10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आजादी की लड़ाई में काटी थी सजा

अगस्त क्रांति में सात साथियों ने दी थी जान महाराजगंज : अंग्रेजों भारत छोड़ो, 1942 के आंदोलन में अखबार बेचने वाले ने अंग्रेजी हुकूमत को नाको चना चबवा दिया था. यूपी के देवरिया जिले के गंगुआ में जन्म लेनेवाले युवक को महाराजगंज वाया महाराजगंज में उमाशंकर हाइस्कूल में चपरासी की नौकरी करने के अलावा युवक […]

अगस्त क्रांति में सात साथियों ने दी थी जान

महाराजगंज : अंग्रेजों भारत छोड़ो, 1942 के आंदोलन में अखबार बेचने वाले ने अंग्रेजी हुकूमत को नाको चना चबवा दिया था. यूपी के देवरिया जिले के गंगुआ में जन्म लेनेवाले युवक को महाराजगंज वाया महाराजगंज में उमाशंकर हाइस्कूल में चपरासी की नौकरी करने के अलावा युवक वंशीलाल अखबार बेचने का काम करता था. आजादी के दीवाने फुलेना प्रसाद के नेतृत्व में वंशीलाल वीर बांकुड़ों के बीच संदेश पहुंचाने का काम करता था. 16 अगस्त, 1942 में महात्मा गांधी के आदेश पर महाराजगंज के वीर बाकुंड़ों ने रेलवे स्टेशन, रजिस्ट्री कचहरी थाना आदि प्रतिष्ठानों को निशाना बना कर आग के हवाले कर दिया.
वंशीलाल ने महाराजगंज के दारोगा रामजान अली को जबरन गांधी की टोपी पहना दी. फुलेना बाबू के साथ देवशरण सिंह, किशोरी साह, चंद्रमा प्रसाद समेत सात युवाओं को अगस्त क्रांति में गोली का शिकार होना पड़ा. वीर बांकुड़ों के साथ देने के आरोप में वंशीलाल को पुलिस ने पकड़ कर जेल में डाल दिया. इसमें उन्हें तीन साल के सश्रम कारावास की सजा काटनी पड़ी थी. देश की आजादी के बाद 1972 में वंशीलाल को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के हाथों ताम्र पत्र दिया गया. वंशीलाल ने पूरी उम्र अखबार बेचने में गुजारी थी. उनके वंशज आज भी अखबार के कारोबार में अपनी जिंदगी संवार रहे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें