नयी दिल्ली : मोटरस्पोर्ट्स में भारत के शीर्ष खिलाडियों में शामिल गौरव गिल ने अर्जुन पुरस्कार के लिये नहीं चुने पर चयन समिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे इस खेल को नुकसान होगा. दो बार के एशिया पेसीफिक रैली ( एपीआरसी) के चैंपियन गिल ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर गोल्फ, कैरम और क्यूस्पोर्ट्स जैसे खेलों को सरकार से मान्यता मिल सकती है तो शारीरिक रुप से चुनौतीपूर्ण मोटर रेसिंग जैसे खेल को क्यों नहीं.
उन्होंने कहा, गोल्फ, कैरम और क्यूस्पोर्ट्स के अर्जुन पुरस्कार विजेता खिलाडियों को पूरे सम्मान के साथ कहना चाहूंगा कि मैं इन खेलों को पूरी तरह से खेल का हिस्सा भी नहीं मानता हूं. गिल के मुताबिक सरकार से इस खेल को मान्यता मिलने काफी फायदा होगा. 35 वर्षीय इस रेसर ने कहा, देश में मोटरस्पोर्ट्स जैसे खेलों की लोकप्रियता के लिये यह जररी है कि इससे जुड़े खिलाडियों का चयन अर्जुन पुरस्कार जैसे पुरस्कारों के लिये हो. ऐसा होने से इसे ज्यादा से ज्यादा लोग इसे करियर के तौर पर लेंगे.
गौरतलब है कि अभी तक किसी भी मोटर रेसर को अर्जुन पुरस्कार से नहीं नवाजा गया है. 2015 में खेल मंत्रालय ने फेडरेशन ऑफ मोटरस्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया (एफएमएससीआई) को राष्ट्रीय खेल महासंघ की सूची में शामिल किया है. हालांकि 2010 में इस खेल से जुड़े नरेन कार्तिकेयन को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया था.
अर्जुन पुरस्कार के लिये खिलाडियों का चयन एशियाई खेल, कामनवेल्थ गेम्स और ओलंपिक में शामिल खेलों में प्रदर्शन के आधार पर होता है जबकि दूसरे खेलों के खिलाडयों लिये यहां जगह बनाना मुश्किल होता है.
क्रिकेट ओलंपिक में शामिल नहीं है लेकिन लोकप्रियता के कारण क्रिकेट खिलाडियों को अर्जुन पुरस्कार दिया जाता है. गिल ने इस पर कटाक्ष करते हुये कहा, कोई भी क्रिकेटर दस अच्छी गेंद डाल कर या कभी कभार अच्छा प्रदर्शन कर इस पुरस्कार को पा सकता है. यह तो मजाक की तरह है. इस खेल में मैं दुनिया के बेहतरीन खिलाडियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा हूं लेकिन फिर भी कोई समर्थन नहीं मिल रहा है.