लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) से विधान परिषद सदस्य अशोक वाजपेयी ने बुधवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करते हुए उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. पिछले एक पखवाड़े के दौरान सपा को लगा यह ऐसा चौथा झटका है. विधान परिषद के आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि सपा के विधान परिषद सदस्य अशोक वाजपेयी ने सभापति रमेश यादव को त्यागपत्र सौंप दिया है. सपा के संस्थापक सदस्य वाजपेयी पार्टी ‘संरक्षक’ मुलायम सिंह यादव के नजदीकी माने जाते हैं. वाजपेयी पिछले करीब एक पखवाड़े के दौरान इस्तीफा देनेवाले सपा के चौथे विधान परिषद सदस्य हैं.
वाजपेयी ने बातचीत में इस्तीफा देने के कारण के बारे में पूछने पर कहा कि उन्होंने जिस नेतृत्व (मुलायम) के साथ काम किया, वह आज उपेक्षित है. इससे वह बहुत आहत महसूस कर रहे थे, इसीलिए उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया. यह पूछने पर कि क्या सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी को संभाल नहीं पा रहे हैं. वाजपेयी ने कहा, ”जाहिर है कि हम लोगों ने इस दिन के लिए पार्टी नहीं खड़ी की थी. आज पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा की जा रही है. इससे जो संदेश जा रहा है, वह बिल्कुल साफ है.” इससे पहले, गत 29 जुलाई को सपा के बुक्कल नवाब तथा यशवंत सिंह ने, जबकि चार अगस्त को सरोजिनी अग्रवाल ने विधान परिषद सदस्य पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया था.
पूर्व में इस्तीफा देनेवाले तीनों सपा विधान परिषद सदस्यों की तरह भाजपा में शामिल होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर वाजपेयी ने कहा कि वह अपने साथी नेताओं और कार्यकर्ताओं से विचार-विमर्श करने के बाद अगला कदम उठायेंगे. मालूम हो कि सपा अध्यक्ष अखिलेश ने गत सात अगस्त को एक कार्यक्रम में पार्टी विधान परिषद सदस्यों के इस्तीफे पर कहा था कि जिन्हें जाना है वह कोई अनर्गल बहाना बनाये बगैर चले जाएं, ताकि उन्हें भी पता लग सके कि उनके बुरे दिनों में कौन उनके साथ है. अखिलेश के सियासी प्रतिद्वंद्वी चाचा शिवपाल सिंह यादव पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी पराजय के बाद बार-बार कह रहे हैं कि अखिलेश को अपना वादा निभाते हुए पार्टी की बागडोर मुलायम के सुपुर्द कर देनी चाहिए. हालांकि, अखिलेश पद छोड़ने से इनकार कर रहे हैं.