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भाजपा का ”तूफानी हमला”!

रविभूषण वरिष्ठ साहित्यकार delhi@prabhatkhabar.in बिहार में मात्र चौबीस घंटे (26-27 जुलाई) के भीतर नीतीश कुमार का ‘अंतरआत्मा की आवाज’ पर दिया गया त्यागपत्र और पुन: मुख्यमंत्री (छठी बार) के रूप में शपथ ग्रहण के बाद बिहार की राजनीति ही नहीं, देश की राजनीति के वर्तमान स्वरूप, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल के पारंपरिक संबंध, चुनावी घोषणापत्र […]

रविभूषण
वरिष्ठ साहित्यकार
delhi@prabhatkhabar.in
बिहार में मात्र चौबीस घंटे (26-27 जुलाई) के भीतर नीतीश कुमार का ‘अंतरआत्मा की आवाज’ पर दिया गया त्यागपत्र और पुन: मुख्यमंत्री (छठी बार) के रूप में शपथ ग्रहण के बाद बिहार की राजनीति ही नहीं, देश की राजनीति के वर्तमान स्वरूप, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल के पारंपरिक संबंध, चुनावी घोषणापत्र की अहमियत, जनादेश, भ्रष्टाचार बनाम धर्मनिरपेक्षता आदि पर विचार जारी है. इन आकस्मिक शासन-परिवर्तन (कू) का गंभीर विश्लेषण अभी जारी है.
सुप्रसिद्ध पत्रकार, राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत राज्यसभा सांसद स्वप्न दास गुप्ता ने ‘संडे टाइम्स ऑफ इंडिया’ (पटना, 30 जुलाई, 2017) के स्तंभ ‘राइट एंड रॉन्ग’ (पृष्ठ 14) में इस ‘ऑपरेशन बिहार’ को हिटलर के 1940 के ‘ब्लित्सक्रीग’ और 1967 में इजराइल के छह दिवसीय युद्ध के बराबर माना है. बिहार में हुए सत्ता परिवर्तन की तुलना उन्हें ‘हिटलर्स 1940 ब्लित्सक्रीग’ से क्यों करनी पड़ी? अभी तक ‘शाह-मोदी’ ही कहा-लिखा जाता है, न की ‘शाह-तानाशाह’.
‘ब्लित्सक्रीग या ब्लिट्जक्रेग’ का पहला प्रयोग यद्यपि 1939 से माना जाता है, पर इस शब्द की खोज 1935 और 1938 के दो सैन्य आलेखों में की गयी है. ‘ब्लित्स’ का अर्थ ‘आक्रमण’ है और ‘ब्लित्सक्रीग’ तूफानी हमले को कहा जाता है. जर्मन में ‘ब्लिट्जक्रेग’ का अर्थ ‘बिजली युद्ध’ है.
जब जर्मनी ने 1939 में पोलैंड पर आक्रमण किया, पश्चिमी देशों के कई पत्रकारों ने बख्तरबंद युद्ध के इस स्वरूप को समझाने के लिए ‘ब्लिट्जक्रेग’ शब्द का प्रयोग किया. ‘ब्लिट्जक्रेग’ युद्ध कौशल का पहले के सभी तरीकों से भिन्न एक नया तरीका है ‘बिजली युद्ध’, अर्थात् बिजली जैसी तेजी और चमक से किया गया युद्ध. अनुमान किया जाता है कि 1939 से पहले जर्मन मिलिट्री प्रेस में यह शब्द प्रयुक्त नहीं था. इस शब्द का प्रयोग ‘त्वरित रणनीतिक जीत’ के तौर पर किया जाता है. जर्मन भाषा में यहूदी मार्क्सवादी राजनीतिक अर्थशास्त्री फ्रिट्ज स्टर्नबर्ग की पुस्तक ‘जर्मन युद्ध शक्ति’ (पेरिस, 1939) के जर्मन संस्करण में ‘ब्लिट्जक्रेग’ शब्द का प्रयोग है.
इसकी विशेषता ‘सेना और तोपची सैनिकों के संयुक्त हथियारबंद दलों का अत्यंत गतिशील स्वरूप’ है. जर्मनी ने पोलैंड (सितंबर, 1939), डेनमार्क (अप्रैल 1940), नॉर्वे (अप्रैल 1940) और बेल्जियम (मई 1940) के विरुद्ध ‘ब्लिट्जक्रेग रणनीति’ का सफलतापूर्वक उपयोग किया. शत्रु-पंक्तियाें पर जीत हासिल करने के लिए संयुक्त रूप (टैंक, पैदल सेना, तोपची सैनिक, वायु शक्ति) से यंत्रीकृत सैन्य बलों का संयुक्त प्रहार है ‘ब्लिट्जक्रेग’.
बिहार में शासन परिवर्तन जिस तीव्र गति से अप्रत्याशित रूप में हुआ, उससे लालू यादव सहित सभी अवाक रह गये. ब्लिट्जक्रेग अपने दुश्मन को निरंतर गति से अस्थिर करता है, जिसका प्रभावी ढंग से जवाब देना कठिन हो जाता है.
निपुण, प्रवीण भाषाविद और सैन्य इतिहासकार डॉ निगेल थॉमस की पुस्तक ‘हिटलर्स ब्लिट्जक्रेग एनमिज 1940 : डेनमार्क, नॉर्वे, नीदरलैंड्स एंड बेल्जियम’ (18 फरवरी, 2014) के दूसरे से पांचवे अध्याय में क्रमश: डेनिश, नॉर्वेजियन, दि रॉयल नीदरलैंड्स और बेल्जियम सेना के संस्थान और संगठन, युद्ध-विवरण, वर्दी और चिन्ह, लक्षण पर विचार किया गया है. ब्लिट्जक्रेग द्वितीय विश्वयुद्ध में हिटलर की रणनीतियों से जुड़ा है. स्वप्न दास गुप्ता ने ‘हिटलर के 1940 ब्लिट्जक्रेग’ के बराबर बिहार में अत्यंत तीव्र गति से हुए आकस्मिक सत्ता-परिवर्तन को देखा है
तुलनाओं में सच्चाई होती है और उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने बिहार की इस घटना को इस्राइल के छह दिवसीय युद्ध से भी जोड़ा है. इस्राइल ने पांच जून, 1967 से 10 जून, 1967 तक अपने पड़ोसी देशों – मिस्र, जॉर्डन तथा सीरिया से यह युद्ध किया था. इस छह दिवसीय युद्ध को ‘जून युद्ध’ या ‘तीसरा अरब-इस्राइल युद्ध’ के रूप में भी जाना जाता है.
भारत की इस्राइल मैत्री घनिष्ठ हो चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस्राइल यात्रा के बाद आगामी वर्षों में यह और अधिक सुदृढ़ होगी, पर हिटलर का उल्लेख? जर्मनी में ‘राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी’ की स्थापना 24 फरवरी, 1920 को हुई थी. इसके संस्थापक एेंटने डेक्सलर थे. 1921 से 1945 तक हिटलर इस पार्टी के प्रमुख रहे. 1920 में इसकी सदस्य संख्या 60 से कम थी, जो बढ़कर 1945 में 85 लाख हो गयी. 10 अक्तूबर, 1945 को यह विघटित हुई. इसे ‘नाजी पार्टी’ के नाम से जाना गया. इसका गैर आधिकारिक स्लोगन था- ‘एक व्यक्ति, एक राष्ट्र, एक नेता’.
बिहार में भाजपा के ‘तूफानी हमले’ (ब्लिट्जबर्ग) पर काफी लिखा गया है. लिखा जाता रहेगा. ब्लिट्जक्रेग के दोषों की भी चर्चा हुई है. हिटलर का पतन भी हुआ. बिहार में एक ओर ‘भ्रष्टाचार मिटाओ’ की गूंज है और दूसरी ओर ‘जनादेश अपमान यात्रा’ (तेजस्वी यादव) और ‘साझा विरासत बचाओ’ (शरद यादव) कार्यक्रम है. देखना है ‘ब्लिट्जक्रेग’ के बाद का बिहार और भारत.

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