यूं तो शुरुआत से ही सेंसर बोर्ड फिल्मों में कांट-छांट करने को लेकर चर्चाओं में रहता आया है, लेकिन पिछले कुछ सालों से सेंसर बोर्ड ने जिनती सुर्खियों बटोरी, उसका पूरा क्रेडिट जाता है सेंसर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पहलाज निहलानी को. जनवरी 2016 में सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष बनने के बाद उनकी ‘संस्कारी’ कैंची ने कई फिल्मों को अपना शिकार बनाया. बॉलीवुड और उनकी आर-पार की लड़ाई चलती रही. सोशल मीडिया पर भी खूब खींचतान हुई और आम लोगों ने भी निहलानी के इस अडियल रवैये की आलोचना की. किसी फिल्म के प्रोमो में ‘इंटरकोर्स’, ‘गाय’, ‘पंजाब’ जैसे शब्दों को हटाने की बात हो या फिर किसी फिल्म के सींस हटाने की, निहलानी की नजर से कोई नहीं बच सका है. शुक्रवार को निहलानी को सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया और उनकी जगह लेखक और गीतकार प्रसून जोशी को नया अध्यक्ष बनाया गया है. सेंसर बोर्ड द्वारा कांटे-छांटे गये फिल्मों की लिस्ट तो काफी लंबी है, लेकिन यहां हम कुछ ऐसी फिल्मों का जिक्र कर रहे हैं जिन्हें निहलानी की ‘कोप का भाजन’ बनना पड़ा.
एनएच 10 (2015)
यह फिल्म अनुष्का शर्मा के प्रोडक्शन की पहली फिल्म थी. सेंसर ने 9 कट्स लगाते हुए ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया था. फिल्म के कुछ सीन्स और शब्दों को काटने का निर्देश दिया गया था. इसे लेकर खूब बवाल मचा था. फिल्म में अनुष्का शर्मा और राजकुमार राव ने मुख्य भूमिका निभाई थी. फिल्म का निर्देशन नवदीप सिंह ने किया है.
बॉम्बे वेलवेट (2015)
अनुराग कश्यप की फिल्म ‘बॉम्बे वेलवेट’ के नाम पर सेंसर बोर्ड को आपत्ति थी. बोर्ड ने फिल्म के टाइटल से ‘बॉम्बे’ शब्द हटाने को कहा था. लेकिन अनुराग ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. बोर्ड ने चार कट के साथ फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट ऑफर किया था. बोर्ड को कुछ शब्दों पर आपत्तियां हैं उनमें ‘हरामजादे’ के अलावा एक गाने में प्रयुक्त धोबी शब्द था. बोर्ड ने उन शब्दों को हटाने को कहा. ‘ए’ सर्टिफिकेट व चार कट के प्रस्ताव को अनुराग ने ठुकरा दिया था
उड़ता पंजाब (2016)
‘उड़ता पंजाब’ को लेकर भी सेंसर बोर्ड काफी चर्चाओं में रहा. अनुराग कश्यप की इस फिल्म के लिए सुनाया गया सेंसर बोर्ड का फरमान एतिहासिक था. सेंसर ने इस फिल्म में डायलॉग्स, सीन और कुछ शब्दों को हटाते हुए कुल 89 कट्स लगाए थे. साथ ही सेंसर ने फिल्ममेकर्स से पंजाब का रेफरेंस भी हटाने के लिए कहा था. फिल्म में शाहिद कपूर और आलिया भट्ट ने मुख्य भूमिका निभाई थी. बाद में फिल्म के निर्माता अनुराग कश्यप ने अदालती लड़ाई लड़कर फिल्म को रिलीज़ करवाया था.
‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ (2017)
पहलाज से जुड़े विवादों का जिक्र होगा तो सबसे पहले नाम आयेगा फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ फिल्म का. डायरेक्टर अलंकृता श्रीवास्तव की इस फिल्म को बोर्ड ने यह कहकर रोकने की कोशिश की कि इसका विषय बहुत ज्यादा महिला संबंधी और फैंटेसी बेस्ड है. ऐसे में फिल्म डायरेक्टर्स की टीम ने फिल्म प्रमाणन अपीलीय ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया. नतीजा यह हुआ की फिल्म ‘ए’ सर्टिफिकेट के साथ रिलीज हो गई.
जब हैरी मेट सेजल (2017)
सबसे हालिया मामला ‘जब हैरी मेट सेजल’ फिल्म से जुड़ा है. पहलाज निहलानी ने इस फिल्म के ट्रेलर में ‘इंटरकोर्स’ शब्द के इस्तेमाल करने से एतराज जताया था. लोगों ने जमकर इसका विरोध किया था. इसके बाद सेंसर बोर्ड ने नर्म रुख अपनाया और फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट दिया था. फिल्म में शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा ने मुख्य भूमिका निभाई थी.
‘दम लगा के हईशा’
आयुष्मान खुराना और भूमि पेडनेकर की फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ में ‘लेस्बियन’ शब्द के इस्तेमाल पर भी सेंसर बोर्ड ने आपत्ति जताई थी और इसे म्यूट कर दिया था. समलैंगिकता के मुद्दे पर बनी फिल्म ‘अलीगढ़’ को सेंसर बोर्ड द्वारा ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया गया इस पर डायरेक्टर हंसल मेहता का बयान आया कि सेंसर बोर्ड को समलैंगिकता से नफरत है.
‘बाबूमोशाय बंदूकबाज़’
फिलहाल कुशान नंदी की फिल्म ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज़’ इन दिनों काफी चर्चा में है. फिल्म में सेंसर बोर्ड की तरफ से 48 कट्स लगाने को कहा गया है. मेकर्स ने इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने का फ़ैसला किया है.