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मजदूरी के दलदल में फंसा बचपन

शहरी क्षेत्र के कई होटलों व गैराजों में अबभी बालश्रम कानून की उड़ रही धज्जियां नवादा : बालश्रम मुक्त अभियान के नाम पर आज भी विभागीय खानापूर्ति से मासूमों का जीवन सुरक्षित करने में कोताही बरती जा रही है. कार्रवाई के नाम पर धावा दल का हवाला दिया तो जा रहा है, पर वह केवल […]

शहरी क्षेत्र के कई होटलों व गैराजों में अबभी बालश्रम कानून की उड़ रही धज्जियां
नवादा : बालश्रम मुक्त अभियान के नाम पर आज भी विभागीय खानापूर्ति से मासूमों का जीवन सुरक्षित करने में कोताही बरती जा रही है. कार्रवाई के नाम पर धावा दल का हवाला दिया तो जा रहा है, पर वह केवल फाइलों तक ही सीमित है. इसका ज्वलंत उदाहरण शहर के विभिन्न होटलों व गैराजों में काम करने वाले बाल श्रमिकों को काम करते देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है.
कई तरह से हो रहा बाल श्रमिकों का शोषण बाल श्रमिकों का कई तरह से शोषण हो रहा हैं. इसके लिये राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार ने कई नियम व कानून बना रखे हैं.
इतना ही नहीं, जिले के हिसुआ प्रखंड को दो दशक पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी एन विजय लक्ष्मी ने बालश्रम मुक्त प्रखंड भी घोषित कर चुकी थी. बावजूद वर्तमान स्थिति यह है कि पूरा जिला बाल श्रमिकों से पटी है. ऐसा नहीं है कि ये बाल श्रमिक छिप कर काम करते हैं बल्कि खुले आम काम करते नजर आ रहे हैं.
विभाग को पलायन करने वाले मजदूरों पर रहती है नजर ़ श्रम विभाग को उन सीजन का इंतजार बेसब्री से रहता है जिसके नाम पर मोटी कमाई किया जा सके. यह सीजन अब आ चुका है. गणेश पूजा के बाद ऐसे मजदूरों का पलायन शुरू हो जाता है. इसके बाद श्रम विभाग बस पड़ावों और स्टेशनों पर नजर लगाये रहता हैं. वहां से उन पलायन करने वाले मजदूरों की धर-पकड़ अभियान चलाकर ठेकेदारों से मोटी रकम वसूली किया जाता है. यह एक ऐसा कड़वा सत्य है, जो प्रत्येक वर्ष देखने को मिलता है.
चंद प्रवासी मजदूरों को छुड़ा कर विभाग दिखा रहा उपलब्धि ़ दूसरे प्रदेशों में काम करने वाले चंद बाल श्रमिकों को मुक्त करा कर विभाग यह साबित करने में लगी है कि वह बाल श्रमिकों के प्रति काफी उदार हैं व सरकार के नियमों पर खरा उतर रहे हैं. श्रम विभाग के आंकड़ों में वर्ष 2014-15, 2015-16, 2016-17,तथा 2017-18 में अब तक कुल 225 बाल श्रमिकों को विभिन्न राज्यों से मुक्त कराया गया है. इसमें 151 नवादा के बाल श्रमिक शामिल हैं़
क्या कहते हैं अधिकारी ़ श्रमिकों को विमुक्त करा कर सरकारी योजनाओं का लाभ दिये जाने का प्रावधान है. श्रम अधीक्षक ने कहा कि बाल श्रमिकों को कहां-कहां से मुक्त कर छुड़ाया जाये. एक जगह से छुड़ाते हैं तो दूसरी जगह काम करने लगता है. वैसे प्रत्येक बुधवार को बाल श्रमिकों को को मुक्त कराने के लिये धावा दल शहर में छापेमारी करते है.
पार्टी फंक्शन में बाल श्रमिकों को लगाना बना फैशन
पार्टी फंक्शन में इन बाल श्रमिकों को लगाने की बनी परंपरा अब तो एक नया फैशन बन गया है. घर हो या सार्वजनिक स्थल हर तरफ बाल श्रमिकों को लगाया जा रहा है. ऐसे स्थानों पर हर वैसे लोग होते हैं जो समाज में बालश्रम पर उंगलियां उठाया करते हैं.
परंतु ऐसे अवसरों पर तो उनका स्वार्थ होता है जहां उन बाल श्रमिकों का शोषण किया जाता है. वैसे सार्वजनिक स्थानों पर यदा-कदा अभियान चलाकर थोड़ा-बहुत कार्रवाई किया जाना आम बात है. लेकिन उन बाल श्रमिकों के प्रति कभी अभियान नहीं चलाया जा सका है जो समाज के ठेकेदारों व ऑफिसरों के घरों में रहकर एक जेल की तरह जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
ऐसे स्थानों पर बाल श्रमिकों से काम लेने के संबंध में कहा जाता है कि बाल श्रमिक काम ज्यादा करते हैं और हर तरह के काम कराया जा सकता है. इसके साथ ही गलती होने पर दंड भी दिया जाये तो वह आवाज नहीं उठाते हैं और तो और इनको ज्यादा तनख्वाह भी कम देना पड़ता है. कहीं-कहीं तो केवल भोजन के नाम पर बाल श्रमिकों से काम लिया जा रहा है. बावजूद श्रम विभाग कार्रवाई करने में हिम्मत नहीं जुटा रहे हैं.
राशि बाल श्रमिकों का व जमा रखता हैं विभाग
मुख्यमंत्री राहत कोष के तहत विमुक्त राशि को विभाग के खाते में रखने का प्रावधान बताया जाता है. बताया गया कि 60 बाल श्रमिकों को विमुक्त करा कर इस योजना के तहत प्रत्येक बाल श्रमिकों के नाम पर 25-25 हजार रुपये खाते में जमा कराया गया हैं. इस कोष का नाम बाल श्रमिक पुनर्वास कल्याण कोष है.
जहां राज्य सरकार द्वारा 5 हजार रुपये व जहां से विमुक्त किया जाता है, वहां के संचालक से बतौर जुर्माना 20 हजार रुपये लेकर कुल 25 हजार रुपये बाल श्रमिकों के नाम पर विभाग उक्त कोष में जमा रखती है. यह राशि बाल श्रमिकों को बालिग होने परदिया जाता है. दुर्भाग्य यह है कि उनको विमुक्त के समय केवल 3 हजार रुपये दिये जाते हैं, जो कपड़ा, भोजन व दवा के लिये होते हैं.
अब उन बाल श्रमिकों को बालिग होने तक काम भी नहीं करना होता है व वह अपने हिस्से की राशि को निकाल भी नहीं सकता है. वैसे उनके लिये शिक्षा और आवास की व्यवस्था भी दी गयी है, पर यह सब फाइलों तक ही है. बताया जाता है कि उन विमुक्त बाल श्रमिकों को विभाग के कोष में राशि जमा कराने के लिये आधार कार्ड के माध्यम से खाता खोलवाने का प्रावधान है

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