परिवार, रिश्ते-नाते या किसी कानूनी मसले को लेकर आपकी भी कोई उलझन है, तो हमें अपनी परेशानी इ-मेल से या डाक द्वारा लिख भेजें. हर हफ्ते एक्सपर्ट की मदद से हम आपकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करेंगे.
श्रुति सिंह
एडवोकेट, पटना हाइकोर्ट
– मां को रेलवे विभाग से 3555 रुपये पेंशन मिलता है, जो आरबीइ संख्या 99/2016 के पारा 7.2 के अनुसार 9000 रुपये होना चाहिए. मैंने ब्रांच मैनेजर और दानापुर डीपीओ को सूचित किया. दोनों एक-दूसरे को दोषी बताते हुए अपना पल्ला झाड़ रहे हैं. हम क्या करें?
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आप इस संबंध में विभाग के खिलाफ उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर सकते हैं.
– पापा मेरी मां से हमेशा झगड़ा करते रहते हैं और हम सबको घर से निकालने की धमकी देते हैं. वह न तो हमारे खर्च और पढ़ा के लिए पैसे भी नहीं देते हैं. बड़े भाई विवाह योग्य हैं, लेकिन पापा उन्हें शादी नहीं करने देते.
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अपनी मां स्वयं या उनकी ओर से उनका कोई बालिग बच्चा ‘घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम-2005’ के तरत मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष लिखित रूप से इस बारे में आवेदन प्रस्तुत करें. आपको न्याय अवश्य मिलेगा.
– क्या विवादित जमीन पर दुबारा से घर का निर्माण करवाया जाना उचित है? विपक्षी दल सीओ के आदेश का उल्लंघन कर रहा है.
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विवादित जमीन के कागजात देखे बिना उचित राय देना संभव नहीं है. बेहतर होगा आप किसी स्थानीय वकील से इस बारे में राय लें.
– बेगूसराय जिला अंतर्गत छतौना ग्राम में बूढ़ी गंडक नदी पर पुल बना है. पहुंच पथ के लिए जिन किसानों की जमीन ली गयी है, उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया है. यह जमीन बरार नदी में स्थित है और गैर-मजरूआ खास के रूप में है. इस वजह से जमीन पर आश्रित सभी परिवार बेरोजगार हो गये हैं. क्या इसके लिए उन्हें किसी तरह के मुआवजे या सहायता राशि का प्रावधान भूमि अधिग्रहण कानून में है? यदि हां, तो इसके लिए उन्हें क्या करना होगा?
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सभी किसान संयुक्त रूप से पहले जिलाधिकारी के समक्ष विस्तारपूर्वक समस्या की लिखित जानकारी देते हुए पुनर्वास एवं मुआवजा के लिए आवेदन दें. अगर वहां सुनवायी न हो, तो हाइकोर्ट जा सकते हैं.