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रांची-जमशेदपुर एनएच के नर्मिाण में प्रत्येक माह का लक्ष्य हरहाल में हासिल करें : हाइकोर्ट

रांची-जमशेदपुर एनएच के निर्माण में प्रत्येक माह का लक्ष्य हरहाल में हासिल करें : हाइकोर्टलक्ष्य से कम काम होने पर कोर्ट कार्रवाई करने का निर्देश देगाराज्य सरकार व एनएचएआइ को प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देशहाइकोर्ट प्रत्येक माह करेगा निर्माण कार्य की मॉनिटरिंगमामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगीमामला रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के फोर […]

रांची-जमशेदपुर एनएच के निर्माण में प्रत्येक माह का लक्ष्य हरहाल में हासिल करें : हाइकोर्टलक्ष्य से कम काम होने पर कोर्ट कार्रवाई करने का निर्देश देगाराज्य सरकार व एनएचएआइ को प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देशहाइकोर्ट प्रत्येक माह करेगा निर्माण कार्य की मॉनिटरिंगमामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगीमामला रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के फोर लेनिंग कार्य कारांची. झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को रांची-जमशेदपुर एनएच के तेजी से निर्माण को लेकर स्वत: संज्ञान से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से कहा कि जनहित में एनएच का फोर लेनिंग कार्य जल्द पूरा होना चाहिए. आरोप-प्रत्यारोप में बेवजह समय नहीं गंवाया जाये. निर्माण में किसी भी प्रकार की लापरवाही कतई बरदाश्त नहीं की जायेगी. रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में प्रत्येक माह का निर्धारित लक्ष्य हरहाल में हासिल किया जाये. लक्ष्य से कम काम होने पर कोर्ट उसकी अनदेखी नहीं करेगा, बल्कि कार्रवाई करने का निर्देश देगा. खंडपीठ ने कहा कि शपथ पत्र में कहा गया है कि अगले पांच माह तक के कार्य के लिए संवेदक कंपनी के पास पर्याप्त राशि व संसाधन उपलब्ध है. संवेदक कंपनी कल से ही युद्ध स्तर पर कार्य शुरू करे. प्रत्येक माह का लक्ष्य हासिल करें, ताकि निर्माण कार्य जल्द पूरा हो सके. नेशनल हाइवे अॉथोरिटी अॉइ इंडिया (एनएचएआइ) को संवेदक द्वारा किये गये कार्य का सुपरविजन करने तथा प्रत्येक माह प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. हाइकोर्ट अब प्रत्येक माह कार्य की स्वयं मॉनिटरिंग करेगा. खंडपीठ ने माैखिक रूप से यह भी कहा कि यदि संवेदक अपने कार्य की गति बढ़ा कर लक्ष्य से अधिक कार्य करता है, तो कोर्ट संतुष्ट होगा. जनता भी खुश होगी, लेकिन तय लक्ष्य से कम काम होने पर कार्रवाई की सकती है. खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह फॉरेस्ट क्लियरेंस, माइनिंग लीज, भूमि अधिग्रहण, अतिक्रमण हटाने जैसे कार्यों को तेजी से अपने स्तर से निबटाये. स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर कार्य की प्रगति की जानकारी दी जाये. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 सितंबर की तिथि निर्धारित की. खंडपीठ ने फॉरेस्ट क्लियरेंस के मामले में माैखिक रूप से अपना अनुभव शेयर करते हुए कहा कि प्राय: इस तरह के मामलों में केंद्र सरकार राज्य सरकार के प्रस्ताव को त्रुटि पूर्ण बता कर आपत्ति करते हुए लाैटा देती है. त्रुटि रहित प्रस्ताव केंद्र सरकार को क्यों नहीं भेजा जाता है, ताकि एक बार में ही क्लियरेंस मिल जाये. इस पर राज्य सरकार की अोर से अधिवक्ता राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि नये पीसीसीएफ संजय कुमार केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने के पूर्व उसे गहराई से देखेंगे. सरकार त्रुटि हीन प्रस्ताव भेजेगी. साथ ही राज्य सरकार अपने हिस्से के अन्य लंबित कार्यों को सकारात्मक तरीके से त्वरित गति से निष्पादित करेगी. सुनवाई के दाैरान एनएचएआइ के निदेशक (प्रोजेक्ट) आनंद कुमार सिंह, संवेदक कंपनी के प्रबंध निदेशक व राज्य सरकार के पथ निर्माण विभाग के अभियंता सशरीर उपस्थित थे. खंडपीठ ने अगली सुनवाई के दाैरान एनएचएआइ के निदेशक (प्रोजेक्ट) को सशरीर उपस्थित होने से छूट प्रदान कर दी. संवेदक कंपनी की अोर से अधिवक्ता अनूप कुमार मेहता ने खंडपीठ को बताया कि रोड मैप के अनुसार कार्य को पूरा करेंगे. लक्ष्य हासिल करेंगे. माइनिंग लीज समाप्त हो गया है. उसका नवीकरण अब तक नहीं हो पाया है. स्टोन चिप्स नहीं मिल रहा है. फॉरेस्ट क्लियरेंस भी नहीं मिल पाया है. कार्य में बाधा आ रही है. वहीं, एनएचएआइ की अोर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि विगत दिनों संवेदक, बैंक, एनएचएआइ की बैठक हुई थी, जिसमें सभी बिंदुअों पर विचार किया गया था. पाया गया कि 128 किमी सड़क चाैड़ीकरण कार्य करना है. संवेदक के पास पांच माह तक कार्य करने के लिए पर्याप्त स्टोन चिप्स, मशीनरीज, मानव संसाधन व 232 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध है. जनवरी तक संवेदक तेजी से कार्य करें. जनवरी के बाद उसके कार्यों की समीक्षा कर निर्णय लिया जायेगा. उल्लेखनीय है कि रांची-जमशेदपुर एनएच की दयनीय स्थिति को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. कोर्ट के बार-बार निर्देश देने के बाद भी कार्य में तेजी नहीं आ पा रही है.

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