नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवारको कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की जमानत अर्जी खारिज कर दी. अदालत ने यह आदेश तब पारित किया जब प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने कहा कि वह इस बात की जांच कर रहा है कि क्या उन्होंने भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने की खातिर पाकिस्तान जैसे ‘दुश्मन देशों’ से पैसे लिये. इडी की दलील कि शाह ने अपने बैंक खाते में आयी बड़ी रकम का स्रोत बताने से इनकार कर दिया, पर गौर करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ शर्मा ने कहा कि अपराध गंभीर है और यदि हुरियत नेता को जमानत दे दी गयी तो मामले में सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका है.
अदालत ने कहा, ‘इस मामले में जांच निर्णायक चरण में है और गवाहों को प्रभावित करने एवं सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका है. अपराध की गंभीर प्रकृति देखते हुए मैं इसे आरोपी को जमानत देने का उचित मामला नहीं मानता. ‘इडी के वकील नवीन कुमार मट्टा ने अदालत को बताया कि सह-आरोपी मोहम्मद असलम ने इडी और दिल्ली पुलिस को बताया था कि वह शाह के लिए कैरियर के तौर पर काम करता रहा है.
शब्बीर इस समय न्यायिक हिरासत में हैं. बीते तीन अगस्त को इडी ने आरोप लगाया था कि शब्बीर धन का इस्तेमाल आतंकवाद के वित्त पोषण के लिए करके देश को ‘तबाह’ कर रहा था, जिसके बाद अदालत ने अलगाववादी नेता को इडी की हिरासत में भेज दिया था. घाटी में अशांति भड़काने के लिए आतंकवाद के कथित वित्त पोषण के एक मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) द्वारा कई हुरियत नेताओं को हिरासत में लेने के एक दिन बाद इडी ने शब्बीर को गिरफ्तार किया था.
उन्हें अगस्त, 2005 के मामले में गिरफ्तार किया गया था जिसमें दिल्ली पुलिस के विशेष सेल ने कथित हवाला कारोबारी मोहम्मद असलम वानी (35) को गिरफ्तार किया था. पुलिस का दावा है कि वानी के पास से 63 लाख रुपये बरामद हुए जिनमें से 52 लाख रुपये वह कथित रूप से शब्बीर को देनेवाला था. वानी इस समय इडी की हिरासत में है.