14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भोपाल: पत्रकारिता विश्वविद्यालय में गौशाला और खेती

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में अब गौशाला भी होगी. विश्वविद्यालय का नया परिसर शहर से बाहर बिशनखेड़ी में 50 एकड़ के कैम्पस में बनाया जा रहा है. विश्वविद्यालय का कहना है कि इसका प्रस्ताव को चार साल पहले ही महापरिषद और प्रबंधन समिति ने पास कर दिया […]

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में अब गौशाला भी होगी.

विश्वविद्यालय का नया परिसर शहर से बाहर बिशनखेड़ी में 50 एकड़ के कैम्पस में बनाया जा रहा है. विश्वविद्यालय का कहना है कि इसका प्रस्ताव को चार साल पहले ही महापरिषद और प्रबंधन समिति ने पास कर दिया है.

विश्वविद्यालय के कुलपति ब्रिज किशोर कुठियाला का संबंध आरएसएस से रहा है इसलिये गौशाला खोलने के निर्णय पर सवाल उठाये जा रहे हैं.

कुलपति ब्रिज किशोर कुठियाला ने बताया, "इस गौशाला से छात्रों को दूध, दही, मक्खन खाने को मिलेगा, वहीं गोबर गैस प्लांट के ज़रिये हॉस्टल में गैस की सप्लाई भी की जायेगी."

छत्तीसगढ़: बीजेपी नेता की गोशाला में दम तोड़ती गायें

‘इस गौशाला में रोज़ 40 गायें मर रही हैं’

उनका कहना है कि खेती करने का भी फ़ैसला लिया गया है ताकि ऑर्गेनिक सब्जियां उपलब्ध हो सकें.

कुलपति ने इस बात से इनकार किया है कि इस निर्णय का आरएसएस से कोई लेना देना है.

उन्होंने कहा," मैं आरएसएस से आता हूं इस बात का गर्व है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसे आरएसएस के कहने पर चलाया जा रहा है. गौ सिर्फ आरएसएस की नहीं है. गौ सारे भारत की है और सारे विश्व की है. कांग्रेस के लोग भी गौ पालन कर रहे हैं."

बीजेपी नेता की गौशाला में गायों के मरने पर बवाल

वहीं मध्यप्रदेश मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव बादल सरोज ने एक बयान में कहा है कि भोपाल के पत्रकारिता विश्वविद्यालय में गौशाला खोलने का प्रस्ताव सामने आया है. ऐसा करके क्या संस्थान खोजी पत्रकारिता की क्षमता बढ़ाने के लिए गोबर और गौमूत्र पर शोध प्रबंध लिखवाएगा?

विश्वविद्यालय ने इसके लिये बकायदा टेंडर भी निकाला है ताकि इच्छुक संस्थाएं आकर गौशाला का संचालन कर सकें.

विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले ज्यादातर छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय में मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने का प्रयास पहले किया जाना चाहिये.

विश्वविद्यालय के छात्र दुर्गेश गुप्ता कहते हैं, "विश्वविद्यालय के पास गौशाला के लिये पैसे हैं लेकिन बिल्डिंग को सही करने के लिये पैसे नहीं हैं. वहीं क्लास रुम में भी बैठने की व्यवस्था ऐसे ही है. सब कुछ ऐसे ही काम चल रहा है."

वहीं एक दूसरे छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘ज़रूरी है कि हमें एक अच्छा माहौल विश्वविद्यालय के अंदर उपलब्ध कराया जाना चाहिये.’

उन्होंने आगे कहा, "अभी ज़रूरी यह है कि हमें पढ़ने के लिये माहौल और संसाधन उपलब्ध कराये जायें बजाय गौशाला खोलने के."

एक अन्य छात्रा सुलक्षणना पटेल इस फैसले को बहुत अच्छा बता रही हैं. उन्होंने बताया," एक अच्छा कदम है. हम कहीं न कहीं इसके ज़रिये एक अच्छे काम का हिस्सा बन रहे हैं. अगर विश्वविद्यालय गाय को बचाने के लिये कोई कदम उठा रही है तो इसमें किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिये."

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें