श्रीमती करात ने कहा कि झारखंड में बेहतर मेडिकल नीति की आवश्यकता है. झारखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर बड़े अस्पतालों में नर्सों व चिकित्सकों की कमी है. झारखंड में स्वास्थ्य के आंकड़े भी राष्ट्रीय स्तर पर सही नहीं हैं. इसे ठीक करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि देश के जीडीपी का पांच प्रतिशत भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में आबंटित नहीं किया जाता है.
शिक्षा का अधिकार अधिनियम की तरह स्वास्थ्य सुविधा भी सभी को मिलनी चाहिए. हाल ही में झारखंड में कुपोषण से 62 बच्चे मरे हैं. इसकी जांच होनी चाहिए. राज्य सरकार ने एक रुपये के टोकन मनी पर अपोलो अस्पताल को जमीन दी है. महिलाओं को डायन के नाम पर मार दिया जा रहा है. स्वास्थ्य की आधारभूत संरचना नहीं है. स्वास्थ्य सेक्टर को इंडस्ट्री का रूप दिये जाने से रोकने की जरूरत है. कार्यक्रम को डॉ सुनीता, सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला, डॉ पीसी हेंब्रम व डॉ केएन चटर्जी ने भी संबोधित किया. सभी ने नीति, संस्थागत, स्वास्थ्य सेवा और आधारभूत संरचना को लेकर राज्य सरकार को मांग पत्र दिये जाने की बात कही. सभी स्टेक होल्डरों के साथ जन स्वास्थ्य के संबंध में निरंतर संवाद स्थापित करने व संगठन को सशक्त बनाने की भी मांग की. संचालन समीर दास ने किया.