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30 हजार से अधिक लोग अब भी हैं पानी में घिरे

गोपालगंज : गंडक की धारा शांत पड़ गयी है़ तटबंध से पानी के बहाव में कमी आयी है, लेकिन बाढ़ से उत्पन्न तबाही का मंजर थमने का नाम नहीं ले रहा है़ बीतते समय के साथ बाढ़पीड़ितों का दर्द दिनोंदिन बढ़ते जा रहा है़ 15 अगस्त की रात्रि से लेकर 17 अगस्त तक नारायणी की […]

गोपालगंज : गंडक की धारा शांत पड़ गयी है़ तटबंध से पानी के बहाव में कमी आयी है, लेकिन बाढ़ से उत्पन्न तबाही का मंजर थमने का नाम नहीं ले रहा है़ बीतते समय के साथ बाढ़पीड़ितों का दर्द दिनोंदिन बढ़ते जा रहा है़ 15 अगस्त की रात्रि से लेकर 17 अगस्त तक नारायणी की उग्र धारा ने रिंग बांध सहित सारण तटबंध को तीन जगह भेद डाला़ कुचायकोट प्रखंड के दो दर्जन से अधिक दियारे के गांव पहले से ही बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं. सिकटियां में रिंग बांध और सदौवा में सारण तटबंध टूटने के बाद बरौली और सिधवलिया प्रखंडों के चार दर्जन से अधिक गांव तबाह हो गये हैं.
वहीं बैकुंठपुर में गम्हारी और बंगरा में टूटे तटबंध ने प्रलय ही ला दिया है़ उत्तरी क्षेत्र से पानी जहां निकल रहा है, वहीं दक्षिणी-पूर्वी क्षेत्रों में पानी नये गांव को अपनी चपेट में ले रहा है़ पूर्वांचल के 60 गांवों में अब भी पानी भरा हुआ है़ पानी के बीच 30 हजार से अधिक की आबादी जहां घिरी हुई है, वही दो लाख से अधिक के चूल्हे ठंडे पड़ गये हैं. कोई छत पर शरण लिये हुए है, तो अधिकतर लोगों का ठिकाना हाइवे और तटबंध बने है़ं
सिधवलिया़ बाढ़ का पानी हर रोज नये गांवों को अपनी आगोश में ले रहा है़ भले ही नदी में पानी कम हुआ है, लेकिन नये-नये इलाकों में पानी का फैलना जारी है़ रविवार की सुबह तक आधा दर्जन और नये गांव पूरी तरह पानी की चपेट में आ गये़ इधर सिधवलिया बाजार और प्रखंड कार्यालय पहले से ही बाढ़ की चपेट में है, अब भारत शूगर मिल भी पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गयी है़ शूगर फैक्ट्री का पूरा इलाका जलमग्न हो गया है़ वहीं जलालपुर पंचायत, बखरौर, बुधसी, शेर पंचायत के सभी गांवों में बाढ़ के पानी ने पांव पसार दिया है़ इन गांवों में अफरातफरी का माहौल है़ कई रास्ते भी बंद हो गये हैं.
सिधवलिया. स्थानीय रेलवे स्टेशन परिसर में शरण लिये हजारों बाढ़पीड़ितों के बीच त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है. घर नदी में डूबे हैं. बुंचेया सुरहिया सिधवलिया बाजार के हजारों शरणार्थी भूख से बिलख रहे हैं. पॉलीथिन के नीचे महिलाएं और बच्चे रात गुजार रहे हैं. वहीं ऊपर से हो रही बूंदाबांदी के कारण इनकी परेशानी और बढ़ती जा रही है. लोग खौफ के साये में रात गुजार रहे हैं . पुरुष और सैकड़ों मवेशी खुले आसमान में जीवन यापन कर रहे हैं. बाढ़पीड़ितों की दुर्दशा देख शनिवार से स्टेशन परिसर में भोजन की व्यवस्था की गयी. बच्चों के लिए दूध और बिस्कुट का इंतजाम किया गया.

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