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भारत के सैकड़ों बाढ़ पीड़ित बांग्लादेश में बने शरणार्थी

उत्तर पश्चिम बंगाल के सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण ली है. कूचबिहार ज़िला प्रशासन का कहना है कि उफ़नती नदियों से घिरे कम से कम दो इलाक़ों के लोग अपनी ज़मीनों से कट गए हैं. उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष ने कहा, "दिनहाता, जारीधरला और दरिबस इलाके तीन तरफ से […]

उत्तर पश्चिम बंगाल के सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण ली है. कूचबिहार ज़िला प्रशासन का कहना है कि उफ़नती नदियों से घिरे कम से कम दो इलाक़ों के लोग अपनी ज़मीनों से कट गए हैं.

उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष ने कहा, "दिनहाता, जारीधरला और दरिबस इलाके तीन तरफ से धरला नदी से घिरे हैं. इसका एकमात्र मैदानी इलाका बांग्लादेश की ओर जाता है. धरला नदी उफ़ान पर है और इसमें पानी का बहाव बहुत तेज़ है. हमारे पास कोई रास्ता नहीं है जिससे हम उन तक पहुंच सकें, यही वज़ह है कि उन्होंने पड़ोसी बांग्लादेश में शरण लेने का फ़ैसला किया."

इस इलाके में करीब छह हज़ार लोग रहते हैं.

एक अन्य इलाक़े, तूफ़ानगंज के चारबारभूत में भी स्थिति ऐसी ही है. यह इलाक़ा भी पूरी तरह जलमग्न है जहां चार हज़ार लोग रहते हैं.

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500 से 700 लोग सीमा पार गए

पड़ोसी देश के सीमा सुरक्षा बल का कहना है कि करीब 500 लोग सीमा पार गए हैं, हालांकि राज्य सरकार ऐसा कोई आंकड़ा नहीं दे रही कि इन दोनों इलाक़ों के कितने लोगों ने बांग्लादेश में शरण ली है.

इन दोनों ही इलाक़ों में कोई सीमा बाड़ नहीं लगी है.

बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) के लेफ्टिनेंट कर्नल गोलम मुर्शिद ने बीबीसी से कहा, "वो बाढ़ प्रभावित लोग थे. इसलिए हमने उन्हें सीमा पर नहीं रोका. क़रीब 500 लोगों ने यहां आकर अपने रिश्तेदारों के घर में आश्रय लिया है."

बांग्लादेश के लालमोनिरहाट ज़िले के स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह आंकड़ा 700 के क़रीब है.

शरणार्थियों में एक बशीरुद्दीन हैं. उन्होंने बांग्लादेश में अस्थायी शिविर से बीबीसी को बताया, "मैं, मेरी पत्नी, दो बेटे और उनकी पत्नियां बांग्लादेश में आए हैं. जब हम वहां से निकले थे तब समूचे गांव में पानी भरा था. वहां हमारा केवल एक कमरा था. हमें नहीं पता कि अब वो है भी या नहीं. हम अपने साथ अपनी गायें भी लेकर आए हैं."

पहली बार नहीं गए सीमा के पार

सीमाई क्षेत्र में रह रहे लोगों का पड़ोसी देश में शरण लेना कोई नई बात नहीं है.

मंत्री घोष ने कहा, "ऐसा कई वर्षों से हो रहा है, जब भी बाढ़ आती है, ये लोग तुरंत ही बांग्लादेश में शरण ले लेते हैं. हम उनके आभारी हैं कि वो हमारे नागरिकों को राहत पहुंचा रहे हैं. लेकिन तेज़ धार और जलभराव के कारण, इतने सारे लोगों तक राहत पहुंचाना संभव नहीं है. अगर हम वहां हेलिकॉप्टर भी भेजें तो वो वहां उतर नहीं सकेगा. वहां चारों ओर पानी है. मैंने इन लोगों को नदी की दूसरी तरफ़ लाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हैं."

मंत्री घोष ने कहा, "हमने उन्हें सरकारी ज़मीन, उनके बच्चों की पढ़ाई देने का वादा भी किया था, लेकिन वो अपनी उपजाऊ ज़मीन को छोड़ कर इस तरफ़ नहीं आना चाहते हैं."

हालांकि, दोनों स्थानीय सूत्रों और बीजीबी ने कहा कि अब बाढ़ का पानी उतरना शुरू हो गया है, और कुछ भारतीय ग्रामीणों ने अपने घर लौटना शुरू कर दिया है.

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