नयी दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की जगह एकल उच्च शिक्षा नियामक लाने की सरकार की योजना अधर में लटकती प्रतीत हो रही है, क्योंकि मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) ने इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने शिक्षा में सुधार के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (UGC) और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) को समाप्त कर उनकी जगह एक हायर एजुकेशन रेग्युलेटर बनाने की योजना तैयार की थी. इस रेग्युलेटर का नाम अभी हायर एजुकेशन एंपावरमेंट रेग्युलेशन एजेंसी (HEERA) रखने की बात कही गयी थी.
हायर एजुकेशन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पिछली सरकारों ने जो कमिटी बनायी थी. उन्होंने सुझाव में कहा था कि ज्यादा नियामक संस्था की बजाय देश में हायर एजुकेशन के लिए एक ही नियामक संस्था होनी चाहिए. यशपाल कमिटी, यूपीए सरकार में नेशनल नॉलेज कमीशन व हरिगौतम कमिटी ने भी इस तरह के सुझाव दिये थे. तकनीकी और गैर- तकनीकी संस्थाओं को अलग- अलग खांचों मे रखने का रिवाज पुराना हो चुका है दुनियाभर में शिक्षा के लिए एक ही संस्था होते हैं.
उच्च शिक्षा सशक्तिकरण नियामक एजेंसी (HEERA) हीरा को लाने का उद्देश्य अधिकार क्षेत्र में टकराव रोकना और अप्रासंगिक नियामक प्रावधानों को दूर करना था. लेकिन अब यह योजना अधर में लटक गई है.मानव संसाधन विकास मंत्रालय और नीति आयोग तकनीकी और गैर तकनीकी शिक्षण संस्थानों को एक ही संस्था के तहत लाने पर काम कर रहे थे, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है.
यह मुद्दा पिछले हफ्ते संसद में उठा था और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाह ने कहा था कि इस बाबत वर्तमान में किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा है. कुशवाहा ने राज्यसभा को बताया, ‘ ‘ यूजीसी और एआईसीटीई का विलय कर उन्हें उच्च शिक्षा के एकल नियामक में बदलने जैसे किसी भी प्रस्ताव पर वर्तमान में विचार नहीं किया जा रहा है. ‘ ‘ हालांकि इसके पीछे क्या वजह है, उस बारे में एचआरडी अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. उच्च शिक्षा के एकल नियामक का विचार नया नहीं है, पूर्ववर्ती कई सरकारों द्वारा गठित विभिन्न समितियों ने ऐसी सिफारिश की थी.