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BIHAR : 20 माह में तीन बार देह मंडी में बिकी शबनम, वहां से ग्राहकों के पास भेजा जाने लगा

सासाराम नगर : जिले के अमझोर थाना क्षेत्र की रहनेवाली है शबनम (काल्पनिक नाम). पिछले 20 माह में यह देश की चार देह मंडियों में बिकी. किस्मत ने साथ दिया तो आज वह अपने घर सुरक्षित लौट आयी है. यहां आने पर पिछले 20 माह में मिले यातनाओं की प्राथमिकी दर्ज करायी और अपने को […]

सासाराम नगर : जिले के अमझोर थाना क्षेत्र की रहनेवाली है शबनम (काल्पनिक नाम). पिछले 20 माह में यह देश की चार देह मंडियों में बिकी. किस्मत ने साथ दिया तो आज वह अपने घर सुरक्षित लौट आयी है. यहां आने पर पिछले 20 माह में मिले यातनाओं की प्राथमिकी दर्ज करायी और अपने को बेचने वाले पर कार्रवाई की आस पुलिस पर लगायी है.
पुलिस इसी माह आठ अगस्त को मोबाइल कॉल ट्रेस कर उसे उत्तर प्रदेश के बदायूं की देह मंडी से मुक्त करायी है. शबनम कहती है कि ‘अपने ही लोगों ने मुझे बेचा, जब मैं इनके खिलाफ खड़ी हुई हूं, तो वह मुझ पर दबाव बनाने लगे हैं. वह कहते हैं कि जो हुआ उसे भुल जाओ. अब मामला शांत हो जाने दो. लेकिन, मैं सिर्फ अपने लिए नहीं,अपनी बहनों के लिए लड़ूंगी. मेरी जिदंगी तो बर्बाद हो गयी, लेकिन देह व्यापार में लगे लोगों को बेनकाब करूंगी.’
एक माह बाद पता चला कि अब गलत हाथ में आ गयी
शबनम को पड़ोस के ही दो युवक अब्दुल उर्फ बब्लू व अख्तर कुरैशी नौकरी का झांसा देकर 27 दिसंबर, 2015 को घर से ले गये. उसी दिन डेहरी में दोनों युवक शबनम को एक दूसरे व्यक्ति के सुपुर्द कर दिये और कहा कि इनके साथ जाओ यह तुम्हें अच्छी नौकरी दिला देंगे.
उस आदमी ने ट्रेन से शबनम को उसी रात पटना ले गया. अगले दिन उस आदमी ने उसे पटना देह मंडी में माला नाम की एक महिला को सौंप दिया. वह महिला एक सप्ताह तक उसे बेटी की तरह रखी. उसके बाद उसे धंधा करने के लिए दबाव बनाने लगी. शबनम ने बताया कि तब उसे अहसास हुआ कि वह गलत औरत के हाथ लग गयी. इनकार करने पर बुरी तरह मारा-पीटा गया. मजबूर होकर महिला कि बात माननी पड़ी. मुझे ग्राहकों के पास भेजा जाने लगा.
दिल्ली में नहीं, पर बदायूं में मिली शारीरिक प्रताड़ना
करीब छह माह बाद माला मुझे लेकर दिल्ली आ गयी. दो दिन बाद मुझे एक दूसरी महिला कांति को सौंपा. दिल्ली में पटना से बेहतर स्थिति थी.
देह व्यापार तो करना ही था, लेकिन यहां शारीरिक प्रताड़ना नहीं दी जाती थी. दिसंबर 2016 में मुझे दिल्ली से बदायूं लाया गया. जहां नरक से भी बदतर जिदंगी थी. बदायूं में गुलामों की तरह रखा जाता था. 20 जुलाई को मुझे संयोग से मोबाइल मिला उसी से मैं अपने घर फोन की और यही एक मात्र कॉल से मुझे नरक से मुक्ति मिल सकी. आगे युवती के चाचा ने बताया कि शबनम का कॉल आते ही उम्मीद कि किरण जगी.
कॉल बनी मुक्ति का आधार
चाचा ने कहा कि जिस नंबर से शबनम का कॉल आया था उस नंबर को अमझोर थानाध्यक्ष को दिया गया. पुलिस उक्त नंबर को सर्विलांस पर रख लोकेशन का पता लगा ली. छह अगस्त को पुलिस बदायूं के लिए रवाना हुई. सटीक जानकारी पर पुलिस बंदायू देह मंडी से उसे मुक्त करा ले आयी. इधर, शबनम के गुम होने के बाद दोनों ढुढ़ने का ढाेंग कर रहे थे. जब इनके विरुद्ध शबनम के बयान पर प्राथमिकी दर्ज हुई तो केस उठाने के लिए धमकी दे रहे है.
पुलिस गहनता से कर रही जांच
शबनम 27 दिसंबर, 2015 को घर से गायब हुई थी. परिजन शबनम को सभी जगह खोज-बीन किये. नहीं मिलने पर 16 जनवरी, 2016 को अमझोर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. पुलिस उसे ढूढ़ने का बहुत प्रयास की.
इस वर्ष 20 जुलाई को जब शबनम का फोन अाया तो उसे ट्रेस कर बंदायू से मुक्त करा लाया गया. पुलिस अब मामले की पूरी गहनता से जांच कर रही है. इसमें जो भी दोषी होंगे उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी.
वेंकटेश्वर ओझा, थानाध्यक्ष, अमझोर

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