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1987 की बाढ़ का रिकॉर्ड टूटा

बाढ़ . जिले की 15 लाख से अधिक की आबादी प्रभावित एक लाख से अधिक लोग बाढ़ से विस्थापित हो चुके कटिहार : जिले में बाढ़ की स्थिति में कोई सुधार नहीं है. कदवा, बारसोई, आजमनगर, बलरामपुर, डंडखोरा, प्राणपुर, अमदाबाद, हसनगंज, कटिहार, कोढ़ा, मनिहारी,बरारी प्रखंड में बाढ़ से भारी तबाही हुई है. गुरुवार को कई […]

बाढ़ . जिले की 15 लाख से अधिक की आबादी प्रभावित

एक लाख से अधिक लोग बाढ़ से विस्थापित हो चुके
कटिहार : जिले में बाढ़ की स्थिति में कोई सुधार नहीं है. कदवा, बारसोई, आजमनगर, बलरामपुर, डंडखोरा, प्राणपुर, अमदाबाद, हसनगंज, कटिहार, कोढ़ा, मनिहारी,बरारी प्रखंड में बाढ़ से भारी तबाही हुई है. गुरुवार को कई नये इलाके बाढ़ की चपेट में आ गये. जान माल का व्यापक नुकसान हुआ है. बाढ़ का पानी शहरी क्षेत्र कई वार्ड को अपने आगोश में ले लिया है. बाढ़ से अबतक एक एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि प्रशासन ने सात लोगों की मृत्यु होने की पुष्टि की है.
एक लाख से अधिक लोग बाढ़ से विस्थापित हो चुके हैं. बाढ़ से करीब 15 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं. बाढ़ की स्थिति भयावह होने के होने की वजह से लोगों में अफरा-तफरी का माहौल है. प्रशासन द्वारा पर्याप्त तादाद में राहत सामग्री उपलब्ध नहीं कराने की वजह से भी प्रभावित परिवारों के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न हो चुका है.
हालांकि प्रशासन ने राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाने का दावा किया है. जबकि जमीनी हकीकत इससे दूर है. प्रभावित लोगों में हाहाकार मचा हुआ है. लोग त्राहिमाम कर रहे है. जानकारों की माने तो वर्ष 1987 में आयी बाढ़ का रिकॉर्ड भी इस बार टूट गया. प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं चली. राज्य सरकार का खुफिया तंत्र भी इस बार फेल रहा. बाढ़ ने अचानक तबाही मचा दी. सरकार की को पता भी नहीं चला
सरकार की तैयारी धरी की धरी रह गई. बाढ़ की वजह से सड़क एवं रेल संपर्क पूरी तरह बंद हो चुका है. सूचना तंत्र भी ध्वस्त हो चुका है. दूरसंचार एवं इंटरनेट सेवा प्रभावित है. बाढ़ से प्रभावित लोग घर को छोड़कर सड़क व रेलवे ट्रैक एवं उंचे स्थलों पर शरण लिये हुये है. सरकारी व निजी विद्यालय एवं अन्य सरकारी एवं निजी पक्के के भवनों में भी विस्थापित लोग शरण लिए हुये है. बाढ़ से सर्वाधिक परेशानी महिलाओं एवं बच्चों को हो रही है.
लोगों में त्राहिमाम की स्थिति : बाढ़ से लोगों में त्राहिमाम की स्थिति है. जिले में बाढ़ से विस्थापित एवं बाढ़ से घिरे लोगों के बीच काफी खराब स्थिति है. प्रभावित लोगों के बीच प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे राहत एवं बचाव कार्य नहीं नहीं पहुंच पाने की वजह से भी लोगों में हाहाकार है. सरकारी मशीनरी प्रभावित लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाने में नाकाम साबित ही रही है. प्रभावित लोगों को पॉलीथिन तक नहीं मिल रहा है. कटिहार- बारसोई रेलखंड के कटिहार रेलवे स्टेशन से महज 4-5
किलोमीटर की दूरी पर रेलवे ट्रैक पर विस्थापित किसी तरह गुजर बसर कर रहे है. कटिहार प्रखंड के धुस्मर व अन्य आस-पास टोले के विस्थापित यहां पर शरण लिए हुये है. किसी तरह रेलवे ट्रैक पर गुजर बसर कर रहे शब्बीर अहमद ने बताया कि तीन दिन से यहां पर हम लोग हैं. पर प्रशासन की ओर से राहत सामग्री नहीं मिली है. गांव में अधिकांश लोग पानी से घिर चुके है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई सुविधा प्राप्त नहीं हुआ है. यह स्थिति कटिहार प्रखंड के आलावा जिले के अन्य बाढ़ प्रभावित प्रखंड की पीड़ितों की भी है.
कुल प्रभावित प्रखंड-12
कुल प्रभावित पंचायत-124
कुल प्रभावित गांव-1022
रिलीफ सेंटर- 72
कम्युनिटी किचेन- 72
मोटर बोट, साधारण बोट- 09 नाव-233
एनडीआरएफ-2
एसडीआरएफ-2
सेना-3 टुकड़ी, रिलीफ में वितरित सामग्री- चुड़ा,गुड़,खिचड़ी,पॉलीथिन
14 अगस्त से काम कर रहा कंट्रोल रूम
उपलब्ध लाइफ जैकेट -365
रिलीफ कैंप में पहुंचे लोग-22728
कैंप से बाहर-39672
मोबाइल मेडिकल यूनिट-08
हेल्थ कैंप-60
इतने लोग प्रभावित-13.25 लाख
राहत पहुंचाने में हांफ रहा है प्रशासन
जिले के एक दर्जन प्रखंड बाढ़ से प्रभावित है. बाढ़ से 14 वर्ष से अधिक की आबादी प्रभावित है. हालांकि प्रशासन ने 13. 25 लाख आबादी के प्रभावित होने का दावा किया है. इसमें से 62400 लोग विस्थापित हुये है. प्रभावितों के बीच राहत एवं बचाव कार्य चलाने में जिला प्रशासन का दम फूल रहा है. खासकर सड़क एवं रेल मार्ग प्रभावित होने की वजह से राहत एवं बचाव कार्य में परेशानी हो रही है. प्रशासन ने दावा किया है कि प्रभावित प्रखंडों में गुरुवार तक 72 राहत शिविर चलाये जा रहे है. जिसमें 22728 विस्थापित परिवारों को पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. जबकि बाढ़ से प्रभावित परिवारों के बीच चुड़ा गुड़ आदि उपलब्ध करायी जा रही है. हेलीकॉप्टर से भी सूखा खाद्य पैकेट किराया जा रहा है.
राहत देने में भी अपने-पराये का ध्यान
प्रशासन द्वारा वितरण किये जा रहे राहत सामग्री की सही तरीके से निगरानी नहीं होने की वजह से वह प्रभावितों के बीच नहीं पहुंच पा रही है. सरकारी मिशनरी के पास संसाधन का अभाव होने की वजह से स्थानीय स्तर पर पंचायत जनप्रतिनिधि एवं अन्य दबंग लोगों के पास राहत सामग्री पहुंच जा रही है. ऐसे पंचायत जनप्रतिनिधि एवं दबंग लोग अपनों को खुश करने के लिए पहले वैसे लोगों को ही राहत सामग्री का वितरण करते हैं. इस पर पंचायत चुनाव में वोट देने वाले लोगों को ही प्राथमिकता दी जाती है. जमीनी स्तर से इस तरह की शिकायतें आम हो चुकी हैं. राहत सामग्री से गरीब एवं मजदूर वर्ग के लोग सबसे ज्यादा वंचित हो रहे हैं. प्रभावित लोगों की माने तो जिन लोगों को वितरण की जिम्मेदारी दी जा रही है, उनके द्वारा लोगों को चिह्नित करके ही राहत सामग्री का वितरण किया जा रहा है. प्रशासन के स्तर से भी पारदर्शिता एवं निगरानी नहीं हो रही है.

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