प्रशिक्षणार्थियों को रोजगार के लिए मदद
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गारमेंट उद्योग महिलाओं के स्वरोजगार के लिए बना बेहतर माध्यम
प्रशिक्षणार्थियों को रोजगार के लिए मदद तीन महीने तक प्रशिक्षण देने की व्यवस्था बिहारशरीफ : जिले के बेरोजगार युवती व महिलाओं के लिए रेडिमेड गारमेंट्स उद्योग स्वरोजगार का एक बेहतर माध्यम बन गया है. इस उद्योग के लिए सरकार द्वारा कई प्रकार की सुविधाएं एवं लोन भी दिये जा रहे हैं. बेरोजगार महिलाएं सरकार के […]
तीन महीने तक प्रशिक्षण देने की व्यवस्था
बिहारशरीफ : जिले के बेरोजगार युवती व महिलाओं के लिए रेडिमेड गारमेंट्स उद्योग स्वरोजगार का एक बेहतर माध्यम बन गया है. इस उद्योग के लिए सरकार द्वारा कई प्रकार की सुविधाएं एवं लोन भी दिये जा रहे हैं. बेरोजगार महिलाएं सरकार के इन योजनाओं का लाभ उठा कर अपना व परिवार के बेहतर तरीके से भरण पोषण कर सकती हैं. गारमेंट उद्योग आज के परिप्रेक्ष्य में महिलाओं लिए रोजगार का एक अच्छा माध्यम है. इसमें महिलाओं को तरह-तरह की कढ़ाई, बुनाई कला के प्रदर्शन करने का अच्छा मौका मिलता है. जिले के करीब चार सौ महिलाएं सरकार की योजनाओं का लाभ उठा कर स्वरोजगार कर रहे हैं.
भारत सरकार के एक उपकरण एटीडीसी का इस प्रकार रोजगार स्थापित करने में एक अलग भूमिका निभा रही है. प्रशिक्षण के उपरांत केंद्र के द्वारा इन्हें समायोजन के उपरांत केंद्र के द्वार इन्हें समायोजन करने की भी व्यवस्था है. प्रशिक्षणार्थियों को तीन महीने तक प्रशिक्षण दिया जाता है. स्वरोजगार संचालित करने के लिए जिला उद्योग केंद्र के माध्यम से पीएमआरवाई योजना के तहत विभिन्न बैंकों से लोन दिलाया जाता है. जिले के विभिन्न स्थानों पर 40 गारमेंट्स उद्योग सेंटर स्थापित किया गया है. इन सेंटरों से महिलाएं सिलाई-कटाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर अपना खुद का रोजगार संचालित कर रही है. सूक्ष्म लघु उद्योग के तहत इन प्रशिक्षणार्थियों को रोजगार चलाने के लिए मदद प्रदान की जाती है. बेरोजगार महिलाओं का इस प्रकार के रोजगार प्रति आकर्षण काफी बढ़ा है.
जिले की चार सौ महिलाएं
सिलाई, बुलाई, क्राफ्ट के माध्यम
से कर रहे है जीविकोपार्जन
जिले की महिलाएं रेडिमेड गारमेंट वस्त्र के उत्पादन से जुट कर जहां स्वावलंबी बन रही है. वहीं इसकी आमदनी से परिवार का भरण -पोषण भी कर रही हैं. जिले में 40 रेडिमेड गारमेंट सेंटर संचालित की जा रही है.
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