. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में पीएचइडी की 2347 पंचायतों जहां फ्लोराइड, आर्सेनिक व आयरन की समस्या है वहां पानी को फिल्टर कर लोगों के घरों तक पहुंचाये जाने का फैसला लिया गया. वहीं अन्य पंचायतों में जहां पंचायती राज विभाग और शहरी क्षेत्रों में नगर विकास विभाग की ओर से नल का जल उपलब्ध कराये जाने पर यही शुल्क लगेगा.
हर घर में एक व्यक्ति के लिए 70 लीटर पानी हर दिन के हिसाब से दिया जायेगा. पीएचइडी की बैठक के बाद मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि नल के जल के लिए गरीबी रेखा से नीचे वाले को 30 रुपये और गरीबी रेखा से ऊपर वाले को 60 रुपये महीने का देना होगा. इस राशि को सरकार नहीं लेगी. इसे संबंधित वार्ड में रखा जायेगा और इससे मेंटेनेंस का काम होगा, ताकि लोगों को साफ पानी मिलता रहे.
उन्होंने कहा कि जो चापाकल खराब हैं, उन्हें दुरुस्त किया जायेगा. इसमें जनसहयोग होना चाहिए. साथ ही जो सामुदायिक कुएं हैं, उन्हें मनरेगा के तहत जोड़ा जायेगा. ऐसे कुआं व तालाबों में से गाद हटाया जायेगा अौर इसे गहरा किया जायेगा, ताकि आपात स्थिति में समय पर पानी मिल सके. राज्य सरकार को 30 लाख घरों में जल का पानी देना है. इसमें अब तक करीब तीन लाख पानी दे दिया गया है. बैठक में मुख्यमंत्री के अलावा उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, पीएचइडी मंत्री विनोद नारायण झा, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, पीएचइडी के सचिव विनय कुमार समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.