अच्छे काम कर हम अपने जीवन को सुखमय बनायें. हम अपने साथ अपने गांव, राज्य व देश को भी अच्छा बनाने का संकल्प लें. करमा प्रकृति की ताकत है. प्रकृति की पूजा ही जनजातीय समाज की पूजा है. सनातन और सरना समाज एक हैं. कुछ लोग सरना समाज और सनातन समाज में विभेद करना चाहते हैं. जबकि सनातन समाज सरना समाज के बिना अधूरा है. सनातन समाज की पूजा पद्धति में तो प्रकृति के बिना भगवान भी अधूरे हैं.
अपने संबोधन में दास ने भगवान की पूजा में पेड़-पौधों, घास-पत्तों के उपयोग का उल्लेख करते हुए कहा: हमें सावधान रहने की आवश्यकता है. अपनी विरासत, संस्कृति व परंपरा को बचाने की आवश्यकता है. हम सबों, खास कर भारत के युवाओं पर अपनी सभ्यता व संस्कृति को बचाने की जिम्मेवारी है.
मुख्यमंत्री ने बिरसा मुंडा और कार्तिक उरांव का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार उन दोनों ने संस्कृति को बचाने की लड़ाई लड़ी, उनके वंशज होने के नाते हमें भी अपनी संस्कृति की रक्षा करनी होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार बहुत छोटी होती है जबकि समाज में ताकत होती है, इसलिए समाज ही संस्कृति की रक्षा कर सकता है. दास ने बताया कि आगामी बजट में सभी जनजाति क्षेत्र में अखड़ा निर्माण हेतु प्रावधान किया जायेगा, जहां समाज के लोग पर्व-त्योहार के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम व धार्मिक अनुष्ठान पूरी कर सकें. उन्होंने कहा कि स्थानीय विधायक व सांसद की मांग पर जनजातीय क्षेत्र में अखड़ा बनेगा, जिससे समाज की संस्कृति की रक्षा होगी. कार्यक्रम को मनोहरपुर विधायक जोबा मांझी एवं सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने भी संबोधित किया. गिलुवा ने कहा कि कुडुख हो आदिवासी समाज के लोग प्रकृति की पूजा करते हैं और हमारी भाषा और संस्कृति ही हमारी पहचान है. उन्होंने कहा कि समाज के सभी लोगों को संस्कृति को बचाने के प्रति गंभीर होने की आवश्यकता है.