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मुंबई में छह लाख मराठा सड़क पर क्यों उतर पड़े हैं?

मुंबई :देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की सड़कों पर आज बड़ी संख्या में मराठा उतरे हैं. उनके सड़क पर उतरने से माया व कारोबारी नगरी ठप सी हो गयी है. मराठों का यह 58वां साइलेंट प्रोटेस्ट है और यह विरोधवे सरकारी नौकरियों व अपने समुदाय के लिए शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण हेतुजता रहे हैं. हजारों […]

मुंबई :देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की सड़कों पर आज बड़ी संख्या में मराठा उतरे हैं. उनके सड़क पर उतरने से माया व कारोबारी नगरी ठप सी हो गयी है. मराठों का यह 58वां साइलेंट प्रोटेस्ट है और यह विरोधवे सरकारी नौकरियों व अपने समुदाय के लिए शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण हेतुजता रहे हैं. हजारों मराठा सड़क पर उतर कर सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और कृषि से जुड़ी खुद की समस्याओं व मांगों को रख रहे हैं. मराठा समुदाय से ही आने वाले कांग्रेसनेता व पूर्व मुख्यमंत्री पृृथ्वीराजचह्वाण ने कहा है कि मैंने इन्हें आरक्षण दिया था, लेकिन मौजूदा सरकारइसकी उपेक्षा कर रही है. एकअनुमान के अनुसार महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से मराठा समुदाय के छह लाख लोग मुंबई की सड़कों पर उतरे हैं. इस कारण राज्य सरकार से लेकर शहर में पुलिस, रेलवेव महा नगरपालिका सक्रिय है कि कहीं कोई अव्यवस्था का माहौल नहीं बने.

मुंबई पुलिसके सात हजार जवान, कमांडो व सुरक्षा बल सड़कों पर तैनात किये हैं. रेलवे ने उपनगरीय इलाकों के लिए अतिरिक्त ट्रेनों का परिचालन किया गया है. टिकट काउंटर बढ़ा दिये गये हैं. प्रदर्शनबायकुला जू से आजाद मैदान तक हो रहा है. कईइलाकों में लोगों को यात्रा से बचने की सलाह दी गयी है औरस्कूल बंद कर दियेगये हैं. मराठाें ने अबतक अपनी मांगों के लिए57शांतिपूर्ण रैलियां की हैं औरएकअंब्रेला संगठन सकल मराठा समाज के तहत उनका58वां आंदोलन है.

मराठों ने इस प्रदर्शन मेंनारा दिया है : एक मराठा, लाख मराठा. मराठों ने कहा है किसानों के बच्चे से आर्थिक संकट के कारण कोई विवाह नहीं करना चाहता है. उनकी दलील है उच्च शिक्षण संस्थानों में उनका नामांकन नहीं हो पाता है और उनके पास नौकरियां नहीं हैं. मालूम हो किमराठा महाराष्ट्र का एक प्रभावीजातीय समुदाय है. शरद पवार, अशोक चह्वाण, पृथ्वीराज चह्वाण जैसे कई प्रमुख नेता इस वर्ग से आते हैं. सतारा-सांगली इलाकों में मराठों की बहुलता है और वे पूरे राज्य की आबादी में अकेले 33 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखते हैं. ऐसे में वे राजनीतिक रूप से बेहद अहम हैं और कोई पार्टी या सरकार उन्हें कभी नाराज नहीं करना चाहती है.

हालांकिइतनेप्रभावीमौजूदगीकेबावजूदइसजातीय समुदाय की एक विशेषता है कि ये अनुशासित ढंग से सड़कों पर उतरते हैं. पिछले साल समुदाय की एक 14 वर्षीया लड़की से अहमदनगर जिले में हुए बलात्कार और उसके बाद हत्या के खिलाफ उस समय भी एक लाख मराठा सड़कों पर उतरे थे, लेकिन उनका प्रदर्शन व विरोध शांतिपूर्ण था और आज भी जब वे सड़कों पर उतरे हैं तो उसके दोषियों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से फांसी की सजा की मांग कर रहे हैं. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि सरकार उनके साथ मजाक नहीं करे, उनकी मांगें उनका हक हैं.

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