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उद्धारक की राह देख रही प्रभाकर पुष्करणी

हाजीपुर : व्य वहार न्यायालय परिसर में स्थित बौद्ध कालीन ऐतिहासिक प्रभाकर पुष्कर्णी अपनी बदहाली पर वर्षों से आंसू बहा रहा है. ऐतिहासिक सरोवर के सौंदर्यीकरण के बजाये उसे लोगों ने कूड़े दान बना दिया है. व्यवहार न्यायालय के कारगिल परिसर में स्थित उक्त सरोवर के सौंदर्यीकरण की मांग वर्षों से उठ रही है. अधिवक्ताओं […]

हाजीपुर : व्य वहार न्यायालय परिसर में स्थित बौद्ध कालीन ऐतिहासिक प्रभाकर पुष्कर्णी अपनी बदहाली पर वर्षों से आंसू बहा रहा है. ऐतिहासिक सरोवर के सौंदर्यीकरण के बजाये उसे लोगों ने कूड़े दान बना दिया है. व्यवहार न्यायालय के कारगिल परिसर में स्थित उक्त सरोवर के सौंदर्यीकरण की मांग वर्षों से उठ रही है. अधिवक्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से सरोवर के सौंदर्यीकरण की मांग को लेकर जिला पदाधिकारी एवं जिला एवं सत्र न्यायाधीश को पूर्व में आवेदन भी दिया जा चुका है.

ऐतिहासिक महत्व के होने के कारण उक्त सरोवर से लोगों का काफी गहरा सरोकार है. एक माह के भीतर बदहाल सरोवर की सफाई का डीएम ने दिया था आदेश : दस जनवरी 2017 को डीएम रचना पाटिल ने आदेश दिया था कि एक महीने के अंदर सरोवर की साफ-सफाई कर उसका सौंदर्यीकरण किया जाये. ऐतिहासिक सरोवर होने के कारण जिला प्रशासन की ओर से इस मामले में त्वरित आदेश दिया गया. 11 फरवरी 2017 को आदेश की प्रति संबंधित विभाग को सौंपी गयी.
एक अप्रैल 2017 को अधिवक्ता मुकेश रंजन ने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को ज्ञापन सौंप कर सरोवर के सौंदर्यीकरण की मांग को दोहराया. बावजूद इसके अब तक सरोवर बदहाल है.
सरोवर ढाई दशक पूर्व अनुमंडल कारा परिसर था : कारगिल परिसर में अवस्थित प्रभाकर पुष्कर्णी सरोवर करीब 50 डिसमिल के क्षेत्र में फैला है. बौद्ध कालीन उक्त सरोवर की उचित देख-भाल नहीं होने के कारण इसकी दशा खराब हो गयी. करीब ढाई दशक पहले यह क्षेत्र अनुमंडल कारा परिसर था.
वर्ष 1977 में तत्कालीन डीएम प्रभाकर झा ने स्वयं पहल कर इसके जीर्णोद्धार का कार्य करवाया था. उसके बाद से यह प्रभाकर पुष्कर्णी के नाम से जाना जाने लगा.
बौद्ध कालीन उक्त सरोवर अपनी बदहाली पर बहा रहा आंसू
सरोवर के सौंदर्यीकरण की मांग वर्षों से उठ रही है
अधिवक्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं डीएम को पूर्व दिया गया आवेदन
बोले जनप्रतिनिधि
इसी वर्ष उक्त सरोवर के जीर्णोद्धार का कार्य पूर्व की नगर सरकार की ओर से कराया गया. ऐतिहासिक महत्व के होने के कारण जिले के लिए सरोवर का विशेष सांस्कृतिक महत्व है. नगर पार्षदों के सहयोग से सरोवर के जीर्णोद्धार का कार्य संभव हो सका था. उसके बाद भी सरोवर की बदहाली की खबर निराश करने वाली है.
निकेत कुमार सिन्हा, पूर्व उपसभापति नगर परिषद

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