पटना : अखंड भारत दिवस के मौके पर मां जानकी मिथिला पुनर्जागरण समिति की ओर से विद्यापति भवन में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए उद्धाटनकर्ता उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अखंड भारत के सपने को जिंदा रखने की जरूरत है. जब 25 साल पहले पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी बर्लिन की दीवार को तोड़ कर एक हो सकते हैं, जब 1975 में वियतनाम एक हो सकता है तो एक दिन ऐसा भी आयेगा कि साझा हितों को लेकर भारत-बंगलादेश-पाकिस्तान भी एक मंच पर आ जाए या इनका कोई महासंघ बन जाए. उन्होंने कहा कि ऐसी ही धारणा पं. दीनदयाल उपाध्याय और डा. राममनोहर लोहिया की भी थी. विनोबा भावे भी ‘एबीसी’ यानी आफगानिस्तान-भारत और सिलोन (श्रीलंका) के एकीकरण की बातें करते थे.
सुशील मोदी ने कहा कि पहले और दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान यूरापीय देश एक-दूसरे से लड़ते रहे. मगर आज यूरोपीयन यूनियन बन चुका है, इनकी साझा सरकार और मुद्रा है. इसीलिए आरएसएस और भाजपा का स्पष्ट मानना है कि अखंड भारत के सपने को मरने नहीं देना चाहिए. सपने हैं तो एक दिन पूरा होने की संभावना भी है. मगर यह सपना ताकत के बूते पूरा नहीं होगा बल्कि वैचारिकता और साझा हितों के दायरे में ही साकार होगा.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हमें खंडित आजादी इसलिए मिली क्योंकि लम्बे स्वाधीनता संग्राम में कांग्रेस के नेता बूढ़े और थक गए थे. उन्हें ऐसा लगने लगा था कि कितने दिनों तक लड़ते रहंगेे, कब तक जेल जाते रहेंगे और इसलिए खंडित आजादी को उन्होंने स्वीकार कर लिया. दरअसल बांटो और राज करो अंग्रेजों की चाल थी जिसमें कांग्रेस फंस चुकी थी. 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना और उसके बाद 1909 में पृथक निर्वाचन के जरिए अंग्रेजों ने भारत विभाजन का बीज बो दिया था जिसमें अन्ततः 1947 में वे सफल रहे.
कार्यक्रम को मुख्य वक्ता के तौर पर आरएसएस के श्रेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर, पथ निर्माण मंत्री नन्द किशोर यादव, कृषि मंत्री प्रेम कुमार, पटना की मेयर श्रीमती सीता साहु, आरएसएस के संपर्क प्रमुख अनिल ठाकुर, पूर्व मंत्री सुखदा पाण्डेय, विधायक अरुण कुमार सिन्हा, डा. संजीव चैरसिया, विधान पार्षद सूरज नंदन कुशवाहा ने संबोधित किया. अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष व भाजपा नेता मृत्युंजय झा ने की.