलकर इसे बीच में ही लूटना चाहते हैं.
क्या ये लोग खजाना लूटने में कामयाब होंगे? यह तो फिल्म देखने पर ही मालूम होगा. प्यार, धोखा, थ्रिल का तड़का कहानी में है. लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कहानी और बेहतरीन तरीके से लिखी जा सकती थी. एक वक्त में आकर फिल्म थोड़ी बोरियत महसूूस कराती है.
फिल्म का स्क्रीनप्ले कमजोर है, जबकि वन्स अपॉन ए टाइम में फिल्म की कहानी और सिचुएशन खास थे. मगर इस बार वही फिल्म में सबसे कमजोर रह गये हैं.
अभिनय की बात करें, तो फिल्म में अभिनय के कई मंजे हुए नाम हैं. सभी ने अपना अपना काम बखूबी निभाया है. संजय मिश्रा, इमरान हाशमी और अजय देवगन का काम इनमें खास रहा है.
फिल्म के संवाद कहानी का अहम हिस्सा हैं और लेखक रजत अरोरा निराश नहीं करते हैं. फिल्म का गीत-संगीत अच्छा है. ‘पिया मोरे’ और ‘रश्के कमर’ खासहैं. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी कमाल की है.
फिल्म को 70 का लुक देने के लिए बहुत प्रयास किये गये हैं. कलाकारों का लुक हो या वाहनों का, उसी के अनुसार तैयार किया गया है. आखिर में अगर आप एक्शन और थ्रिलर जॉनर के प्रसंशक हैं, तो यह फिल्म एक बार देख सकते हैं.