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बंगाल : एटीएम- जहां से पैसे नहीं, निकलता है खाना, अब भूखे पेट नहीं सोयेंगे गरीब

मुश्ताक खान कोलकाता : इसमें कोई दो राय नहीं कि विकाशील देशों की तालिका में भारत एक प्रमुख नाम है. जीवन के हर क्षेत्र में हमारा देश आगे बढ़ रहा है, पर इसके बावजूद यह हम सब भारतीयों के लिए शर्म की बात है कि आज भी हमारे देश में करोड़ों लोगों को भूखे सोना […]

मुश्ताक खान

कोलकाता : इसमें कोई दो राय नहीं कि विकाशील देशों की तालिका में भारत एक प्रमुख नाम है. जीवन के हर क्षेत्र में हमारा देश आगे बढ़ रहा है, पर इसके बावजूद यह हम सब भारतीयों के लिए शर्म की बात है कि आज भी हमारे देश में करोड़ों लोगों को भूखे सोना पड़ता है.संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 20 करोड़ लोग प्रतिदिन भूखे पेट सोने को मजबूर हैं. यह संख्या चीन से भी अधिक है. आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रत्येक वर्ष 23 करोड़ टन दाल, 12 करोड़ टन फल एवं करीब 21 करोड़ टन सब्जियों का नुकसान होता है.

भूख के मामले में शहरों की स्थिति और भी खराब है. जहां रोज होने वाली पार्टियों में बड़ी संख्या में खाद्य सामग्रियां नष्ट होती हैं, वहीं हजारों लोगों को रोजाना भूखे सोना पड़ता है. लोगों का पेट भरने के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू कर रखी हैं. स्वयंसेवी संस्थाएं भी अपने-अपने स्तर पर लोगों की मदद करने का प्रयास कर रही हैं.

इन सबके बीच कोलकाता में एक अभिनव पहल की गयी है. जहां खाने की बर्बादी रोकने एवं भूखों का पेट भरने के लिए एक फूड एटीएम की शुरूआत की गयी है. फूड एटीएम शुरू करने की इस अनोखी पहल का श्रेय महानगर के एक मशहूर रेस्तरां सांझा चुल्हा को जाता है. जिसका मकसद उन लोगों का पेट भरना है, जिन्हें अक्सर भूखे पेट सोना पड़ता है. सांझा चुल्हा ने यह फूट एडीएम पार्क सर्कस में सीआइटी रोड स्थित अपने आउटलेट के बाहर चालू किया है. इस काम में रोटरी क्लब, राउंड टेबल एवं जेआइटीओ जैसी संस्थाएं भी साथ दे रही हैं.

फूड एटीएम दरअसल 320 लीटर क्षमता वाला एक रेफ्रिजरेटर है, जिसमें लोग अपना बचा हुआ खाना डालते हैं और इस बचे हुए खाने को भूखे लोगों के बीच वितरित किया जाता है. इस संबंध में सांझा चुल्हा रेस्तरां चेन के पार्टनर आसिफ अहमद ने बताया कि हम लोग अपने ग्राहकों को उनका बचा हुआ खाना पैक कर इस रेफ्रिजरेटर में डालने का आवेदन करते हैं.

अब तो हमारे ग्राहकों के अलावा अन्य लोग भी यहां आ कर अपना बचा हुआ खाना इसमें डालने लगे हैं. कुछ लोग तो ताजा खाना तक दान कर रहे हैं, जो भूख के खिलाफ शुरू की गयी इस अभियान को धीरे-धीरे मिल रही सफलता की ओर इशारा करता है. श्री अहमद के अनुसार उनका यह फूड एटीएम भारत के अन्य शहरों एवं दुनिया के अन्य देशों में चलाये जा रहे फूड बैंक की अवधारणा से प्रेरित है.

इस फूड एटीएम से खाना लेने के लिए किसी कार्ड की जरूरत नहीं है. श्री अहमद का कहना है कि कोई भी भूख से मजबूर व्यक्ति इस फूड एटीएम से अपने लिए खाना हासिल कर सकता है. बड़ी संख्या में लोग यहां से खाना ले जा रहे हैं. श्री अहमद जल्द ही फूड एटीएम की अपनी इस योजना को महानगर स्थित सांझा चुल्हा के अपने और तीन आउटलेट तक ले जाने की योजना बना रहे है.

सांझा चुल्हा रेस्तरां के पास ही रहने वाले अनिरुद्ध गांगुली ने बताया कि यह एक बेहत बढ़िया पहल है. पहले हम लोग अपना बचा हुआ खाना कुड़ेदान में फेंक दिया करते थे, पर इस फूड एटीएम को चालू हो जाने पर अब हमारे घरों में बचा हुआ खाना किसी के काम आ रहा है. इस रेस्टुरेंट में अक्सर आने वाले शमीम अख्तर ने कहा कि शहर के अन्य होटलों व रेस्टुरेंट में भी यह व्यवस्था चालू करनी चाहिए. पहले हम लोग जो खाना छोड़ देते थे, उसे फेंक दिया जाता था, पर अब हम लोग स्वयं उसे पैक कर फूड एटीएम में डाल देते हैं. हमारे बचे हुए खाने से किसी का पेट भरता है, यह सोच कर ही एक तरह का सकून मिलता है.

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