दो दिनों तक तड़पता रहा बछड़ा शनिवार को मौत के आगोश में समा गया. इसकी मौत हमारे स्वार्थी भावनाओं को भी उभारती है जिसमें हम मानव जहां मादा भ्रूण को मरने के लिए छोड़ जाते हैं वहीं कोई फायदा नहीं होने के कारण गाय के बछड़े को भी फेंक दिया जाता है़ कदमकुआं के साहित्य सम्मेलन के समीप दर्जनों खटाल है, जिसके संचालक दूध लेकर गाय को आवारा सड़कों पर छोड़ देते है.
इन्हीं खटाल संचालकों में से एक संचालक के गाय के बछड़ा जब गुरुवार को तबीयत खराब होकर दलदली रोड के समीप जनक किशोर रोड पर गिर गया तो उसे कोई देखने वाला नहीं था. सुबह से शाम तक कूड़ा प्वाइंट के समीप बछड़ा गिरा रहा लेकिन खटाल संचालक बछड़े की सुध नहीं ली. स्थिति यह हुआ कि शाम के पांच बजे कूड़ा प्वाइंट के समीप ही बछड़े की मौत हो गयी. मृत बछड़ा देर रात्रि तक वहीं पड़ा रहा.