पटना : राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने भागलपुर जिला में संचालित गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) सृजन महिला सहयोग समिति द्वारा सरकार का करोड़ों रुपया घपला किये जाने की सीबीआई से जांच कराये जाने की मांग की है. पटना के दस सकुर्लर रोड़ पर अपनी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी के आवास पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए लालू ने दावा किया कि गत गुरुवार को प्रकाश में आए इस घोटाले की राशि अब बढ़ कर 1000 करोड़ रुपये पहुंच चुकी है और इस राशि को प्रदेश के बाहर ले जाए जाने के अलावा रियल स्टेट के कारोबार में लगाया गया है… इसमें मनी लॉउंड्रिंग होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा कि इस गबन में बैंक की मिलीभगत है, इसकी जांच के लिए राज्य की जांच एजेंसी सक्षम नहीं है. इसलिए, इसकी जांच सीबीआई एवं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) करे. लालू ने कहा कि वह नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से आग्रह करेंगे कि वह इस मामले का विशेष आडिट कराए.
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उन्होंने इस मामले में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को बर्खास्त किए जाने की मांग की. लालू ने पूर्व में भी वित्त मंत्री रहे सुशील के कार्यकाल के दौरान इस गबन की शुरुआत होने का आरोप लगाते हुए पूछा कि वह इतने दिनों तक क्या कर रहे थे. पशुपालन घोटाला में मुझ पर अगर इस आधार पर मुकदमा चला कि उन दिनों मैं वित्त विभाग का प्रभारी मंत्री था और मैं राजकोष से निकासी को रोक पाने में कथित रुप से असफल रहा तो ऐसी स्थिति में सुशील पर भी इस विफलता के लिए मुकदमा चलना चाहिए.
उन्होंने इस गबन के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को समान रुप से दोषी ठहराते हुए एक तस्वीर दिखायी, जिसमें एक मंच पर नीतीश, सुशील एवं भाजपा सांसद गिरिराज सिंह संस्था की संस्थापक मनोरमा देवी को सम्मानित कर रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि अखबारों में जो तस्वीरें प्रकाशित हुई हैं उससे स्पष्ट है कि भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन, गिरिराज सिंह, मनोज तिवारी सहित भाजपा के कई अन्य नेताओं के इस संस्था और मनोरमा देवी से घनिष्ठ संबंध रहे हैं. उन्होंने कहा कि आगामी 21 अगस्त से शुरू होने वाले बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान उनकी पार्टी के विधायक इस मामले को जोरशोर से उठाएंगे.
वहीं, जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि फोटो के आधार पर आरोप नहीं लगाए जा सकते जब तक कि उसके बारे में पुख्ता दस्तावेज नहीं हो इस बीच, भागलपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार ने बताया कि यह घोटाला बढ़ कर 600 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.
इस मामले में गत गुरुवार को सृजन महिला सहयोग समिति के पदाधिकारियों , बैंक के पदाधिकारी, सरकारी कर्मी (जो खाते एवं उसके दस्तावेज की देख-रेख करता था), पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.